Saturday, 30 October 2021
हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ नहीं ले सकते, जांच होगी
इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के माध्यम से विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं व अन्य की जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने मामले की जांच के ]िलए एक तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देकर बचने का प्रयास करने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और केंद्र से इस मुद्दे पर जांच का अधिकार भी छीन लिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच सरकार की एक्सपर्ट कमेटी नहीं कर सकती क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों पर खुद नागरिकों के अधिकार का हनन करने में शामिल होने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि अगर मामले की जांच सरकार को करने दी गई तो इस सिद्धांत का उल्लंघन होगा कि न्याय सिर्प किया ही नहीं जाना चाहिए बल्कि न्याय होते दिखना भी चाहिए। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने बुधवार को अपना 46 पेज का फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि विशेष समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज आरवी रविंद्रन करेंगे। इसके अतिरिक्त तीन सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञ कमेटी भी गठित की जा रही है, जो जांच कमेटी के कार्य में उनकी मदद करेगी। उक्त कमेटी के कार्य में पेगासस स्पाईवेयर के माध्यम से जासूसी के आरोपों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देगी। कमेटी अपने कार्य के लिए अन्य विशेषज्ञों को जोड़ सकती है। कोर्ट इस मुद्दे पर आठ सप्ताह बाद सुनवाई करेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में सरकार को जांच समिति बनाने की इजाजत नहीं दी। सरकार ने अनुरोध किया था कि जासूसी मामले में आरोपों की जांच के लिए केंद्र को विशेष समिति बनाने की अनुमति दी जाए। लेकिन अदालत ने सरकार का अनुरोध यह कहते हुए ठुकरा दिया कि ऐसा करना पक्षपात के खिलाफ स्थापित न्यायिक सिद्धांत के उलट होगा। अदालत की यह टिप्पणी उसके गंभीर रुख को बताने के लिए पर्याप्त है। पेगासस मामला सामने आने के बाद सरकार ने जिस तरह का रवैया दिखाया, उससे यह संदेश गया कि सरकार इससे बचने की कोशिश कर रही है। कुछ छिपा रही है और सच्चाई सामने नहीं आने देना चाहती। ऐसे में अगर सरकार खुद ही जांच करती तो उस पर भरोसा कौन करता? इसलिए बेहतर यही था कि इस मामले की जांच अदालत की निगरानी में हो ताकि दूध का दूध, पानी का पानी हो सके। भारतीय नागरिकों की जासूसी करवाने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं, इसलिए सर्वोच्च अदालत की यह जांच समिति इस बात की भी जांच करेगी कि 2019 में भारतीय नागरिकों के व्हाट्सएप खातों में सेंध का मामला उजागर होने के बाद सरकार ने क्या कदम उठाए? समिति यह भी पता लगाएगी कि क्या भारत के नागरिकों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए भारत सरकार किसी राज्य सरकार या किसी भी केंद्रीय या राज्य एजेंसी ने पेगासस खरीदा था? पेगासस जासूसी कांड से यह संदेह पुख्ता हुआ है कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में सरकार नागरिकों के निजता के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी को प्रभावित कर रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर तो अदालत दखल भी नहीं देती पर मामला नागरिकों की निजता के अधिकार से जुड़ा है, इसलिए अदालत ने भी इसकी निष्पक्ष जांच करवाना जरूरी समझा। उम्मीद की जा सकती है कि अंतत अब इस मामले की सच्चाई सामने आ सकेगी।
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