इंडोनेशिया के जकार्ता
शहर में सम्पन्न हुए एशियन गेम्स भारत के लिए इसलिए उल्लेखनीय रहे क्योंकि जहां कुल
पदकों के लिहाज से यह हमारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा, वहीं स्वर्ण पदकों के मामले में हमने 1957 के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी की। भारत ने इस बार 15 स्वर्ण और 24 रजत पदक से 69 पदक
जीते हैं। इससे पहले सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड 2010 के ग्वांगझू
खेलों में 65 पदक का था। इन 15 स्वर्ण पदक
जीतने में हमें 67 साल लग गए हैं। इन खेलों से दो सकारात्मक बातें
निकल कर आई हैंöपहली भारतीय प्रदर्शन का आगे बढ़ता ट्रेंड और
दूसरी इस बार युवा खिलाड़ियों ने मोर्चा संभालकर देश को इस मुकाम तक पहुंचाया। इन खेलों
में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन एथलेटिक्स में रहा जहां हमारे खिलाड़ियों ने सात
स्वर्ण समेत कुछ 19 पदक जीते। ऐसे ही निशानेबाजी में दो स्वर्ण
सहित नौ पदक हमारी झोली में आए। हालांकि विफलताएं भी कम नहीं रहीं, जैसे कबड्डी में हमारी बादशाहत ईरान ने छीन ली, कुश्ती
में दो बार ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार पहले ही राउंड में बाहर हो
गए। पुरुषों की हॉकी में तमाम लीग मैच जीतने के बाद वह भी रिकॉर्ड गोलों से हम फाइनल
तक नहीं पहुंच सके और कांस्य से ही संतोष करना पड़ा। महिला हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन
किया पर फाइनल में जापान के हाथों हारने से अफसोस हुआ। चूंकि ग्वांगझू के एशियन गेम्स
में भारत के बेहतर प्रदर्शन का प्रभाव दो साल बाद हुए ओलंपिक में दिखा था। ऐसे में
जकार्ता में उल्लेखनीय प्रदर्शन की छाप दो साल बाद होने वाले टोक्यो ओलंपिक में दिखने
की स्वाभाविक ही उम्मीद रखनी चाहिए। भारत ने इस बार 20-22 ऐसे
खेलों में करीब 228 खिलाड़ी भेजे, जहां
एक भी पदक नहीं मिला। इस मामले पर ध्यान देने की जरूरत है। सोचने की बात यह भी है कि
भारत से कई छोटे देशों ने हमसे ज्यादा पदक जीतने में सफलता पाई? चीन की बात छोड़ दें तो जापान, दक्षिण कोरिया,
इंडोनेशिया, उज्बेकिस्तान, ईरान और चीनी ताइपे ने हमारे से ज्यादा पदक जीते। पदक-तालिका में भारत का आठवां स्थान रहा। अगर यह देश खेल की दुनिया में इतना अच्छा
प्रदर्शन कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते? फर्प सिर्प सुविधाओं
में है। टैलेंट हमारे पास भी है पर पर्याप्त सुविधाओं का अभाव है। अधिकतर मैडल जीतने
वालों को अपनी खुद की योग्यता, अभ्यास था जिसकी वजह से वह जीते।
टीम एफर्ट में कमी है। सरकार और खेल फैडरेशनों को इस ओर खास ध्यान देना होगा। अभी से
टोक्यो ओलंपिक की तैयारी करने में जुट जाना चाहिए। इन होनहार खिलाड़ियों को पूरी-पूरी सुविधा मिलनी चाहिए। जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को बधाई।
-अनिल नरेन्द्र
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