Saturday, 2 October 2021
और अब अमरिन्दर सिंह अमित शाह के दरबार में
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद सभी विकल्प खुले होने की बात करने वाले कैप्टन अमरिन्दर सिंह बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिले तो उनके भाजपा के साथ जाने की अटकलें तेज हो गई। सूत्रों की मानें तो कैप्टन किसान आंदोलन के सहारे नई सियासी जमीन तलाश रहे हैं। जहां भाजपा भी उनके जरिये इस आंदोलन के समाधान का रास्ता निकालने की फिराक में है वहीं भाजपा को पंजाब में एक कैप्टन मिल जाए इसकी भी संभावना तलाश रही है। पौन घंटे की मुलाकात के बाद कैप्टन ने कहाöगृहमंत्री से मिला। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन पर चर्चा की। उनसे आग्रह किया कि कानूनों को निरस्त करके एमएसपी की गारंटी देकर तथा पंजाब में फसल विविधिकरण को सहयोग देकर संकट का समाधान हो। कैप्टन साहब के सामने इस समय तीन-चार विकल्प हैं। पहलाöनई पार्टी बना सकते हैं। किसानों के मामले पर भाजपा पंजाब में उलझी हुई है। कैप्टन किसानों के साथ रहे हैं। वह क्षेत्रीय दल बनाकर नया विकल्प बन सकते हैं। वह भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसा हुआ तो कांग्रेस की कलह और अकाली दल के सिमटने का फायदा कैप्टन और भाजपा दोनों उठाना चाहेंगे। दूसराöभाजपा में जा सकते हैं। कैप्टन का राष्ट्रवादी स्टाइल भाजपा के मुफीद है। राष्ट्रीय सुरक्षा पर कैप्टन कई बार पार्टी लाइन तोड़ चुके हैं। मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने के बाद भी उन्होंने सिद्धू को पाकिस्तान का करीबी बताया था। कैप्टन के रूप मे भाजपा को भी बड़ा सिख चेहरा मिल जाएगा। तीसराöकृषि कानूनों पर फैसला। कैप्टन चाहे पार्टी बनाएं या भाजपा में जाएं दोनों स्थिति में फायदा तभी होगा, जब कृषि कानूनों पर कोई फैसला हो। यह माना जा रहा है कि सरकार कृषि कानूनों पर दो से तीन माह में चौंकाने वाला फैसला ले सकती है। इससे भाजपा कैप्टन को साथ लेकर पंजाब में अपनी सियासी पकड़ मजबूत कर सकती है। अंतिम और चौथा विकल्पöकिसान आंदोलन का मुख्य असर पंजाब और हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। पिछले विधानसभा चुनाव में इन राज्यों ने भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका निभाई। अगर कृषि कानूनों पर किसानों के हक में फैसला हुआ तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की करीब 60 सीटों पर भाजपा को फायदा होगा। इसलिए देखना होगा कि कैप्टन कौन-सा विकल्प चुनते हैं?
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