Wednesday 27 October 2021

पुतिन का बयान क्या भारत के लिए झटका है?

रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि तालिबान को आतंकवादी संगठनों की लिस्ट से हटाना संभव है। लेकिन साथ में पुतिन ने यह भी कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर होना चाहिए। पुतिन ने गत दिनों इंटरनेशनल वलवाची डिक्शन क्लब की समग्र बैठक में कहा, जाहिर है कि तालिबान के हाथ में ही पूरा अफगानिस्तान का नियंत्रण है। हमें उम्मीद है कि तालिबान अफगानिस्तान में सकारात्मक माहौल को सुनिश्चित करेगा। तालिबान को लेकर हमें सहमति से फैसला लेना चाहिए। हम तालिबान को आतंकवाद की लिस्ट से हटाने के फैसले पर विचार करेंगे। हम इस फैसले के करीब पहुंच रहे हैं। पुतिन ने कहा कि रूस इस मामले में सावधानी से आगे बढ़ रहा है। रूसी राष्ट्रपति ने कहाöलेकिन तालिबान को लेकर फैसला प्रक्रिया के तहत होना चाहिए। जिस प्रक्रिया के तहत इसे आतंकवादियों की लिस्ट में डाला गया था, उसी प्रक्रिया के तहत उसे इस लिस्ट से बाहर निकालना चाहिए। तालिबान को आतंकवादी संगठनों की लिस्ट से बाहर करने के मामले में पुतिन ने कहा कि इस प्रक्रिया में केवल रूस नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ सहयोग कर रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि तालिबान के प्रतिनिधियों को मॉस्को बुलाया और उनके साथ लगातार सम्पर्प में हैं। उधर रूस में अफगानिस्तान पर वार्ता के लिए आयोजित मॉस्को फॉर्मेट भी सम्पन्न हो गया है। कहा जा रहा है कि भारत, मॉस्को फॉर्मेट की ओर से जारी बयान से बहुत खुश नहीं है। मॉस्को फॉर्मेट के बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान एक नई हकीकत है और रूस देश से संबंधों में भी इसका ध्यान रखना होगा। लेकिन तालिबान की एक छवि यह है कि वो पाकिस्तान परस्त है। ऐसे में मॉस्को फॉर्मेट के इस बयान को भारत के पक्ष में नहीं माना जा रहा है। इस बीच रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यह कह दिया कि तालिबान को आतंकवादियों की सूची से बाहर किया जा सकता है। भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने मॉस्को फॉर्मेट के बयान को लेकर कहा है, मॉस्को फॉर्मेट के बयान से साफ है कि तालिबान को असली हुक्मरान मान लिया गया है। इस फॉर्मेट में कहा गया है कि तालिबान के साथ ही अब वार्ता होगी। समावेशी सरकार की भी बात कही गई है। अब तालिबान को इस बात का अंदाजा हो गया है कि हर कोई उनसे बात करने को तैयार है। संयुक्त राष्ट्र के तहत एक समिट बुलाने की भी बात कही गई है। मॉस्को फॉर्मेट वार्ता रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित की गई थी। इस वार्ता में रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्पमेनिस्तान और अजबेकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसके अलावा इस वार्ता में अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल उप-प्रधानमंत्री मवलावी अब्दुल सलाम हनाफी के नेतृत्व में आया था। कहा जा रहा है कि मॉस्को फॉर्मेट के बयान में भारत को असहज करने वाली बात यह हैöअफगानिस्तान के साथ संबंधों को अब नई हकीकत को ध्यान में रखना होगा। तालिबान अब सत्ता में है, भले ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तालिबान को मान्यता दे या न दे।

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