Thursday, 4 December 2025

पुतिन की यात्रा क्यों अहम है


रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसम्बर को भारतीय राजकीय दौरे पर आ रहे हैं। ये साल 2021 के बाद पहली बार होगा जब ब्लादिमीर पुतिन भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत में होंगे। भारत और रूस के बीच एक विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी है। दोनों ही राष्ट्र कई अहम मौकों पर एक-दूसरे के साथ खड़े हुए नजर आए हैं। राष्ट्रपति पुतिन की इस यात्रा के दौरान भारत और रूस अतिरिक्त एस-400 सिस्टम और सुखोई-57 लड़ाकू विमानों को लेकर रक्षा समझौते पर बात आगे बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा रूस से कच्चे तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर भी वार्ता हो सकती है। राष्ट्रपति पुतिन की ये यात्रा रूस और भारत को परमाणु ऊर्जा, तकनीक और कारोबार के क्षेत्र में अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा का मौका भी देगी। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चार साल बाद यह यात्रा हो रही है बल्कि इसलिए भी है कि लंबे समय से चले आ रहे वैश्विक संघर्ष और अमेरिकी टैरिफ के दबाव से खंडित हो रही वैश्विक भू-राजनीति में यह एक स्वतंत्र और संतुलित विदेश नीति के पक्ष में दोनों देशों का एक रणनीतिक दिशा भी तय कर सकती है। रूस के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने रूस के सरकारी टीवी से बात करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा पर जोर देते हुए कहा है कि ये यात्रा भव्य और कामयाब होगी। राष्ट्रपति पुतिन की ये भारत यात्रा भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता का भी संकेत देती है। यूक्रेन युद्ध के बीच रूस को अलग-थलग करने के पश्चिमी देशों के दबाव को भारत टालता रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ भी लगाए हैं और प्रतिबंध भी लगाए हैं जिससे अमेरिका और भारत के संबंधों पर भी इनका असर पड़ा है। विश्लेषक भी मान रहे हैं कि पुतिन की ये यात्रा भारत और रूस के रक्षा संबंधों को और मजबूत कर सकती है और वैश्विक सुरक्षा को एक नया आकार भी दे सकती है। भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं जो शीत युद्ध के समय से ही चले आ रहे हैं। भारत रूसी हथियारों के सबसे बड़े खरीददारों में से एक है और यह भी नहीं भूला जाना चाहिए कि रूसी एस-400 एयर डिफेंस प्रणाली ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के लिए कितनी उपयोगी रही है। पूर्व राजनयिक मेजर जनरल (रिटायर्ड) मंजीत सिंह पुरी ने कहा, दुनिया के दो अहम देशों रूस और भारत का उच्चतम स्तर पर एक साथ आना खास तौर पर महत्वपूर्ण है। उन्होंने भी कहा कि हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूस से मिले हथियार खासकर एस-400 ने भारत के लिए अहम भूमिका निभाई। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस ने भारत को सस्ते तेल की आपूर्ति बताई जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को राहत मिली। भारत के कुल तेल आयात का 35 फीसदी रूस से होता है, लेकिन दो बड़ी रूसी तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारत को भी इस खरीद में कमी लाने पर मजबूर किया है। लिहाजा ऊर्जा व्यापार के लिए एक स्थायी व स्थिर तंत्र को कायम करना भी इस मुलाकात में चर्चा का विषय हो सकता है, जिसकी अमेरिका पर नजर होगी। एक अमेरिकन विश्लेषक ने कहा कि भारत और रूस दोनों एक-दूसरे के करीब आए हैं क्योंकि दोनों ही अमेरिका से दबाव महसूस कर रहे है। चूंकि भारत-रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है और इस वजह से हाल के महीनों में भारत ट्रंप प्रशासन के निशाने पर है। भारत और अमेरिका के संबंधों में आई गिरावट के बीच भारत का रूस की तरफ से खुलकर हाथ बढ़ाना हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए। पुतिन की नई दिल्ली को इस यात्रा से भारत-रूस दोनों की तरफ से दुनिया को एक संदेश जरूर जाएगा कि दोनों के पास ही शक्तिशाली दोस्त हैं। भारत ने बदलती वैश्विक परिस्थितियों में समायोजित होने के लिए राष्ट्रीय हितों व जरूरतों को वैश्विक साझेदारियों का आधार बनाया है। ऐसे वक्त में जब विश्व बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर अग्रसर है। भारत को रूस के साथ गहरा सहयोग न केवल आर्थिक, रक्षा व सामरिक हितों को मजबूत करेगा बल्कि पूरे विश्व को राजनीति पर असर डाल सकता है। राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत है।
-अनिल नरेन्द्र

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