Tuesday, 9 September 2025

चीन से है सबसे बड़ी चुनौती


जब से प्रधानमंत्री एससीओ के लिए चीन की राजधानी बीजिंग गए हैं तब से पूरे देश में एक बार फिर हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे सुनाई देने लगे हैं। हालांकि ट्रंप के दो दिन पहले दिए बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ से फिर देश में असमंजस की स्थिति बन गई है। भक्तों को समझ नहीं आ रहा की ट्रंप की जय-जय करें या शी जिनपिंग की? हमारा मानना है कि चीन कभी भी भारत का भरोसेमंद दोस्त नहीं हो सकता। इस बीच भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) का एक ताजा बयान आया है। जनरल अनिल चौहान ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक कार्पाम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन के साथ अनसुलझा सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती है और पाकिस्तान द्वारा चलाया जा रहा छद्म युद्ध तथा हजारों जख्मों से भारत को लहूलुहान करने की उसकी नीति दूसरी सबसे गंभीर चुनौती है। जनरल चौहान ने इस साल मई में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर का भी पा किया और कहा है कि सेना ने इस दौरान आतंकी शिविरों को तबाह किया था। इस ऑपरेशन में सेना को फैसला लेने की पूरी आजादी थी। जनरल चौहान ने ये टिप्पणी ऐसे समय में की है, जब हाल में चीन के तियानजिन शहर में हुए एससीओ सम्मेलन में भारत और चीन के रिश्तों में गर्माहट के संकेत मिलने की बात की जा रही है। इस सम्मेलन में पाकिस्तान ने भी हिस्सा लिया था। इसी साल जुलाई महीने में भारतीय सेना के डिप्टी चीफ राहुल सिंह ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने भारत की मिलिट्री तैनाती पर नजर रखने के लिए अपने सैटेलाइट का इस्तेमाल किया और पाकिस्तान को इसकी रियल टाइम जानकारी दी थी। यह भी दावा किया गया कि भारतीय सेना सिर्फ पाकिस्तान से नहीं लड़ रही थी, पाकिस्तान तो मुखौटा था, पीछे खड़ा था चीन। हम पाकिस्तान और चीन दोनों से लड़ रहे थे। चीन ने पाकिस्तान को हर तरह के सैन्य उपाम, हथियार मुहैया कराए। कहा जा रहा है कि 80 फीसदी पाकिस्तान के पास जो हथियार हैं वह चीन द्वारा दिए गए हैं। इनमें वे फाइटर और भी हैं जिनको लेकर पाकिस्तान दावा कर रहा है कि उसने भारतीय जेट विमानों को गिराया है। जनरल चौहान ने कहा कि देश के सामने आने वाली चुनौतियां अस्थायी नहीं होती, बल्कि वे अलग-अलग रूपों में बनती है। मेरा मानना है कि चीन के साथ सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती है और आगे भी बनी रहेगी। दूसरी बड़ी चुनौती है पाकिस्तान का भारत के खिलाफ प्राक्सी वॉर जिस की रणनीति है हजार जख्म देकर भारत को कमजोर करना। उधर आर्मी के डिप्टी चीफ ने भी ऑपरेशन सिंदूर में चीन और पाकिस्तान के भारत के खिलाफ मिलकर लड़ने की बात कही थी। भारत-पाक सैन्य संघर्ष को चीन ने एक लाइव लैब की तरह इस्तेमाल किया था। वे देख रहा था कि पाक को दिए गए उसके हथियार कैसे काम कर रहे हैं? चीन को चुनौती बताने वाले जनरल चौहान का बयान ऐसे समय में आया है। जब भारत के खिलाफ ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ का चीन ने विरोध किया है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन भारत के साथ संतुलन बनाए रखना अमेरिकी दबाव के खिलाफ एक ढाल का काम कर सकता है और नई दिल्ली को पूरी तरह वाशिंगटन के रणनीतिक घेरे में जाने से रोक सकता है। यह तात्कालिक हितों का मेल है, कोई गहरा रणनीतिक गठबंधन नहीं, लेकिन दोनों पक्षों के लिए तनाव कम करने का अवसर जरूर है। प्रधानमंत्री मोदी ने सात साल बाद चीन का दौरा किया और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पिछले दस महीनों में पहली द्विपक्षीय मुलाकात थी। हालांकि बर्फ तो पिघली है पर हम इन संबंधों को संकीर्ण लेन-देन वाले नजरिए से देखते हैं। इनके बावजूद यह संबंध विरोधाभास से मुक्त नहीं हैं। चीन पाकिस्तान के साथ अपने गहरे सैन्य और परमाणु सहयोग को बनाए हुए है। ब्रह्मपुत्र पर चीन का विशाल बांध निर्माण और अक्साईचिन से होकर गुजरने वाली नई रेल लाइन भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाती है। शंघाई सहयोग संगठन जैसे बहुपक्षीय मंचों पर बीजिंग ने जम्मू-कश्मीर में हुए हमलों की निंदा वाले बयानों को रोक दिया पर ब्लूचिस्तान हिंसा को प्रमुखता से रखा। इन कदमों से स्पष्ट है कि चीन का मौजूदा रूप सामरिक अवसरवाद पर आधारित है। जिसे भारत-अमेरिका के बीच हालिया तनाव ने बढ़ावा दिया है। चीन भले ही भारत से रिश्ते सुधारने की बात कहे लेकिन उसने अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान का हाथ नहीं छोड़ा है। यह इस बात से समझा जा सकता है कि दोनों देशों ने 8.5 अरब अमेरिकी डालर के 21 समझौतों व संयुक्त उद्यमों पर कुछ दिन पहले ही हस्ताक्षर किए हैं। इसमें चीन-पाक आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के दूसरे चरण की शुरुआत शामिल है। पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की चीन यात्रा के अंतिम दिन गुरुवार को बीजिंग में इन समझौता पर हस्ताक्षर किए गए। 
-अनिल नरेन्द्र

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