केरल जैसे राज्य में जहां पिछले
साल ही सौ से ज्यादा बार हड़ताल की गई, ननों का न्याय के
लिए धरने पर बैठना अपने आपमें ऐतिहासिक घटना है। धरने पर बैठने वाली यह पांच सिस्टर
मिशनरीज ऑफ जीसस से जुड़ी हैं। यह लेटिन कैथोलिक ऑर्डर के तहत आती हैं जिसका मुख्यालय
1993 में जालंधर में बना था। केरल में चर्च की तीन शाखाएं (कॉन्वेंट) हैं। इन्हीं कॉन्वेंट में रहती हैं
44 साल की वह नन जिन्होंने बिशप फ्रेंको मुलक्कल पर रेप का आरोप लगाया
है। बिशप चर्च की इस शाखा का पेटर्न है। और इस तरह सबसे शक्तिशाली अथारिटी भी है। इस
मामले में शिकायत इसी साल जून में केरल पुलिस में दर्ज कराई गई थी। यह मामला
2014 का है। शिकायत में नन ने बताया है कि मुलक्कल जब भी जालंधर से आते
थे, वह एक कमरे का इस्तेमाल करते थे, उसी
में नन को बंधक बनाकर रेप किया गया। शोषण का यह सिलसिला 2016 के उत्तरार्द्ध तक चलता रहा। सिस्टर अनुपमा के मुताबिक आखिर में पीड़ित नन
ने मदर जनरल को मौखिक रूप से शिकायत की, इसके बाद पादरी और दूसरे
पादरियों के सामने बात रखी और उनकी सलाह पर कॉर्डिनल जॉर्ज एलेंयरी जोकि सायरो-भालावार कैथोलिक चर्च के प्रमुख और राज्य में प्रमुख कैथोलिक पदाधिकारी हैं
उन्हें पत्र भेजा मगर कुछ नहीं हुआ। उलटा पीड़िता और उसकी सपोर्ट कर रहे लोगों के खिलाफ
शिकायत दर्ज करा दी गई। आरोपी जालंधर के बिशप फ्रेंको मुलक्कल को अब वेटिकन ने उनके
पद से हटा दिया है। यह फैसला रेप मामले की जांच शुरू होने और चौतरफा आलोचना,
ननों के धरने पर बैठने के बाद लिया गया। केरल पुलिस ने बुधवार को मुलक्कल
से पूछताछ की। 59 वर्षीय मुलक्कल के खिलाफ विभिन्न संगठनों और
ननों ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए बुधवार को 12वें दिन भी
अपना प्रदर्शन जारी रखा। यह इकलौता मामला नहीं जब केरल के चर्च से जुड़ा स्कैंडल सामने
आया है। राज्य में ईसाई आबादी बेशक 18 फीसदी ही है मगर यह बड़ा
प्रभाव रखती है। जो भी स्कैंडल सामने आए, उनमें से ज्यादातर पीड़ित
की बजाय चर्च आरोपी का ही पक्ष लेता दिखा। इनमें फादर रॉबिन वडाक्कुमयेरी का मामला
प्रमुख है। उन पर नाबालिग छात्रा से रेप और उसे गर्भवती करने का आरोप लगा था। वडाक्कुमयेरी
का इतना प्रभाव था कि चर्च ने शुरुआत में पीड़ित के पिता पर ही दबाव डाला कि वह पुलिस
के सामने बताएं कि बेटी से रेप उन्होंने खुद किया है। हालांकि बाद में जाकर जब वडाक्कुमयेरी
को गिरफ्तार किया गया तो पीड़िता ने बयान बदल दिया। पिछले महीने ही उसने अदालत में
कहा कि संबंध सहमति से बनाए थे और उस वक्त मैं बालिग थी। पादरी अकसर खौफ दिखाकर काम
करते हैं जबकि उन्हें मानने वाला आंख बंद कर उनकी जायज/नाजायज
बातें मानता है। पीड़ित को यकीन दिलाया जाता है कि अगर उसने विरोध किया तो चर्च और
ईश्वर का श्राप मिलेगा। ननों के धरने में समाज के हर तबके का समर्थन मिल रहा है। चर्च
में इस प्रकार की हरकतों की उम्मीद नहीं की जा सकती थी।
-अनिल नरेन्द्र
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