Thursday, 27 September 2018

अमेरिका और चीन में छिड़ा भयंकर ट्रेड वॉर

चीन और अमेरिका के बीच आजकल एक ट्रेड वॉर छिड़ी हुई है। इस ट्रेड वॉर यानि व्यापार युद्ध का असर भारत सहित अन्य देशों पर पड़ना तय है। यह व्यापार युद्ध क्या हैं? इसका क्या पभाव होता है? जब एक देश दूसरे के पति संरक्षणवादी रवैया अपनाता है यानि वहां से आयात होने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर शुल्क (टैक्स) बढ़ाता है तो दूसरा देश भी उसी अंदाज में जवाबी कार्रवाई करता है। ऐसी ही संरक्षणवादी नीतियों के पभाव को ट्रेड वॉर यानि व्यापार युद्ध कहते हैं। इसकी शुरुआत तब होती है जब एक देश को दूसरे देश की व्यापारिक नीतियां अनुचित पतीत होती हैं या वह देश रोजगार सृजन के लिए घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने का आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाता है जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया है। ट्रंप ने इस इरादे से चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध का शखनांद किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चीन से आयातित 200 अरब डालर की वस्तुओं पर लगाया गया नया शुल्क सोमवार से पभावी हो गया है। ट्रंप पशासन अब तक चीन से आयातित 250 अरब डालर की वस्तुओं पर शुल्क लगा चुका है। यह अमेरिका को होने वाले चीन के निर्यात का करीब-करीब आधा हिस्सा हैं। उधर चीन ने अमेरिका के खिलाफ व्यापार में जवाबी कार्रवाई करते हुए वहां से आयातित कई वस्तुओं पर सोमवार को नया शुल्क लगाने की घोषणा की है और अमेरिका पर धमकाने का आरोप लगाया है। पौद्योगिकी को लेकर दोनों के बीच इस व्यापारिक टकराव के बीच चीन ने इस तरह संकेत दिया है कि वह इस मामले में दबेगा नहीं। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि हम जीत की ओर बढ़ रहे हैं। हम एक नतीजा हासिल करने जा रहे हैं जो चीन को वैश्विक शक्ति की तरह व्यवहार करने पर मजबूर करेगा। चीन के सीमा शुल्क विभाग ने कहा है कि उसने 5207 अमेरिकी वस्तुओं पर 5 पतिशत और 10 पतिशत का अतिरिक्त शुल्क लेना शुरू किया है। इसमें शहद से लेकर औद्योगिक रसायन तक शामिल है। चीन ऐसी 60 अरब डालर की वस्तुएं सालाना अमेरिका से मंगाता है। दोनों देशों के बीच व्यापार संवाद भी टूटता नजर आ रहा है। चीन ने अमेरिका जाने वाले अपने एक पतिनिधिमंडल की यात्रा भी रद्द कर दी है। रूस के लड़ाकू जेट विमान खरीदने पर चीन की सैन्य एजेंसी पर अमेरिका के पतिबंध से नाराज चीन ने अमेरिका के साथ अपनी सैन्य वार्ता भी रद्द कर दी है। चीन ने अमेरिकी राजदूत को तलब किया है और सैन्य समझौता रद्द करने की घोषणा की है। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा है कि यह पतिबंध चीन द्वारा रूस से पिछले साल 10 एमयू-35 लड़ाकू विमान और इस वर्ष सतह से हवा में मार करने वाली एम-400 मिसाइलों के खरीदने के कारण लगाया गया है। चीन के सैन्य पवक्ता ने कहा कि रूस से लड़ाकू विमान और मिसाइल खरीदना दो संपभु देशों के बीच सहयोग के लिए उठाया गया सामान्य कदम है और अमेरिका को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। चीन-अमेरिका के बीच जारी यह ट्रेड वॉर अपने चरम पर पहुंच रहा है और यह दुनियाभर के लिए संकट का संकेत है।
-अनिल नरेन्द्र


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