Sunday, 3 October 2021
पाकिस्तान धोखेबाज है, भरोसे लायक नहीं है
अफगानिस्तान के लोग आजादी चाहते हैं, जब उन्होंने अमेरिका जैसे सुपर पॉवर के सामने घुटने नहीं टेके तो पाकिस्तान जैसे किसी छोटे पड़ोसी के हाथों खुद को कैसे सौंप देंगे? यह अतार्किक है। अफगानिस्तान और तालिबान इसे लेकर प्रतिबद्ध हैं कि वह अपनी धरती का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ नहीं होने देंगे। यह कहना है तालिबान के संस्थापकों में एक मुल्ला अब्दुल सलाम जईफ का। उन्होंने अफगानिस्तान में स्थिरता, तालिबान में आए बदलाव, महिलाओं की आजादी, सरकार के स्वरूप, ताजा हालात और पाकिस्तान के दखल जैसे मुद्दों पर मीडिया प्लेटफार्म इन्क्वायरी से खास बातचीत में कही, प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश उदारवादी चेहरे साइडलाइन होने परöमुल्ला बरादर, अखुंदजादा, स्टान करजई और मैं भले ही सरकार में नहीं हूं पर हम सरकार के करीब ही हैं। देश में स्थिरता लाना प्राथमिकता है। इसलिए तुरत-फुरत में सरकार का गठन करना पड़ा। यह सरकार स्थायी नहीं है। सरकार गठन पर अंदरूनी चर्चा और महिलाओं को शामिल न करने पर उन्होंने कहाöहां, यह विफलता रही है पर अभी हम चीजों को समझ रहे हैं ताकि परिस्थितियां संभाल सकें। अभी सरकार में सिर्फ उन्हें जोड़ा गया है, जिन्होंने आजादी के लिए तालिबान का साथ दिया। सरकार के अगले चरण में अफगानी लोगों, राजनीतिक चेहरों और महिलाओं को जगह देने पर विचार करेंगे पर ऐसा तब करेंगे, जब हमें दुनिया से मान्यता मिलेगी। दुनिया को चाहिए कि वह तालिबान को ज्यादा जिम्मेदारी दे, तत्परता दिखाए, इससे हम देश की भलाई पर फोकस कर सकेंगे। भारत की चिन्ताöभारत के लिए इतना कहना चाहूंगा कि वह तालिबान के साथ डिप्लोमेसी शुरू करे ताकि वह सुनिश्चित कर सके कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल कोई और देश उसके खिलाफ तो नहीं कर रहा। पाकिस्तान के पक्षधर होने पर मुल्ला जईफ ने कहा कि कोई भी देश हमारे साथ ईमानदार नहीं रहा। वैसे भी पाकिस्तान का असली चेहरा सब जानते हैं, वह धोखेबाज है। उस पर भरोसा नहीं कर सकते। वैसे भी हर अफगानी को स्पष्ट है कि हमें न्यूट्रल रहना है। हम अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ नहीं होने देंगे। इसके अलावा हम अपने देश के अंदरूनी मामलों में पाकिस्तान या किसी भी अन्य देश को दखल नहीं देने देंगे। अफगानी धवती पर आतंकीöअत्याधुनिक टेक्नोलॉजी, सैन्य साजो-सामान के होते हुए 20 साल में अमेरिका इसे खत्म नहीं कर पाया। यह मुश्किल है, इस पर नियंत्रण करने की कोशिश हम करेंगे। तालिबान का बदला चेहराöमहिलाएं स्कूल जा रही हैं। कुछ काम पर भी जा रही हैं। रैलियां तक निकाल रही हैं। यह मौके उन्हें पहले हासिल नहीं थे। उन्हें राजनीति, बिजनेस जैसी जगहों पर मौके देने की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी।
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