Tuesday, 2 September 2025

क्या-क्या बोले सरसंघ चालक मोहन भागवत

 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में 26 से 28 अगस्त तक तीन दिवसीय कार्पाम आयोजित हुआ। मोहन भागवत ने देश में रोजगार परिदृश्य, संस्कृत की अनिवार्यता, भारत की अखंडता, हिन्दू-मुस्लिम एकता सहित कई ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बात कही। मैं यहां पर सरसंघचालक द्वारा प्रमुख मुद्दों और उनके जवाबों को प्रस्तुत कर रहा हूं। पाठक स्वयं फैसला कर लें कि मोहन भागवत जी के विचार क्या हैं? उन्होंने कहा, हमारे हिन्दुस्तान का प्रयोजन विश्व कल्याण है। दिखते सब अलग-अलग हैं लेकिन सब एक हैं। दुनिया अपनेपन से चलती है, यह सौदे पर नहीं चल सकती है। धर्म की रक्षा करने से सृष्टि ठीक चलती है क्योंकि जड़वाद बढ़ा और गति पर पहुंच गया, व्यक्तिवाद बढ़ा और अति पर पहुंच गया। 75 साल के बाद क्या राजनीति से रिटायर हो जाना चाहिए? इस सवाल के जवाब में मोहन भागवत ने कहा, मैंने ये बात मोरोपंत जी के बयान का हवाला देते हुए उनके विचार रखे थे। मैंने ये नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या किसी और को रिटायर होना चाहिए....हम जिंदगी में किसी भी समय रिटायर होने के लिए तैयार हैं और संघ हमसे जिस भी समय तक काम कराना चाहेगा, हम संघ के लिए उस समय तक काम करने के लिए भी तैयार हैं। भाजपा और संघ के बीच संबंधों पर भागवत ने कहा, सिर्फ इस सरकार के साथ नहीं, हर सरकार के साथ हमारा अच्छा संबंध रहा है...कहीं कोई झगड़ा नहीं है। उन्होंने कहा, मतभेद के मुद्दे कभी नहीं होते। हमारे यहां विचारों में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद बिल्कुल नहीं है। क्या भाजपा सरकार में सब कुछ संघ तय करता है? यह पूरी तरह गलत बात है। मैं कई सालों से संघ चला रहा हूं, वे सरकार चला रहे हैं, सलाह दे सकते हैं लेकिन उस क्षेत्र में फैसला उनका है और इस क्षेत्र में हमारा। जब सवाल पूछा गया कि भाजपा अध्यक्ष चुनने में इतना समय क्यों लग रहा है तो भागवत ने जवाब दिया, हम तय करते तो इतना समय लगता क्या? हम तय नहीं करते। कुछ पार्टियों के संघ विरोध पर भागरत ने कहा, परिवर्तन होते हुए भी हमने देखा है। 1948 में जयप्रकाश बाबू हाथ में जलती मशाल लेकर संघ का कार्यालय जलाने चले थे...बाद में इमरजेंसी के दौरान उन्होंने कहा कि परिवर्तन की आशा आप लोगों से ही है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से लेकर प्रणब मुखर्जी का पा करते हुए कहा कि वे संघ के आयोजन में आए। उन्होंने अपने मत नहीं बदले, लेकिन संघ के बारे में जो गलत फहमियां थीं वो दूर हुईं। तीन बच्चे होने चाहिए ः भागवत ने कहा कि भारत के हर नागरिक के तीन-तीन बच्चे होने चाहिए। जनसंख्या नियंत्रित रहे और पर्याप्त रहे। इस लिहाज से तीन ही बच्चे होने चाहिए, तीन से ज्यादा नहीं होने चाहिए। जन्म दर हर किसी की तय हो। इसलिए भारत के हर नागरिक को चाहिए कि उनके घर में तीन बच्चे हों। जन्म दर हर किसी की कम हो रही है। हिन्दुओं की पहले से ही कम थी तो ज्यादा कम हो रही है लेकिन दूसरे समुदायों की उतनी कम नहीं थी तो अब उनकी भी कम हो रही है। श्री भागवत जी ने कहा, बाहर से भी जो विचारधारा आई वह आाढामण के कारण आई, वहीं के लोगों ने उनको स्वीकार किया, लेकिन हमारा मत तो सबको स्वीकार करने का है। जो दूरियां बनी हैं उसको पाटने के लिए दोनों तरफ से प्रयास की जरूरत है। ये सद्भावना और सकारात्मकता के लिए अत्यन्त आवश्यक है, जिसे देश को राष्ट्रीय स्तर पर करना पड़ेगा। सरसंघ प्रमुख ने कहा हमारे हिन्दुस्तान का प्रयोजन विश्व कल्याण है। भारत में जितना बुरा दिखता है उससे 40 गुना ज्यादा समाज में अच्छा है। हमको समाज के कोने-कोने तक पहुंचाना पड़ेगा। कोई व्यक्ति बाकी नहीं रहे। समाज के सभी वर्गों में और सभी स्तरों में जाना पड़ेगा। गरीब से नीचे से लेकर अमीर तक के ऊपर तक संघ को पहुंचाना पड़ेगा। ये जल्दी से जल्दी करना पड़ेगा। जिससे सब लोग मिलकर समाज परिवर्तन के काम में लग जाएं। पर्यावरण में पानी बचाओ, सिंगल यूज प्लास्टिक हटाओ और तीसरा पेड़ लगाओ। इसके अलावा सामाजिक समरसता को लेकर काम करना होगा। मनुष्य को लेकर हम जाति के बारे में सोचने लगते हैं। इसको मन से खत्म करना होगा। मंदिर, पानी, श्मशान सबके लिए हैं। उसमें भेद नहीं होना चाहिए। भारत को आत्मनिर्भर होना जरूरी है। स्वदेशी की बात का मतलब विदेशों से संबंध नहीं होंगे ऐसा नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय संबंध और व्यापार चलते रहेंगे, लेकिन इसमें दबाव नहीं होना चाहिए बल्कि स्वेच्छा होनी चाहिए। अंत में भागवत ने कहा नींबू की शिकंजी पी सकते हैं तो कोका कोला और सप्राइट क्यों चाहिए। घर पर अच्छा खाना खाओ, बाहर से पिज्जा की क्या जररूत है? 
-अनिल नरेन्द्र

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