Saturday, 28 June 2025

इजरायल-ईरान युद्ध के क्या निकले नतीजे

इजरायल और ईरान के बीच 12 दिनों की जंग के क्या नतीजे निकले? इस जंग में तीन प्रमुख देश शामिल थेö इजरायल, ईरान व अमेरिका। इसके तीन ही प्रमुख किरदार थे... अयातुल्ला अली खामेनेई, बेंजामिन नेतान्याहू और डोनाल्ड ट्रंप। अगर हम किरदारों की बातें करें तो सबसे बड़े हीरो रहे अयातुल्ला खामेनेई। न सिर्फ उन्होंने इजरायल को उनके इतिहास में पहली बार ऐसी मार मारी की उसे अपने असितत्व को बचाने के लिए ट्रंप के आगे भीख मांगनी पड़ी। बता दें कि इजरायल ने 12 दिन के इस युद्ध को दो उद्देश्यों से शुरू किया था। पहला ः ईरान के परमाणु कार्पाम को खत्म करा जाए। दूसरा उद्देश्य था कि ईरान से अयातुल्ला रेजीम को खत्म करके अपने पिठ्ठओं को बैठाना। इजरायल दोनों मामलों में नाकाम रहा। ईरान ने इजरायल सेना पर तबाड़तोड़ जवाबी हमला किया कि उसके अस्तित्व पर ही खतरा हो गया और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए ट्रंप की शरण में जाना पड़ा। रहा सवाल सत्ता परिवर्तन का तो ईरान पहले से कहीं ज्यादा एकजुट हो गया और मजबूत हो गया। इजरायल की मध्य पूर्व में बादशाहत हमेशा के लिए खत्म हो गई। और जहां तक परमाणु कार्पाम रोकने का सवाल है बेशक अमेरिका ने ईरान के कुछ परमाणु संयंत्रों पर जबरदस्त हमले किए पर वह ईरान के परमाणु कार्पाम को खत्म नहीं कर सके। ज्यादा से ज्यादा कुछ महीने पीछे धकेल दिया है। अमेरिकी पेंटागन से जो रिपोर्ट आ रही है, उससे पता चलता है अमेरिका और इजरायल के हमले से ईरान का परमाणु कार्पाम पूरी तरह से नष्ट नहीं हो पाया है। हालांकि ट्रंप इसे फेक न्यूज कहते हैं। अब बात करते हैं इजरायल और नेतान्याहू की। नेतान्याहू ने इजरायल को इतना भारी नुकसान पहुंचाया है जितना उसको 70-75 वर्षों के इतिहास में किसी ने नहीं पहुंचाया। इसने इजरायल के मध्य पूर्व में न केवल धौंस को ही खत्म कर दिया बल्कि दुनिया को यह साबित कर दिया कि वह अभेद देश नहीं, उस पर भी हमले हो सकते हैं। इजरायल की चौधराहट हमेशा के लिए खत्म हो गई है। नेतान्याहू चले तो खामेनेई को हटाने कहीं खुद को न हटना पड़ जाए? अब बात करते हैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की। वह बार-बार झूठे साबित हो चुके हैं पर उनके सीज फायरों (युद्ध विराम) की घोषणाएं भी मजाक बनकर रह गई हैं। उल्लेखनीय है कि संघर्ष के 12वें दिन ट्रंप के सीजफायर ऐलान के कुछ ही घंटों में इजरायल और ईरान ने फिर से हमले करने शुरू कर दिए। यह खुशी की बात है कि फिलहाल युद्ध विराम लागू है, कितने दिनों तक रहता है यह कहना मुश्किल है। जहां तक ट्रंप के सीजफायर की बात है तो आपरेशन सिंदूर संघर्ष को रुकवाने का श्रेय वह अब तक 17 बार ले चुके हैं जबकि यह सत्य नहीं है। ऐसे ही ट्रंप ने रूस-पोन के युद्ध विराम की झूठी घोषणा की थी किन्तु यह संकेत मिलता है कि ट्रंप अपनी सीजफायर घोषणाओं को भी नोबेल पुरस्कार के लिए मजबूत दावेदारी के रूप में पेश करना चाहते हैं। हालांकि तथ्य यह है कि नोबेल पुरस्कार तत्कालिक उपलब्धियों के लिए नहीं, बल्कि दीर्घकालिक शांति प्रयासों के लिए दिए जाते हैं। कुल मिलाकर ईरान और अयातुल्ला का पलड़ा सबसे भारी रहा। मैंने लिखा था कि ईरान बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा यह सत्य होता जा रहा है। -अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment