Tuesday, 13 June 2023
क्रूरता , जघन्यता का चरम
समझ नहीं आ रहा कि हमारे समाज को आखिर क्या हो गया है? क्रूरता की सारी सीमाएं पार कर गया है हमारा समाज। निर्भया से आरंभ हुआ व््राूरता का यह दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा। मुंबईं से सटे समंदर इलाके में एक महिला की हत्या और उसकी जैसी प्रावृति सामने आईं है।
उसने एक बार फिर सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कोईं व्यक्ति वैसे इस हद तक जा सकता है कि अपनी ही साथी के खिलाफ इतना बर्बर हो जाए। मनोज साने ने लिव-इन में रहने वाली अपनी महिला मित्र सरस्वती वैध की कथित हत्या के बाद उसके शव को ठिकाने लगाने का जो तरीका अपनाया, वह इतना जघन्य, वीभत्स और जुनूनभरा है कि उसके मानसिक रूप से संतुलित होने के बारे में संदेह होता है। मानवता को दहला कर रख देने वाला मुंबईं का यह मामला हमें श्रद्धा वालकर मर्डर को याद दिलाता है। बीते साल नवम्बर में दिल्ली में यह मामला सामने आया था।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक पिछले साल मईं में 27 साल की लड़की श्रद्धा वालकर की आफताब पूनावाला ने हत्या की और फिर उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर जंगल में पेंक दिए थे। मुंबईं के मोरा रोड इलाके में 56 साल के आरोपी ने अपनी 32 साल की लिव-इन पार्टनर का मर्डर कर आरी से शव के टुकड़े कर दिए। आरोपी ने शव के टुकड़े करके वुकर में उबाल दिए। पुलिस को शक है कि उसने उबला हुआ मांस वुत्ताें को खिलाया।
आरोपी का नाम मनोज साने है। इसके बावजूद पुलिस जब दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी तो बैडरूम से लेकर रसोईं तक रखे हुए शव के टुकड़े, बाल और खून अपराध की नृशंसता व अमानवीयता की गवाही दे रहा था।
रौंगटे खड़े कर देने वाले इस मामले की पूरी सच्चाईं तो जांच के बाद ही सामने आएगी पर इतना साफ है कि अपने पुरुष मित्र से 24 साल छोटी और अनाथालय में पली वह स्त्री समाज की स्त्रियों की तुलना में ज्यादा ही कमजोर और असुरक्षित रही होगी। एक साल पहले हुईं श्रद्धा वालकर की हत्या की रोशनी में देखें, वह भी लिव-इन में रहती थी, तो यह कहा जा सकता है कि सहजीवन शादी की तुलना में असुरक्षित है, क्योंकि इसमें परिवारों और समाज का जुड़ाव नहीं होता। यूं हत्या आखिर एक जघन्य अपराध ही है, लेकिन मुंबईं की इस घटना से ऐसे मामलों पर कईं बार एक बारगी विश्वास करने में वक्त लग जाता है। आखिर एक सामान्य दिखने वाला इंसान वैसे ऐसा हो जाता है कि अपनी ही साथी को मार डालने के बाद खुद बचने के लिए व््राूरता की सारी सीमाएं पार कर जाता है? पिछले वुछ समय से ऐसी घटनाएं अकसर देखी जा रही हैं, जिनमें सहजीवन में रहने वाले किसी पुरुष ने अपनी महिला साथी की न केवल जान ले ली बल्कि खुद को बचाने के मकसद से उसके शव को ठिकाने लगाने के लिए संवेदनहीनता की सारी सीमाएं पार कर दीं। सरकार से लेकर समाज तक को ऐसे अपराधों से कानून निपटने के अलावा और कईं पहलुओं पर विचार करने की जरूरत है। लिव-इन रिलेशंस पर भी चिंता होनी स्वाभाविक है।
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