Sunday, 9 September 2018

नीतियां नहीं बदलीं तो सरकार बदल दी जाएगी

देशभर से दिल्ली में बड़ी संख्या में पहुंचे किसानों और मजदूरों ने बुधवार को केंद्र सरकार को किसान-दिहाड़ी नीतियों को बदलने की दो टूक चेतावनी दी है। सीटू के बैनर तले वामदल समर्थक रैली में बुधवार को पारित प्रस्ताव में केंद्र सरकार से किसानों और कामगारों के हितों को बुरी तरह से प्रभावित कर रही नीतियों को बदलने का आह्वान करते हुए आगाह किया गया है कि अगर केंद्र सरकार ने अपनी नीतियां नहीं बदलीं तो सरकार बदल दी जाएगी। मजदूर-किसान संघर्ष रैली रामलीला मैदान से शुरू हुई और करीब डेढ़ घंटे बाद यह पदयात्रा संसद मार्ग पर जाकर खत्म हुई। कामगार संगठनों ने जारी मांग-पत्र में कहा कि रोजमर्रा की वस्तुओं की बेलगाम कीमतें, खाद्य वितरण प्रणाली की ध्वस्त होती व्यवस्था और रोजगार के सिमटते दायरे से किसान-मजदूर के लिए 18 हजार रुपए मासिक न्यूनतम पारिश्रमिक सुनिश्चित करने, श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव नहीं करने, किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करने और खेतिहर मजदूरों और किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की गई। संसद मार्ग पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए किसान सभा के तपन सिन्हा ने कहा कि समाज के सभी वर्गों में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। केंद्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण पूरे देश में असंतोष है। देश के सभी वर्ग किसी न किसी समस्या को लेकर परेशान हैं। किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। नोटबंदी और जीएसटी के कारण आज हजारों उद्योग बंद हो गए हैं और उनमें काम करने वाले हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। मजदूर अपने शहरों को मजबूरी में छोड़ने लगे हैं। भ्रष्टाचार का बोलबाला है। ऊंचे पदों पर बैठे नेता, नौकरशाह सभी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने महंगाई को रिकॉर्डतोड़ तक पहुंचा दिया है। सबसे दुखद बात यह है कि यह सरकार किसी भी बात या समस्या को सुनने को तैयार नहीं है। अहंकार इतना बढ़ गया है कि आज चाहे वह साधारण कार्यकर्ता हो, चाहे पब्लिक सब इस सरकार से कटते जा रहे हैं। किसान देश का अन्नदाता है। अगर देश का यह अन्नदाता ही संतुष्ट नहीं है तो देश में खुशहाली कैसे आएगी? बैंकों में मुट्ठीभर लोगों द्वारा लूट थम नहीं रही है। बैंकों में एनपीए लगातार बढ़ता जा रहा है। आज बैंकों में जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा सुरक्षित नहीं है। बैंकों के फ्रॉड दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। कुल मिलाकर आज चाहे वह किसान हो, मजदूर हो, युवा हो सभी सरकार की नीतियों से परेशान हैं। जहां तक सरकार का सवाल है वह इनको इसलिए नजरअंदाज करती है क्योंकि वह समझती है कि आज की तारीख में जनता के पास कोई विकल्प नहीं है। मजबूरी में उसे इनके दरवाजे को ही खटखटाना पड़ेगा।

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