Thursday, 6 September 2018

रिजर्व बैंक के आंकड़े साबित करते हैं कि नोटबंदी कितनी घातक रही

अंतत रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद वापस आए नोटों की गिनती पूरी कर ली है। बैंक ने बताया कि बंद हुए 500 और 1000 रुपए के नोटों में से 99.3 फीसदी बैंकों में वापस आ गए हैं। सिर्प 10720 करोड़ रुपए की रकम वापस नहीं आई। सरकार की तरफ से आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने कहा कि नोटबंदी काफी हद तक अपना मकसद हासिल करने में कामयाब रही। उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी से ब्लैक मनी पर लगाम लगी, आतंकवादियों की फंडिंग रुकी, डिजिटल लेन-देन बढ़ा और नकली नोटों की समस्या खत्म होने जैसे मकसद पूरे हुए हैं। कांग्रेस पवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि पीएम मोदी ने नोटबंदी से आतंकवाद पर चोट, नकली नोटों पर लगाम और काले धन की वापसी का दावा किया था। लेकिन अब आरबीआई के आंकड़ों के बाद सवाल उठता है कि इस तुगलकी फरमान का नतीजा क्या निकला? भाइयो-बहनो, मैंने सिर्प  देश में 50 दिन मांगे हैं। 30 दिसंबर तक मुझे मौका दीजिए, मेरे भाइयो और बहनो ः अगर 30 दिसंबर के बाद कोई कमी रह जाए, कोई मेरी गलती निकल जाए, कोई मेरा गलत इरादा निकल जाए तो आप जिस चौहरे पर मुझे खड़ा करेंगे, मैं खड़ा होकर... देश जो सजा तय करेगा वो सजा भुगतने को तैयार हूं। यह शब्द पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ही हैं। आठ नवम्बर 2016 को रात आठ बजे नोटबंदी की घोषणा करके 500 और 1000 रुपए के नोट के चलन को रोकने के ठीक पांच दिन बाद वे गोवा में एक एयरपोर्ट के शिलान्यास पर नोटबंदी के बारे में बोल रहे थे। लेकिन एक साल और नौ महीने के बाद सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या मोदी की नोटबंदी से जुड़े सभी दावों की हवा निकल गई है? नोटबंदी को लागू करने से देश को क्या फायदा हुआ यह सवाल आम लोगों से लेकर सियासी गलियारों में तैर रहे हैं, लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से नोटबंदी की कामयाबी को लेकर कोई दमदार दलील अब तक सामने नहीं आई है। 8 नवंबर 2016 को पधानमंत्री ने नोटबंदी के कई फायदे गिनाए थे। अब रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के दौरान बैंकिंग सिस्टम में वापस लौटे नोटों के बारे में पूरी जानकारी सामने रख दी है। इसके मुताबिक पांच सौ और हजार के 99.3 फीसदी नोट बैंकों में लौट आए हैं। इससे काले धन पर अंकुश लगाने की बात सच नहीं साबित हुई। नोटबंदी के दो सप्ताह बाद तत्कालीन अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुपीम कोर्ट में नोटबंदी का बचाव करते हुए कहा था ः सरकार ने यह कदम उत्तर-पूर्व और कश्मीर में भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने में इस्तेमाल हो रहे चार से पांच लाख करोड़ रुपए तक को चलन से बाहर करने के लिए उठाया है। रोहतगी सरकार का पक्ष ही रख रहे थे, लेकिन यह चार लाख से पांच लाख करोड़ रुपए तक के नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए। 2017 के अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि तीन लाख करोड़ रुपए जो बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं आता था, वह आया है। पीएम के इस बयान को याद दिलाते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सवाल किया कि क्या उन्होंने असत्य बोला था? जाली नोटों का चलन अब भी बना हुआ है। जाली नोटों पर अंकुश लगा पाने में भी सरकार कामयाब नहीं हो पाई है। रिजर्व बैंक के मुताबिक 2017-18 के दौरान जाली नोटों के पकड़े जाने का सिलसिला जारी है। नोटबंदी की घेषणा के बाद अपनी पहली मन की बात में 27 नवंबर, 2016 को पधानमंत्री ने नोटबंदी को कैशलेस इकोनॉमी के लिए जरूरी कदम बताया था। लेकिन नोटबंदी के दो साल बाद रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक लोगों के पास मौजूदा समय में सबसे ज्यादा नकदी है। कैशलेस इकोनॉमी का सच तो यह है कि 9 दिसंबर, 2016 को रिजर्व बैंक के मुताबिक आम लोगों के पास 7.8 लाख करोड़ रुपए थे, जो जून, 2018 तक बढ़कर 18.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गए हैं। मौटे तौर पर यह आम लोगों के पास नकदी नोटबंदी के समय से दोगुनी हो गई है। नोटबंदी के असर से हमारी आर्थिक विकास दर भी पभावित हुई। 2015-16 के दौरान जीडीपी की ग्रोथ दरें 8.01 फीसदी के आसपास थीं। जो 2016-2017 के दौरान 7.11 फीसदी रह गईं और इसके बाद जीडीपी की ग्रोथ दरें 6.1 फीसदी पर आ गईं। इसको लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए पी चिदंबरम ने ट्वीट किया ः भारतीय अर्थव्यवस्था को ग्रोथ के टर्म में 1.5  फीसदी का नुकसान हुआ है। इससे एक साल में 2.5 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। 100 से ज्यादा जानें गई हैं। इतना ही नहीं 15 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों के काम-धंधे बंद हुए हैं। हजारों उद्योग बंद हो गए। लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं। वैसे नोटबंदी की वजह से जिन 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई उनके परिवार तो नोटबंदी को शायद ही कभी भूले! रिजर्व बैंक के आंकड़े जारी होने से पहले ही वित्त मामलों की संसदीय स्टैंडिंग कमेटी की इस रिपोर्ट को भी भाजपा ने कमेटी के अंदर अपने बहुमत का इस्तेमाल करते हुए सार्वजनिक नहीं होने दिया जिसमें नोटबंदी पर सवाल उठाए गए हैं। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के कंज्यूमर पिरामिंडस सर्विस (सीपीएस) के आंकड़ों के मुताबिक 2016-2017 के अंतिम तिमाही में करीब 15 लाख नौकरियां गई है। भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी संगठन भारतीय मजदूर संघ ने भी नोटबंदी पर यह कहा है ः असंगठित क्षेत्र की ढाई लाख यूनिटें बंद हो गईं और रियल एस्टेट पर बहुत बुरा असर पड़ा है। बड़ी तादाद में लोगों ने नौकरियां गंवाई हैं। नोटबंदी की घोषणा करते हुए पधानमंत्री मोदी ने देश के अंदर नक्सलियों और देश के बाहर से फंडिंग करने वाली आतंकी हरकतों पर नोटबंदी से अंकुश लगाने का दावा किया था। लेकिन जिस तरह हाल में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है, उन पर नक्सलियों से संबंध रखने का आरोप लगा और अर्बन नक्सलियों की बात को पचारित किया जा रहा है उससे तो यही सवाल उठता है कि क्या नोटबंदी के बाद भी नक्सल समर्थक इतने मजबूत हो गए हैं। नोटबंदी से जम्मू-कश्मीर में चरमपंथी हमलों पर अंकुश लगाना तो दूर की बात है, यह हमले और तेज हो गए हैं। राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के पूछे एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने सदन में बताया था कि जनवरी से जुलाई 2017 के बीच कश्मीर में 184 आतंकी हमले हुए। जो 2016 में इसी दौरान हुए 155 आतंकी हमले की तुलना में बहुत ज्यादा थे। गृह मंत्रालय की 2017 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 342 चरमपंथी हमले हुए जो 2016 में हुए 322 हमले से ज्यादा थे। इतना ही नहीं 2016 में जहां केवल 15 लोगों की मौत हुई थी, 2017 में 40 आम लोगों की इन हमलों में जान गई। कश्मीर में आतंकी हमले 2018 की शुरुआत से ही जारी हैं। नोटबंदी से फायदे के उलट इसे लागू करने में रिजर्व बैंक को हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। नए नोटों की पिंटिंग के लिए रिजर्व बैंक को 7965 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े। इसके अलावा नकदी की किल्लत नहीं हो, इनके लिए ज्यादा नोट बाजार में जारी करने के चलते 17,426 करोड़ रुपए का ब्याज भी चुकाना पड़ा। बहरहाल पूर्व पधानमंत्री और अर्थशास्त्राr डा. मनमोहन सिंह ने 7 नवम्बर 2017 को संसद में कहा था कि यह एक आर्गनाइज्ड लूट है (संगठित लूट), लीगलाइज्ड प्लंडर (कानूनी डाका) है। मनमोहन सिंह के इस आरोप का भारत की जनता नरेन्द्र मोदी सरकार से जवाब की भी पतीक्षा कर रही है।

-अनिल नरेन्द्र

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