Saturday, 2 October 2021
पूरा हैल्थ रिकॉर्ड अब एक आईडी में
आयुष्मान भारत योजना की तीसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के जरिये पूरे देशभर में स्वास्थ्य सेवा को डिजिटल बनाने की एक और महत्वाकांक्षी पहल की। इसके तहत हर नागरिक को एक डिजिटल हैल्थ आईडी मिलेगी और स्वास्थ्य का पूरा रिकॉर्ड डिजिटल रूप में सुरक्षित रहेगा। इससे डॉक्टर मरीज की इजाजत से कहीं भी उसके हैल्थ रिकॉर्ड को देख सकेंगे। बता दें कि पीएम मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की पायलट परियोजना की घोषणा की थी। उस वक्त इसे शुरुआती तौर पर छह केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया था। सोमवार को इस योजना को पूरे देश में लागू कर दिया गया। सोमवार को योजना को वर्चुअल तरीके से लक्ष्य करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में एक ऐसे स्वास्थ्य मॉडल पर काम चल रहा है जिसमें बीमारियों से बचाव पर जोर है, बीमारी की स्थिति में सस्ता इलाज है और इलाज सबकी पहुंच तक है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन देशभर के अस्पतालों को एक-दूसरे से जोड़ेगा और स्वास्थ्य की पूरी प्रक्रिया को आसान बना देगा। पीएम मोदी ने कहा कि देश में अब तक 90 करोड़ टीकों की खुराक दी जा चुकी है। इसमें कोविन एप की बहुत बड़ी भूमिका है। एबीडीएम के तहत नागरिकों को स्वास्थ्य पहचान पत्र जारी होंगे, जिससे डॉक्टर की पर्चियों से मुक्ति मिल जाएगी। 14 अंकों के यूनिक नम्बर आईडी कार्ड में व्यक्ति के स्वास्थ्य रिकॉर्ड जांच, डॉक्टर, इलाज व चिकित्सा रिपोर्ट की जानकारी मिल जाएगी। मरीज की सहमति से स्वास्थ्य सूचनाएं मुहैया करवाने का काम अस्पताल-डॉक्टर, टीका केंद्र, पैथोलॉजी जांच लैब आदि करेंगे। वह मरीज के आईडी पर इसे अपलोड कर पाएंगे। जांच रिपोर्ट, डॉक्टर की पर्चियां संभालने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। यूनिक आईडी नम्बर से चिकित्सक मरीज की पुरानी बीमारियां और दवाओं के बारे में जान सकेंगे। डिजिटल फार्मेट में डॉक्टरों से फोन पर परामर्श में मदद मिलेगी। महंगी जांचों का अनावश्यक खर्च और समय बचेगा। अस्पताल, लैब व एंबुलैंस से ऑनलाइन सम्पर्क होगा। विशेष बीमारियों पर सरकार की नजर रहेगी यानि महज एक क्लिक पर मिलेगा बीमारियां व इलाज का इतिहास। इस योजना में डेटा प्राइवेसी और डेटा सुरक्षित रखने जैसे सवाल जरूर उठेंगे? मगर एक अच्छी बात यह है कि आयुष्मान भारत योजना का तीन साल का अनुभव लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करेगा कि सवाल उठाने और आकांक्षाएं व्यक्त करने से पहले यह देखा जाए कि इसे जमीन पर उतारने की प्रक्रिया किस तरह से आगे बढ़ती है और उसके नतीजे किस रूप में सामने आते हैं? आयुष्मान भारत की शुरुआत में भी तरह-तरह के सवाल खड़े हुए थे। यह एक ऐसे मिशन की शुरुआत हो ही है जिसमें भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने की ताकत है। यह मिशन देश के अस्पतालों को एक-दूसरे से जोड़ेगा। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए डिजिटलाइजेशन एक अच्छा प्रयास है पर दिक्कत यह है कि आयुष्मान भारत में शामिल उस गरीब तबके तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच दूर-दूर तक नहीं है। कोरोना काल में 2422 करोड़ रुपए की स्कीम के तहत खर्च हुए लेकिन पूरे उत्तर भारत में केवल 49 करोड़ लोगों को इसका लाभ मिला, जबकि मरीज तीन गुणा थे। इसका निष्कर्ष यह है कि जिन राज्यों में सरकारें बेहतर प्रशासन दे रही थीं वहां निजी या सरकारी अस्पतालों ने गरीबों के लिए बनी इस स्कीम में इलाज नहीं किया क्योंकि सरकार का डर था। ऑनलाइन डिजिटल कार्ड के लिए ब्यौरा भरना गरीबों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। गरीबों को स्वास्थ्य लाभ मिले यह सबसे बड़ी चुनौती होगी।
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