Tuesday, 10 June 2025

मस्क बनाम ट्रंप बनाम अडानी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आजकल प्रमुख उद्योगपतियों के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं। पहले बात करते हैं एलन मस्क की। दुनिया के सबसे अमीर शख्स में से एक एलन मस्क और सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच गहरा टकराव हो गया है। दोनों के बीच की असहमति अब पूरी तरह जुबानी जंग में तब्दील हो चुकी है। इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर उनमें तलवारें खींची हुई हैं। मस्क की तरफ से ट्रंप के बार-बार टैक्स बिल के आलोचना किए जाने पर ट्रंप ने बेहद नाराजगी जताई। ट्रंप ने संघीय सरकार के साथ बड़े पैमाने पर होने वाले एलन मस्क के कारोबारी सौदों को लेकर धमकी दी है। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया वेबसाइट पर धमकी देते हए लिखा, अगर बजट में बात करनी है तो इसका सबसे आसान तरीका है एलन मस्क को मिलने वाली अरबों डालर की सब्सिडी और कांट्रेक्ट खत्म कर दिए जाएं। फिलहाल तो ट्रंप और मस्क के झगड़े के बाद मस्क की कंपनी टेस्ला के शेयर गुरुवार को 14 फीसदी गिर गए। हालांकि यह जंग एकतरफा का नहीं थी। ट्रंप के हमले के बाद मस्क ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग लाने तक की बात की और मांग कर दी। मस्क ने पलटवार करते हुए यहां तक कह दिया कि मैं न होता तो ट्रंप चुनाव हार जाते। उन्होंने ट्रंप पर बेवफाई का आरोप भी लगाया। यही नहीं मस्क ने कहा कि अब नई पार्टी बनाने का समय आ गया है जोकि 80 प्रतिशत लोगों का प्रतिनिधित्व करे। इस टकराव का असर अमेरिका की राजनीति, अंतरिक्ष कार्पामों और वैश्विक टेक जगत पर भी पड़ सकता है। इधर ट्रंप और उनकी एजेसियां भारत के बड़े उद्योगपति गौतम अडानी के पीछे भी हाथ धोकर पड़ी हुई है। अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि अमेरिकी अभियोजक जांच कर रहा है कि क्या भारतीय कारोबारी गौतम अडानी की कंपनियों ने मुद्रा पोर्ट के रास्ते में ईरानी लिक्विडफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का आयात किया था। हालांकि अडानी एंटरप्राइजेस ने एक बयान में इस रिपोर्ट को बेबुनियाद और नुकसान पहुंचाने वाला बताया है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, हमें इस मामले पर अमेरिकी अधिकारियों की ओर से की गई किसी जांच के बारे में जानकारी नहीं है। वाल स्ट्रीट जर्नल ने कहा है कि उसे गुजरात के मुद्रा बंदरगाह और फारस की खाड़ी के बीच चलने वाले टैकरों में कुछ ऐसे संकेत दिखे हैं, जो एक्सपर्ट्स के अनुसार प्रतिबंधों से बचने वाले जहाजों में आम होते हैं। अपनी रिपोर्ट में अखबार ने यह भी कहा कि अमेरिका का न्याय विभाग अडानी समूह की प्रमुख इकाई अडानी एंटरप्राइजेज को माल भेजने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कई एलपीजी टैकरों की गतिविधियों की समीक्षा कर रहा है। ये जांच ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में ईरान से तेल और पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट्स की खरीद पर पूरी तरह रोकने का आदेश दिया था और कहा था कि जो देश या व्यक्ति ईरान से खरीददारी करेगा, उस पर तुरन्त से सेकेंडरी सेक्शंस लगाए जाएंगे। अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा कि एशिया के हमारे सबसे बड़े अमीर शख्स गौतम अडानी अपने खिलाफ अतीत में लगे आरोपों को खारिज करवाने की कोशिशों में जुटे हैं। बीते साल नवम्बर में ही गौतम अडानी पर अमेरिका में धोखाधड़ी और रिश्वत का मुकदमा दायर किया गया था। अखबार ने लिखा है कि ब्रकलिन में अमेरिकी अटार्नी कार्यालय की ओर से की जा रही जांच अडानी के लिए समस्या साबित हो सकती है। वाल स्ट्रीट के अनुसार बीते साल की शुरुआत में अमेरिकी एजेंसियों ने मुद्रा पोर्ट से फारस की खाड़ी जाने वाले जहाजों की गतिविधियों को जांचा था। जहाजों को ट्रैक करने वाले एक्सपर्टस का कहना है कि ऐसे जहाजों में देखा गया है जो आवाजाही के दौरान अपनी पहचान स्पष्ट नहीं रखते। वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट पर अडानी समूह ने बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी है कि अडानी समूह की कंपनियों और ईरान एलपीजी के बीच संबंध का आरोप लगाने वाली वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट निराधार और नुकसान पहुंचाने वाली है। अडानी जानबूझकर किसी भी तरह के प्रतिबंधों से बचने का ईरानी एलपीजी से जुड़े व्यापार में संलिप्तता से साफ इंकार करते हैं। -अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment