Thursday, 11 September 2025

दागदार चुने जन प्रतिनिधि

यह सूचना न केवल चौंकाती है बल्कि हमें सोचने पर मजबूर करती है कि जिन मंत्रियों, सांसदों, विधायकों को हम अपना भाग्य बनाने के लिए चुनते हैं वह अंदर खाते कितने दागदार हैं। उनके खिलाफ कितने गंभीर आरोप लगे हुए हैं। आपराधिक मामलों में भी हत्या, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध के गंभीर मामले शामिल हैं। चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने अपनी नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले आरोपों की लंबी लिस्ट दी है। अभी हाल ही में तीन विधेयक संसद में पेश किए गए थे ताकि गंभीर आपराधिक मामलों में अगर किसी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन भी जेल में रहना पड़े तो उसे स्वत पद मुक्त मान लिया जाए। हालांकि विपक्ष ने इसका जमकर विरोध किया और आशंका जताई गई कि अगर ये कानून बन गए तो उनका दुरुपयोग होगा, जिससे विपक्षियों को निशाना बनाया जाएगा। फिलहाल ये कानून जेपीसी को सौंपा गया है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही इस पर आगे कार्रवाई होगी। पर हम एडीआर की रिपोर्ट की तरफ लौटते हैं। रिपोर्ट के अनुसार देशभर के 302 मंत्री (करीब 47 प्रतिशत) खुद पर आपराधिक केस होने की बात स्वीकार कर चुके हैं। इनमें 174 मंत्री ऐसे हैं जिन पर हत्या, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आरोप हैं वहीं केंद्र सरकार के 72 मंत्रियों में से 29 (40 प्रतिशत) ने आपराधिक केस होने की बात मानी है। एडीआर ने 27 राज्यों, 3 केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के कुल 643 मंत्रियों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया। यानी कि ये सब केस नेताओं ने अपने शपथ पत्रों में दिए हैं, यह सब अपराध उन्होंने खुद स्वीकार किए हैं। एडीआर ने यह भी कहा कि जिस शपथ पत्रों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है वे 2020 से 2025 के बीच चुनावों के दौरान दाखिल हुए थे। इन मामलों की स्थिति बदल भी सकती है। जिन मुख्यमंत्रियों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। उस सूची में सबसे ऊपर तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी हैं जिन पर 89 केस चल रहे हैं। अगला नंबर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन का आता है जिन पर 47 केस चल रहे हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और मोदी सरकार की बैसाखी बने चंद्रबाबू नायडू पर 19 केस चल रहे हैं। कनार्टक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर 13, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर 5, देवेंद्र फणनवीस व भाजपा के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर 4, हिमाचल के सुखविंदर सिंह सुक्खू पर 4, केरल के पी. विजयन पर 2, सिक्किम के पीएस तमांग, भगवंत मान, मोहन मांझी और भजनलाल पर एक-एक केस चल रहा है। पार्टिवार स्थिति कुछ ऐसी है भाजपा के 336 मंत्रियों में से 136 (40 प्रतिशत) पर आपराधिक केस हैं। वहीं 88 (26 प्रतिशत) पर गंभीर आरोप हैं। कांग्रेस के 61 मंत्रियों में से 45 (74 प्रतिशत) पर केस हैं, 18 (30 प्रतिशत) पर गंभीर आरोप हैं। डीएमके के 31 में से 27 (87 प्रतिशत) मंत्री आरोपी हैं, 14 (48 प्रतिशत) पर गंभीर केस हैं। टीएमसी के 40 में से 13 (33 प्रतिशत) पर केस हैं, 8 (20 प्रतिशत) पर गंभीर आरोप हैं। तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के 23 में से 22 (96 प्रतिशत) मंत्री आरोपी हैं। इनमें से 13 (57 प्रतिशत) पर गंभीर केस हैं। आम आदमी पार्टी के 16 में से 11 (69 प्रतिशत) मंत्री आरोपी हैं, 5 (31 प्रतिशत) पर गंभीर केंस हैं। दुखद पहलु तो यह है कि इस हमाम में सभी नंगे हैं। वास्तव में देश में कोई ऐसी पार्टी नहीं है जिसमें आपराधिक दाग वाले नेता न हों। आपराधिक मामलों के आंकड़े यह साफ बताते हैं कि कथित साफ छवि का दावा करने वाले में राजनीतिक दल भी अपने नेताओं पर लगने वाले दाग को गंभीरता से नहीं लेते। वे अगर सबसे पहले कुछ देखते हैं तो यह कि कौन आदमी यह सीट निकाल सकता है भले ही उसकी छवि कुछ भी हो। बहरहाल, एडीआर ने मंत्रियों की औसत संपत्ति के भी दिलचस्प आंकड़े पेश किए हैं कर्नाटक में सबसे अधिक आठ अरबपति मंत्री हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में अमीर नेताओं की संख्या समय के साथ बढ़ती चली जाएगी। यही नहीं चुनाव लड़ना भी महंगा होता जा रहा है। चुनाव लड़ना साधारण व्यक्ति की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। यही वजह है कि ईमानदार, कम साधनों वाले अब विधानसभा, लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना भी नहीं देख सकते और यह हाल सब पार्टियों का है। इसीलिए कहता हूं कि इस हमाम में सब नंगे हैं। -अनिल नरेन्द्र

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