Wednesday, 20 October 2021
अफगानिस्तान में शिया समुदाय निशाने पर
अफगानिस्तान में रहने वाला शिया समुदाय शुक्रवार को मातम में डूब गया। देश के दूसरे बड़े शहर कंधार की शिया मस्जिद में शुक्रवार को नमाज पढ़ रहे लोगों पर हुए आत्मघाती हमले में 62 लोगों के मारे जाने की खबर है। इस हमले में 68 लोग घायल हुए। घटना की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है। लेकिन शक आतंकी संगठन आईएस के खुरासान शाखा पर है। पिछले हफ्ते शुक्रवार को ही इसी संगठन ने पुंदूज शहर की शिया मस्जिद में 80 से ज्यादा नमाजियों की हत्या की थी। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार आत्मघाती हमलावर ने नमाजियों के बीच आकर खुद को उड़ाया। तालिबान सरकार की न्यूज एजेंसी बख्तार ने 62 लोगों के मरने की पुष्टि की है। उस समय मस्जिद में लगभग 500 लोग जुम्मे की नमाज अदा कर रहे थे। यह कट्टरपंथी समूह तालिबान के शासन का विरोधी है और शिया मुसलमानों को मूर्तद (धर्मत्यागी) मानता है, जिन्हें मार दिया जाना चाहिए। अमेरिकी फौजों की वापसी के बीच अगस्त में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद आईएस ने कई विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है। समूह ने छोटे हमलों में तालिबान लड़ाकों को भी निशाना बनाया है। तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने विस्फोट की पुष्टि की है और कहा कि मामले की जांच चल रही है। अफगानिस्तान में दशकों की जंग के बाद तालिबान ने मुल्क में अमन बहाली का संकल्प लिया है। तालिबान-आईएस दोनों सुन्नी मुसलमानों के समूह हैं, लेकिन वह वैचारिक तौर पर काफी अलग हैं। इनमें आईएस काफी कट्टर है। तालिबान ने शिया अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का बेशक वचन दिया हो पर तालिबान उनकी सुरक्षा करने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। अफगानिस्तान में शिया अल्पसंख्यक अकसर हमलों के शिकार होते रहे हैं। इनमें से कई हजारा शिया समुदाय के हैं। देश की शिया मस्जिदों में आने वाले नमाजियों पर हमला करने वालों में इस्लामिक स्टेट (आईएस) का हाथ रहा है। बता दें कि अफगानिस्तान की कुल आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा शिया समुदाय का है। वैसे यह कैसे मुसलमान हैं और कुरान को मानने वाले हैं जो नमाजियों को मस्जिद में नमाज अदा कर रहे भाई मुसलमानों को मारते हैं?
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