Saturday 8 September 2018

रियल एस्टेट में आम्रपाली जैसा फ्रॉड नहीं देखा

लोगों से पैसा लेकर अपनी आवासीय योजनाओं को अधूरा छोड़कर हाथ खड़े करने वाली रियल एस्टेट कंपनियां बढ़ती ही चली जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे तमाम बिल्डरों को बार-बार फटकार लगाई है पर उसका असर नहीं हो रहा। ताजा उदाहरण रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह का है। 42 हजार खरीददारों को फ्लैट देने में नाकाम आम्रपाली ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि यह बहुत बड़ा फ्रॉड है। रियल एस्टेट में हमने पहले कभी ऐसा फ्रॉड नहीं देखा। अगर 100 लोगों को भी जेल भेजना पड़े तो हम भेजेंगे। जस्टिस अरुण मिश्रा और यूयू ललित की बैंच ने साफ कहा कि एक भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। आम्रपाली ग्रुप के अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन (एनबीसीसी) ने कोर्ट के समक्ष हामी भर ली है। लेकिन इसमें वह पैसा खर्च नहीं करेगा। एनबीसीसी की ओर से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने बैंच को बताया कि सभी प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए 8500 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। जस्टिस मिश्रा ने आम्रपाली ग्रुप के वकील से पूछा कि क्या आप सारी सम्पत्तियां एनबीसीसी को सौंप सकते हैं? आम्रपाली की सारी सम्पत्तियों को बेचने के बाद भी 2038 करोड़ रुपए कम पड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से कहा कि हम आपको प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए जरूरी फंड मुहैया करवाएंगे, साथ ही आम्रपाली से कहा कि वह एनबीसीसी के प्रस्ताव के बारे में जवाब दाखिल करे। एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ने अदालत को बताया कि फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) बेचने से करीब 2100 करोड़ रुपए आ सकते हैं। ऐसा करने से प्रोजेक्ट्स पूरे हो सकते हैं। इन डिफॉल्टर बिल्डरों के केसों में सुनवाई तारीख पर तारीख का उदाहरण नहीं बननी चाहिए, क्योकिं गैर-जिम्मेदार रियल एस्टेट कंपनियों की मनमानी के शिकार लोग धैर्य खो रहे हैं। वह जिन उम्मीदों के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं वह यथाशीघ्र पूरी होनी चाहिए। समय पर अपनी परियोजनाएं पूरी न करने वाली रियल एस्टेट कंपनियों में कई ऐसी हैं जो अपने-अपने फ्लैट, विला आदि का इंतजार कर रहे लोगों के साथ-साथ बैंकों के पैसे भी हड़प कर गई हैं। इन सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। माना जा रहा था कि रेरा के नाम से चर्चित रियल एस्टेट संबंधी कानून के प्रभावी होने के बाद लोगों को अपने घर के सपने दिखाकर मनमानी करने वाली कंपनियों पर लगाम लगेगी, लेकिन यह निराशाजनक है कि ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है। ऐसा लगता है कि रियल एस्टेट कंपनियों ने इस कानून से भी बचने के लिए लूपहोल निकाल लिए हैं। एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली-एनसीआर, मुंबई समेत सात प्रमुख शहरों में पांच लाख से अधिक फ्लैट तय अवधि गुजर जाने के बाद भी पूरे नहीं हो पाए हैं।
-अनिल नरेन्द्र


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