Tuesday, 30 December 2025

रेप पीड़िता को मिला न्याय

 
उन्नाव दुष्कर्म मामले में आरोपी कुलदीप सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली राहत को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर रेप पीड़िता को न्याय दिया है। यह अत्यन्त दुख और चिंता का विषय है कि कानूनी नुक्तो का फायदा उठाकर बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के दोषी को भी कई बार रियायत दे दी जाती है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबलिक लड़की से बलात्कार के मामले में वर्ष 2019 में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्र कैद की सजा हुई थी। अदालत ने भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार के मामले और बच्चे-बच्चियों के यौन शोषण से सुरक्षा के कानून पॉस्को में गंभीर हिंसा के प्रावधानों के मुताबिक सजा दी थी। तब यह घटना देश भर में व्यापक चिंता और आाढाsश का कारण बनी थी। मगर दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर की सजा निलंबित करने का आदेश दे दिया। इस संदर्भ में एक अहम तथ्य यह है कि दोषी सिद्ध होने के बाद निचली अदालत ने साफ कहा था कि सेंगर को जीवन भर जेल में रहना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2017 के इस उन्नाव दुष्कर्म मामले में निष्कासित भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की जेल की सजा निलंबित करके उन्हें जमानत दे दी। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर गई और न्याय की दुहाई मांगने पर मजबूर हो गई। पीड़िता के परिवार और अन्य महिला कार्यकर्ताओं ने पावार को दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर सेंगर की जमानत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और अपनी नाराजगी जाहिर की। जनता के विरोध को देखते हुए सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पावार को ही सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के वकील ने भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी से संबंधित एक मामले में यह अभिनिर्धारण किए जाने का हवाला दिया कि एमपी और एमएलए लोक सेवक होते हैं। मात्र इसी दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने सेंगर को मिले दिल्ली हाईकोर्ट से राहत को निरस्त कर दिया और यह निश्चित हो गया कि अब सेंगर को आजीवन जेल में ही रहना होगा। अधिवक्ता अंजले पटेल और पूजा शिल्पकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई। उन्होंने तर्क दिया है कि हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर विचार किए बिना आदेश पारित किया कि ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि सेंगर को अपनी शेष प्राकृतिक जीवन अवधि तक जेल में रहना चाहिए। हाईकोर्ट ने सेंगर को जमानत सजा निलंबन देने में कानून और तथ्यों में गंभीर त्रुटि की है, जबकि इसे गंभीर आपराधिक अतीत और दुष्कर्मों के घृणित अपराधों में उसकी स्थापित संलिप्तता को ध्यान में नहीं रखा गया। दरअसल इस घटना के बाद पीड़िता को जिन हालात का सामना करना पड़ा और उसको जीवन तक पर जिस तरह के जोखिम खड़े हुए थे, वे बेहद अप्रत्याशित हो मगर उससे साफ था कि जघन्य अपराधों के बाद एक ऊंचे राजनीतिक रसूख वाला आरोपी पीड़िता को खामोश करने के लिए किस हद तक जा सकता है। इस दौरान पीड़िता के पिता की जान चली गई। एक ट्रक ने उस कार को टक्कर मार दी, जिसमें वह परिवार के अन्य लोगों के साथ जा रही थी। उस घटना में पीड़िता और उसका वकील बुरी तरह घायल हो गए, जबकि उसकी दो मौसियों की मौत हो गई। समझा जा सकता है कि इस पूरे मामले में पीड़िता को किस तरह के हालात का सामना करना पड़ा। जब किसी रसूख वाले अपराधी की सजा को लेकर रियायत बरतने की खबर आती है, तब यह समझना मुश्किल हो जाता है कि आखिर कानून के काम करने के पैमाने क्या हैं? कहा जाता है कि न्याय केवल होना नहीं चाहिए, बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता को न्याय देने के उद्देश्य से आरोपी की सजा को बहाल कर दिया जो स्वागत योग्य है। 
-अनिल नरेन्द्र

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