Tuesday 26 October 2021

अंबानी की फाइल पास करने के लिए 300 करोड़ का ऑफर

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने बड़ा दावा किया है। उन्होंने दावा किया कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद पर आसीन थे, तब अंबानी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक व्यक्ति की फाइल को पास करने की एवज में उन्हें 300 करोड़ रुपए की घूस का प्रस्ताव किया गया था। उन्होंने साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि उस वक्त पीएम ने उनसे कहा था कि वह भ्रष्टाचार से कोई समझौता न करें और उन्हें समर्थन भी किया था। राजस्थान के झुंझुनूं में एक कार्यक्रम के दौरान गुरुवार को सत्यपाल मलिक ने कहाöकश्मीर जाने के बाद मेरे पास दो फाइलें आई थीं। एक अंबानी की फाइल और दूसरी संघ से जुड़े एक शख्स की थी, जो पिछली महबूबा मुफ्ती और भाजपा की गठबंधन सरकार में मंत्री थे। वो पीएम मोदी के भी बेहद करीबी थे। मलिक ने आगे कहाöमुझे सचिवों ने सूचना दी कि इसमें घोटाला है और फिर मैंने बारी-बारी से दोनों डीलें रद्द कर दीं। सचिवों ने सूचना दी थी कि दोनों फाइलों के लिए उन्हें 150-150 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। उनसे मैंने कहा कि मैं पांच कुर्ता-पायजामों के साथ आया हूं और सिर्प उन्हीं के साथ यहां से जाऊंगा। मलिक के इस बयान की वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई है। बताया जा रहा है कि मलिक सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स व पत्रकारों के लिए लाई गई एक ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ी एक फाइल का जिक्र कर रहे थे, जिसके लिए सरकार ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से डील की थी। सत्यपाल मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि देश में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार कश्मीर में है। उधर पीपुल्स डेमोकेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल व मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को शुक्रवार को कानूनी नोटिस भेज 10 करोड़ रुपए मुआवजा मांगा है। इसके लिए उन्हें 30 दिन का समय दिया गया है। महबूबा ने सत्यपाल मलिक को यह नोटिस उन पर लगाए गए आरोपों के बाद भेजा है। सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल थे। अकसर विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर चर्चा में रहने वाले सत्यपाल मलिक ने बीते दिनों कहा था कि महबूबा ने भी रोशनी योजना का लाभ उठाया है। रोशनी योजना के तहत सरकारी जमीनों पर कब्जा कर बैठे आम लोगों को कम कीमत पर संबंधित जमीन का मालिकाना अधिकार देना था। इससे जो पैसे जमा होता, उसका इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में बिजली संकट दूर करने के लिए होना था। सत्यपाल ने दावा किया है कि रोशनी योजना के तहत फारुख अब्दुल्ला और महबूबा ने भूखंड प्राप्त किए हैं। उन्होंने रोशनी अधिनियम को रद्द करने का श्रेय लेते हुए कहा कि मेरे कारण जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। भारत सरकार के लिए सिटिंग राज्यपाल द्वारा इतने गंभीर आरोप लगाना साधारण नहीं है। इन मामलों की बारीकी से जांच होनी चाहिए और तथ्य जनता के सामने आने चाहिए। मोदी सरकार जो भ्रष्टाचार को खत्म करने का दावा करती है उसी के एक अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों से मोदी सरकार के दावे की धज्जियां उड़ रही हैं। अधिकारियों के साथ एक मंत्री और आरएसएस से जुड़े लोगों की हरकतों का पर्दाफाश करना चौंकाने वाला है।

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