Tuesday, 5 October 2021

क्या कन्हैया-जिग्नेश कांग्रेस में फूंक पाएंगे जान?

जेएनयू छात्र संघ के तेज-तर्रार पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने मंगलवार को कांग्रेस का हाथ थाम लिया। गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी भी कांग्रेस के साथ हैं, पर तकनीकी कारणों के चलते उन्होंने पार्टी की सदस्यता फिलहाल नहीं ली। हालांकि उन्होंने ऐलान किया कि वर्ष 2022 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर ही लड़ेंगे। उनके मुताबिक पार्टी की सदस्यता लेने में उनकी विधानसभा की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी की मौजूदगी में दिल्ली के शहीद पार्क पहुंचकर शहीद भगत सिंह की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वह दोनों नेताओं के साथ पार्टी मुख्यालय पहुंचे और कन्हैया कुमार को सदस्यता दिलाई। मेवाणी ने राहुल को संविधान की कॉपी और कन्हैया ने महात्मा गांधी, अंबेडकर और भगत सिंह की एक-एक तस्वीर दी। इसके बाद कन्हैया और मेवाणी मीडिया से रूबरू हुए। लाल कमीज पहने कन्हैया ने बताया कि वह कांग्रेस का हाथ क्यों थाम रहे हैं? केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार, इतिहास, वर्तमान और भविष्य सभी कुछ खत्म कर रही है। कन्हैया ने कहा कि कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। कन्हैया ने कहा कि करोड़ों नौजवानों को लगने लगा है कि कांग्रेस नहीं बचेगी तो देश भी नहीं बचेगा और ऐसे में वह लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कांग्रेस में शामिल हुए हैं, साथ ही उन्होंने कहा कि देश में वैचारिक संघर्ष को कांग्रेस ही नेतृत्व दे सकती है। उन्होंने जोर देकर कहाöआज देश को भगत सिंह के साहस, अंबेडकर की समानता और गांधी की एकता की जरूरत है। जिग्नेश ने कहा कि देश के युवाओं और संविधान में विश्वास करने वालों को मिलकर लड़ाई लड़नी है क्योंकि देश अब तक के सबसे अप्रत्याशित संकट का सामना कर रहा है। नीला कुर्ता पहने जिग्नेश मेवाणी ने कांग्रेस की सदस्यता न लेने की वजह बताते हुए कहा कि इस वक्त देश को बचाने के लिए कुछ भी करने का समय है। देश को बचाने के लिए वह कांग्रेस के साथ खड़े हैं। बेशक यह दोनों नेता कांग्रेस में आने से जान फूंकने में मदद करेंगे पर मूल बात कांग्रेस नेतृत्व की कमी है। जब तक कांग्रेस सही नेतृत्व नहीं देती तब तक कांग्रेस अपनी पुरानी स्थिति में नहीं आ सकती। कन्हैया पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे। जिग्नेश बहरहाल विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। कांग्रेस को उम्मीद है कि जिग्नेश के आने से गुजरात में वहीं बिहार में कन्हैया के आने से पार्टी की स्थिति सुधरेगी। पर यह समय ही बताएगा कि इन दोनों के आने से कांग्रेस को क्या फर्क पड़ता है? क्या यह डूबती कांग्रेस में तिनके का सहारा बन सकते हैं?

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