Tuesday, 24 December 2024
किसानों की मदद के लिए हमेशा याद रहेंगे
पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की विरासत को शिखर तक ले जाने वाले चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को जीवटता, प्रखर वक्ता, किसानों और कार्यकर्ताओं पर मजबूत पकड़ के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनकी गिनती उन नेताओं में होती थी जो जमीनी कार्यकर्ताओं के नाम तक याद रखते थे। कई बार तो कार्यकर्ताओं के घर में रुक जाते थे। हरी पगड़ी ओमप्रकाश चौटाला की पहचान बन गई थी। एक जनवरी 1935 को जन्मे ओम प्रकाश चौटाला चौधरी देवीलाल के सबसे बड़े बेटे थे। श्री चौटाला का राजनीतिक सफर की शुरुआत एक अप्रत्याशित घटना से हुई। 1968 में छोटे भाई प्रताप सिंह के दल बदलने पर कांग्रेस ने उनको टिकट दिया और ओम प्रकाश चौटाला को सिरसा के ऐलानाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में उतारा, मगर वह चुनाव हार गए। चुनाव में धांधली को लेकर वह सुप्रीम कोर्ट गए और चुनाव रद्द कराया। 1970 में ऐलानाबाद विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुआ तो चौटाला कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने। 1989 में जब चौधरी देवीलाल ने देश के उपप्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली तो उन्होंने अपनी सियासी विरासत के लिए ओमप्रकाश चौटाला को चुना। ओमप्रकाश चौटाला भारतीय राजनीति में एक कद्दावर शख्सियत और जाट समुदाय के एक प्रमुख नेता थे। वह कम शिक्षित होने के बावजूद अपनी जबरदस्त राजनीतिक सूझबूझ और हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते थे। एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार में जन्मे चौटाला अपने पिता द्वारा स्थापित पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रमुख थे। चौधरी देवीलाल उपप्रधान मंत्री रहने के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे थे और उन्हें किसानों का मसीहा कहा जाता था। चौधरी ओमप्रकाश चौटाला भी अपने पिता के पदचिह्नों पर चले। 1989 में पहली बार ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। एक जनवरी 1935 को जन्मे चौटाला हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री भी रहे। वह 1989 से जुलाई 1999 तक वह बीच-बीच में मुख्यमंत्री रहे। वहीं 2000 से 2005 के बीच ही उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। इस दौरान भाजपा इनेलो की सहयोगी थी, हालांकि वह सरकार का हिस्सा नहीं थी। वर्ष 1989 में जब चौधरी देवीलाल जनता दल सरकार में उप प्रधानमंत्री बने तो ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने। वह छह बार विधायक भी रहे और 1970 में पहली बार सिरसा के ऐलानाबाद से विधायक चुने गए। यह चौटाला परिवार का गढ़ माना जाता था। मुख्यमंत्री के रूप में अपने पूरे कार्यकाल में चौटाला का सरकार आपके द्वार कार्यक्रम इनेलो सरकार की एक बड़ी उपलब्धि और पहल थी। जब वह मुख्यमंत्री थे। तब हर गांव का दौरा करते रहते थे। लोगों को उनकी जरूरतों के बारे में पूछते रहते थे और उनकी मांगों पर अमल करते हुए उनके सामने ही फैसले लेने में नहीं हिचकते थे। शनिवार को उनकी अंतिम यात्रा में लाखों की भीड़ उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचीं थी जो उनकी लोकप्रियता को दर्शाती है। हमारे परिवार के चौधरी देवीलाल के परिवार से करीबी संबंध रहे हैं। चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और चौधरी देवीलाल कई बार प्रताप भवन आए पिता जी और मुझसे मिलने। हमारे लिए यह बहुत बड़े दुख की बेला है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।
-अनिल नरेन्द्र
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment