कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को मध्यप्रदेश
की राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर, उनकी सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने
कहा कि मोदी जी की सरकार केवल 15-20 बड़े उद्योगपतियों के लिए
काम कर रही है। राहुल ने यहां लगभग साढ़े तीन घंटे के रोड शो के बाद भेल दशहरा मैदान
में प्रदेश-भर से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए
राफेल सौदे, गैर-सम्पादित अस्तियां
(एनपीए), नोटबंदी, वस्तु
एवं सेवा कर (जीएसटी) आदि को लेकर केंद्र
सरकार पर आरोप लगाए। राहुल गांधी ने एनपीए की चर्चा करते हुए आरोप लगाया कि पिछले साल
मोदी सरकार ने देश के 15 उद्योगपतियों का डेढ़ लाख करोड़ रुपए
का कर्जा माफ किया। वह पांच हजार रुपए के कर्जदार किसान को चोर कहते हैं, लेकिन हजारों करोड़ रुपए का कर्ज वापस नहीं करने वाले विजय माल्या,
नीरव मोदी, मेहुल चोकसी उनके दोस्त हैं। उन्होंने
कहा कि साढ़े 12 लाख करोड़ रुपए का एनपीए है। आपका पैसा माल्या
जैसों की जेब में जा रहा है। गांधी ने राफेल सौदे में मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा
कि उन्होंने इसका ठेका हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड (एचएएल)
से छीनकर अपने दोस्त उद्योगपति अनिल अंबानी को दे दिया। अंबानी पर बैंकों
का 45 हजार करोड़ रुपए का कर्जा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर
उद्योगपतियों को बचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले तीन-चार
साल के दौरान प्राय देखा गया है कि उद्योगपतियों के खिलाफ जहां भी जांच शुरू होती है,
सरकार हस्तक्षेप कर मामले को जल्द बंद करा देती है। कांग्रेस प्रवक्ता
जयराम रमेश ने सोमवार को नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी सरकार किस
ढंग से उद्योगपति गौतम अडानी को बचा रही है जगजाहिर है। रमेश ने कहा कि राजस्व सतर्पता
निदेशालय (डीआरआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार
अडानी समूह पर ऊर्जी उपकरणों की खरीद में 6600 करोड़ रुपए की
हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया। डीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि उपकरणों को
उनकी लागत मूल्य से 6600 करोड़ रुपए ज्यादा के मूल्य पर खरीदा
गया है। उन्होंने कहा कि डीआरआई की रिपोर्ट के आधार पर अडानी समूह के खिलाफ कार्रवाई
होनी चाहिए थी लेकिन दबाव में सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने कह दिया कि जांच रिपोर्ट
में कुछ भी नहीं है और लगाए गए कोई भी आरोप सही नहीं है। डीआरआई द्वारा इसकी जांच
2014 से की जा रही थी। इसी तरह गुजरात में भी अडानी को बचाने का प्रयास
हुआ है। वहां अडानी समूह ने 2007 में राज्य सरकार के साथ समझौता
किया था कि वह दो रुपए 40 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध
कराएगा। बाद में कंपनी करार से मुकर गई और मदद मांगने लगी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
तो अदालत ने कह दिया कि जो करार हुआ है उसी के आधार पर बिजली देनी होगी, लेकिन राज्य सरकार न्यायालय के फैसले के विरुद्ध कंपनी को राहत देने पर सहमत
हो गई। रमेश ने कहा कि गुजरात सरकार के इस फैसले से अगले 30 साल
तक ऊर्जी क्षेत्र की तीन कंपनियों को एक लाख 30 हजार करोड़ रुपए
का फायदा होगा और बैंकों को हर साल इसके कारण 18 हजार करोड़ रुपए
का नुकसान होगा।
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