Thursday, 29 June 2023
विपक्षी एकता का राउंड वन
बिहार की राजधानी पटना में हुईं विपक्षी दलों की बैठक कईं मायनों में ऐतिहासिक रही। इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश वुमार भाजपा विरोधी 15 राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने में सफल रहे। यह भी अपने आपमें एक ऐतिहासिक लम्हा रहा। करीब साढ़े तीन घंटे की बैठक में विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एक होकर चुनाव लड़ने पर सहमत हो गए। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में लालू प्रासाद यादव ने बताया कि जुलाईं में अगली बैठक शिमला में होगी जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। निशाने पर है 2024 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली वेंद्र की एनडीए सरकार को शिकस्त देना। दूसरी ओर भाजपा के शीर्ष नेताओं की नजर में यह एकता बहुत चलने वाली नहीं है। भाजपा नेताओं का मानना है कि अगर विपक्षी एकता हो भी गईं तो सिर्प बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र में ही भाजपा के लिए थोड़ी चुनौती होगी जिसे सही रणनीति और मुद्दों के जरिये ध्वस्त किया जा सकता है। महाराष्ट्र में 48, बिहार में 40 और झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं। पिछली बार उत्तर प्रादेश में विपक्षी एकता के मुकाबले भाजपा लड़कर दिखा चुकी है। बाकी की साढ़े चार सौ सीटों पर विपक्षी एकता का कोईं अर्थ ही नहीं है। दरअसल विपक्षी दलों की एकजुटता का प्रायास पहली बार नहीं हुआ है। नए बने गठबंधन में ज्यादातर क्षेत्रीय दल हैं और सबके अपने क्षेत्रीय स्वार्थ, समीकरण और मुद्दे हैं। कईं राज्यों में सबकी लड़ाईं भाजपा के अलावा कांग्रोस से भी है। इस तरह अगर सभी एकजुट होकर केवल भाजपा के विरोध में उतरते हैं तो उन्हें कांग्रोस के साथ अपनी अपनी सीटों का बंटवारा करना पड़ेगा, जिसके लिए खासा मंथन और विरोध से गुजरना होगा। इसका मतलब यह नहीं कि विपक्षी एकता हो नहीं सकती। कोशिश यह रहेगी कि भाजपा के खिलाफ एक साझा उम्मीदवार हो। फाइट वन टू वन हो। राहुल गांधी ने कहा कि राज्यवार मतभेदों को दूर किया जाएगा।
अगर कांग्रोस को वुछ वुर्बानी देनी पड़ेगी तो देंगे। बहुत से सीटों पर भाजपा-कांग्रोस की सीधी टक्कर है। इसमें कोईं शक नहीं कि भाजपा का ग्राफ नीचे आ रहा है और मोदी जी की लोकप््िरायता 2019 जैसी नहीं होगी। फिर इन तमाम विपक्षी दलों को यह भी मालूम है कि अगर 2024 में मोदी जी जीत जाते हैं तो इनका क्या हाल होगा। भाजपा ने इस गठबंधन को तोड़ने की पूरी कोशिश की पर सफल नहीं हुआ। मतभेद बहुत हैं, विरोधाभास भी बहुत हैं पर ईंडी, सीबीआईं, जेल के डर के कारण भी इनकी साथ आने की मजबूरी है। दरअसल अगला राउंड सबसे अहम होगा। नीतीश वुमार ने पहले दो पड़ावों को पार करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं है। 10 या 12 जुलाईं को शिमला में इस विपक्षी एकता का दूसरा राउंड होगा। जहां सीटों के बंटवारे और चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा। एकता आसान नहीं पर असंभव भी नहीं।
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