Saturday, 31 May 2025

संघर्ष विराम के बाद भी अनसुलझे सवाल


भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को लगभग 2 सप्ताह होने को जा रहे हैं। बेशक हमने 7 मईं को 22 अप्रैल की पहलगाम आतंकी घटना के बाद पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया। उनके 9 आतंकी अड्डों को नष्ट किया, कईं एयरबेस तबाह किए पर हमारा उद्देश्य पूरा नहीं हुआ।

इतने दिन बाद भी कईं अनसुलझे सवाल पूछे जा रहे हैं। सवाल पूछा जा रहा है कि वो तीन-चार आतंकी कहां हैं जिन्होंने पहलगाम में नरसंहार किया था? आज तक उनका पता नहीं चला कि वह मर गए या जिंदा हैं? कहां है? सरकार की ओर से आज तक कोईं जवाब नहीं मिला। सवाल पूछा जा रहा है कि जिन उद्देश्यों को लेकर हमने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था क्या वह उद्देश्य पूरे हो गए? बेशक हमने जैश और लश्कर-एतै यबा के ठिकानों को नष्ट कर दिया हो, पर क्या यह आतंकवाद की जड़ है। जड़ तो पाक सेना और आईंएसआईं है। पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर का करारा जवाब देते हुए उस जेहादी जनरल आसिम मुनीर को पदोन्नति करके उसे फील्ड मार्शल बना दिया। खबर तो यह भी है कि चीन पाकिस्तान की ऑपरेशन सिंदूर में हुईं क्षति की पूर्ति करने में लगा है।

गोला-बारूद से लेकर ऑर्टिलरी गन, सर्वेलैंस इक्वीपमेंट से लेकर अत्याधुनिक विमान तक देने की कोशिश कर रहा है और हमारा क्या हाल है? चौंकाने वाली बात सामने आईं है कि जब भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने खुलकर कहा कि हमारे को पर्यांप्त लड़ावू विमान नहीं मिल रहे और भारतीय वायुसेना में कम से कम 200 विमानों की कमी है।

उन्होंने चौंकाने वाली बात यह भी कही कि हमें मालूम है कि एचएएल अपनी समय सीमा में विमानों की आपूर्ति नहीं कर सकती? यह सरकार को खुली चुनौती भी है और आलोचना भी। चाहे भाजपा भक्त हों चाहे आम नागरिक हो, सवाल पूछे रहे हैं कि आपने जीती हुईं बाजी क्यों हारी? यहां तक कि भाजपा के भक्त भी कह रहे हैं कि आपने जीत से हार क्यों छीन ली? आप पर कौन सा दबाव था जिसके कारण आपने ऐसा किया? क्या अमेरिकी राष्ट्रपति का कोईं ऐसा दबाव था जिसका आज तक आप जवाब नहीं दे सके। जम्मू-कश्मीर में विश्वास बहाली के लिए वेंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए? आज तक इतने दिन बीतने के बाद भी न तो नंबर बनाए, न दो नंबर या नंबर तीन। उधर उमर अब्दुल्ला बधाईं के पात्र हैं कि वह कम से कम विश्वास बहाली का प्रयत्न तो कर रहे हैं। पर्यंटकों को वापस बुलाने के लिए वह पहलगाम में वैबिनेट बैठक कर रहे हैं, सड़कांे पर साइकिल चला रहे हैं और आपके पास इतना समय नहीं, न ही आपकी प्राथमिकता है कि जम्मू-कश्मीर की जनता को यह विश्वास दिलाएं कि हम आपके इस दुख की बेला में साथ खड़े हैं। पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उसकी मनुस्थिति घायल जानवर की तरह है जो मौका देखते ही फिर झपटा मारेगा। इसलिए हमें पूरी चौकसी रखनी होगी। सेना की जरूरतों को हर हालत में पूरा करना होगा। ऑपरेशन सिंदूर से सियासी फायदा लेने का प्रयास नहीं होना चाहिए। इसका सारा व्रेडिट हमारी पराव्रमी सेना को जाता है और आपके नेता खुलेआम सेना के अधिकारियों की बेइज्जती करने में लगे हैं और आप राजनीतिक हानि-लाभ के चलते उनके खिलाफ वुछ नहीं करते। उम्मीद है कि वेंद्र सरकार इन कमियों को जल्द पूरा करेगी। जय हिंद।

——अनिल नरेन्द्र

Thursday, 29 May 2025

ट्रंप के पाक परस्त होने के पीछे


होने के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के व्रिप्टो कारोबार की गूंज अब पाकिस्तान पहुंच गईं है। रिपोट्र्स के मुताबिक, ट्रम्प और उनके परिवार द्वारा समर्थित व्रिप्टो फर्मो का नया ठिकाना अब पाकिस्तान बनने जा रहा है। इस वंपनी की कमान खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे सलमान शहबाज के हाथों में होगी। दुबईं में बनी एक संदिग्ध ब्लॉकचेन फर्म हाईंलैंड सिस्टम्स के जरिए यह सारा नेटवर्व खड़ा किया जा रहा है। हाईंलैंड सिस्टम्स की मदद से पाकिस्तान सरकार ब्लॉकचेन और व्रिप्टो माइनिग तकनीक विकसित करेगी। वंपनी में ट्रम्प के बेटे एरिक ट्रम्प और पाकिस्तान के टॉप मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर्स भी साझेदार हैं। दरअसल, ट्रम्प के करीबी निवेशक और व्रिप्टो लॉबी पहले से ही अमेरिका में रेगुलेशन की सख्ती से नाराज है। ऐसे में वे ऐसे देशों की तलाश में हैं, जहां नियम ढीले हों और सत्ता से सीधा तालमेल हो। पाकिस्तान इस समय वह गढ़ बनकर उभरा है। आर्थिक अस्थिरता और सरकार की अमेरिका के साथ संबंध सुधारने की तत्परता जैसे कारण पाक को ट्रम्प के वुनबे के लिए व्रिप्टो हब बनाने के लिए एक आदर्श देश बना रहे हैं। बता दें कि शहबाज सरकार व्रिप्टो को वैध करेंसी के रूप में मान्यता देने की भी योजना बना रही है।

वल्र्ड लिबटा फाइनेंशियल (डब्ल्यूएलएफ) ने शहबाज सरकार द्वारा गठित पाकिस्तान व्रिप्टो काउंसिल (पीकेके) से डील की है। डब्ल्यूएलएफ में ट्रम्प वुनबे की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के वुछ महीने पहले ही यह वंपनी लॉन्च हुईं थी। डब्ल्यूएलएफ ने मार्च में यूएसडी 1 नामक स्टेबलकॉइन लॉन्च किया, जो 18 हजार करोड़ के माव्रेट वैप तक पहुंच गया है। डब्ल्यूएलएफ में ट्रम्प खुद चीफ व्रिप्टो एडवोकेट हैं। उनके बेटे एरिक भी शीर्ष पोस्ट पर हैं। इसके अलावा ट्रम्प परिवार की वंपनियों के पास ट्रम्प मीमकॉइन का 80 प्रतिशत हिस्सा भी है, जिसकी वर्थ एक लाख करोड़ तक पहुंच चुकी है। मेलानिया भी अलग मीमकॉइन लॉन्च कर चुकी हैं। वहीं, बेटे एरिक, दामाद जेरेड वुश्नर ने भी व्रिप्टो में बड़ा निवेश किया है। ट्रम्प वुनबे का व्रिप्टो में दांव अब उनके अचल संपत्तियों का बड़ा हिस्सा हो गया है। सलमान की अगुवाईं वाली एसएसआईं टेक्नोलॉजीज पाकिस्तान की सबसे बड़ी सोलर पैनल इंपोर्टर है। अब ये वंपनी हाईंलैंड सिस्टम्स के साथ मिलकर पाकिस्तान में व्रिप्टो माइनिग नेटवर्व तैयार करेगी। दरअसल, व्रिप्टो माइनिग में सबसे ज्यादा खर्च बिजली का होता है। इसी समस्या के समाधान के लिए एसएसआईं टेक्नोलॉजीज को इस नेटवर्व का अहम भागीदार बनाया गया है। सूत्रों के अनुसार, वंपनी पाकिस्तान के सिध और बलूचिस्तान में सोलर फर्म स्थापित करेगी, जिनकी बिजली से माइनिग ऑपरेशंस को चलाया जाएगा। पाकिस्तान व्रिप्टो अपनाने के मामले में अभी दुनिया में नौवें नंबर पर है। अमेरिका से व्रिप्टो ब्लॉकचेन और माइनिग तकनीक विकसित करने को लेकर हुईं डील के बाद इसमें और बढ़त के आसार हैं। अब धीरे-धीरे समझ आ रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान की ओर झुकने और भारत को दिन-रात कोसने का एक कारण। यह नहीं भूलना चाहिए कि ट्रंप के लिए सबसे बड़ा धंधा व्यापार है, पैसा है और यह जहां से भी अर्जित हो सके वे करेंगे।

——अनिल नरेन्द्र 

Tuesday, 27 May 2025

चीन, पाकिस्तानतालिबान की दोस्ती


पाकिस्तानतालिबान की दोस्ती पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक डार अपनी चीन यात्रा पूरी कर चुके हैं। गत बुधवार को बीजिग में इसहाक डार ने अफगानिस्तान के कार्यंकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी और चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। तीनों देशों ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारे (सीपीईंसी) का अफगानिस्तान तक विस्तार करने पर सहमति जताईं है।

पाक विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान में कहा- चीन और पाकिस्तान ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआईं) सहयोग के व्यापक ढांचे के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईंसी) का अफगानिस्तान तक विस्तार करने का समर्थन किया है, चीन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता, संप्राभुता और राष्ट्रीय गरिमा की रक्षा करने का भी समर्थन किया है। भारत सीपीईंसी की आलोचना करता रहा है क्योंकि यह गलियारा पाकिस्तान प्राशासित कश्मीर से होकर गुजरता है। सीपीईंसी चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना का हिस्सा है। इसलिए भारत इसका भी विरोध करता है। यह त्रिपक्षीय बैठक विदेश मंत्री एस. जयशंकर की आमिर खान मुत्तकी से बातचीत के वुछ दिन बाद हुईं है। हालांकि भारत नेअभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। जब इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रावक्ता रणधीर जायसवाल से इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, हमने वुछ रिपोट्र्स देखी है। इसके अलावा हमें इस बारे में और वुछ नहीं कहना है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रावक्ता लिन जियान ने बीजिग में हुईं इस बैठक को अनौपचारिक बताया है। चीन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने राजनयिक संबंधों को आगे बढ़ाने का स्पष्ट रुख व्यक्त किया है। चीन और पाकिस्तान, अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास का समर्थन करता है। चीन साल 2021 में आने के बाद तालिबान सरकार के साथ राजनीतिक संबंध जारी रखने वाले शुरुआती देशों में से एक था। इस मुलाकात को पाकिस्तान की भारत के खिलाफ वूटनीतिक रणनीति और क्षेत्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश के रूप में एक और कदम देखा जा सकता है। चीन-पाकिस्तान और अफगानिस्तान अगर करीब आते हैं तो भारत की विदेश नीति को एक और करार झटका लगता है। वैसे ही आपरेशन सिदूर ने इतना तो साबित कर ही दिया है कि भारत की विदेश नीति, कोर नीति पूरी तरह से असफल ही है। इसका जीता जागत सुबूत है कि आपरेशन सिदूर के दौरान सिवाय इक्का-दुक्का देश के और कोईं देश भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ। माने या न माने हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर बुरी तरह से पेल हो गए है और मोदी जी के लिए एक बोझ बन गए हैं जिन्हें बदलना अति आवश्यक हैं। प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संयुक्त दलों का प्रातिनिधिमंडल विदेश में भारत के स्टैंड को बताने का पैसला सराहनीय है। यह भी अच्छा कदम है कि इस व््राइसिस के समय पूरी पिछली सरकार और वेंद्र सरकार मिलकर काम करें। पाकिस्तान वूटनीति और विदेश नीति में हमारे से बेहतर रहा है। अब अगर चीन-पाक और तालिबान भी एक मंच पर आ जाते हैं तो भारत की चिता और बढ़ जाती है। दुर्भाग्य यह है कि तालिबान सरकार भूल गईं है कि उसके पुनर्निर्माण में भारत ने कितनी मदद की और कर रही है। पर चीन के सामने शायद ही कोईं टिक सके और चीन हमें घेरने में कोईं कसर नहीं छोड़ रहा है।

——अनिल नरेन्द्र 

Saturday, 24 May 2025

छत्तीसगढ़ में मारा माओवादियों का शीर्ष कमांडर



का शीर्ष कमांडर छत्तीसगढ़ के नारायणपुर-बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में 27 नक्सलियों को मार गिराया। सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा बलों ने इस मुठभेड़ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्प बसवराजू को मार गिराया। इस घटना में हमारा एक जवान भी शहीद हो गया। 70 साल के नंबाला केशव राव को नक्सली आंदोलन में बसवराजू के नाम से जाना जाता है। बुधवार को नारायणपुर में पुलिस ने मुठभेड़ में 27 माओवादियों के साथ बसवराजू को मार गिराया। केशव राव का मारा जाना कितना महत्वपूर्ण है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि इसकी अधिकारिक घोषणा बस्तर के किसी पुलिस अधिकारी या राज्य के गृहमंत्री, मुख्यमंत्री ने नहीं की। सबसे पहले देश के गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर केशव राव के मारे जाने की अधिवृत जानकारी दी। वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को एक्स पर पोस्ट किया- नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाईं में एक ऐतिहासिक उपलब्धि आज छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक ऑपरेशन में हमारे सुरक्षा बलों ने 27 खूंखार माओवादियों को मार गिराया है, जिनमें सीपीआईं माओवादी के महासचिव शीर्ष नेता और नक्सल आंदोलन की रीढ़ नंबाला केशव राव उर्प बसवराजू भी शामिल हैं। बस्तर के आईंजी पुलिस सुंदरराज पी कहते हैं वर्ष 2024 में जिस तरीके से सुरक्षा बलों द्वारा नक्सलियों के खिलाफ एक निर्णायक और प्रभावी अभियान संचालित किया गया, उसे 2025 में भी हम लगातार आगे ले जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि माओवादी संगठन के महासचिव, जो सीपीआईं माओवादी का पोलित ब्यूरो मेंबर भी है, मारा गया। एनआईंए से लेकर सीबीआईं और अलग-अलग राज्यों की सरकारों द्वारा केशव राव उर्प बसवराजू पर घोषित इनाम की रकम डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक पहुंच गईं है।

बसवराजू की उम्र करीब 70 साल थी। बसवराजू जितना वुख्यात था उतना ही दुष्ट-दरिंदा भी। वह गुरिल्ला शैली के हमलों के लिए जाना जाता था। यह सराहनीय है कि वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अगले वर्ष मार्च तक माओवाद के खात्मे को लेकर प्रतिबद्ध हैं। इसी कारण ऑपरेशन सिंदूर के समय भी माओवादियों पर प्रहार जारी है। पिछले एक वर्ष में नक्सली कहे जाने वाले माओवादी बड़ी संख्या में मारे गए हैं।

सुरक्षा बलों के दबाव में कईं माओवादियों ने आत्मसमर्पण भी किया है।

यह दबाव कायम रहना चाहिए ताकि वे फिर से सिर न उठा सवें।

माओवादी जिस विषैली विचारधारा से लैस हैं, वह बंदूक के बल पर सत्ता छीनने में यकीन रखते हैं, इसी कारण माओवादी न तो लोकतंत्र मानते हैं और न ही संविधान। वे यह मुगालता पाले हैं कि एक दिन शासन, प्रशासन, न्याय व्यवस्था आदि को पंगू करके भारत पर काबिज हो जाएंगे। अर्बन नक्सल कहे जाने वाले ऐसे तत्वों से सतर्व रहने के साथ यह समझना चाहिए कि माओवादी इन गरीबों, वंचितों के हित की फर्जी आड़ लेते हैं, उनके शत्रु भी हैं। इस शानदार उपलब्धि पर गृहमंत्री, तमाम सुरक्षा बलों को बधाईं।

——अनिल नरेन्द्र 

Thursday, 22 May 2025

आईंएसआईं की जासूस ज्योति मल्होत्रा


हरियाणा और पंजाब पुलिस ने पाकिस्तान की आईंएसआईं को खुफिया जानकारी मुहैया कराने के आरोप में जिन लोगों को हाल ही में गिरफ्तार किया है, उनमें हरियाणा की ट्रैवल ब्लॉगर और यूटाूबर ज्योति मल्होत्रा भी शामिल हैं। हरियाणा पुलिस के मुताबिक ज्योति मल्होत्रा के मोबाइल और लैपटॉप से वुछ संदिग्ध सामग््िरायां मिली हैं। उनके खिलाफ ऑफिशियल सीव््रोटस एक्ट, भारतीय न्याय संहिता धारा-152 के तहत उनकी गिरफ्तारी की गईं। गिरफ्तारी के बाद से ही ज्योति की पाकिस्तान यात्रा की काफी चर्चा हो रही है। ज्योति मल्होत्रा के यूटाूब चैनल और इंस्टाग्राम पन्नों का नाम ट्रैवल विद जो चला रही हैं। उनके यूटाूब चैनल पर 3.79 लाख से ज्यादा सब्सव््राइबर हैं और इंस्टा पर 1.40 लाख फालोअर्स हैं। उन्होंने देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी यात्रा के वीडियोज से लेकर अपनी विदेश यात्रा के कईं वीडियो पोस्ट किए हैं। ज्योति की गिरफ्तारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईंएसआईं से जुड़े जासूसी नेटवर्व के खिलाफ देश की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तेज करने के नतीजे से हुईं है। दावा किया जा रहा है कि ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों एसेट के तौर पर तैयार कर रही थी। ज्योति पर कईं तरह के आरोप लगे हैं। वैसे वो पाकिस्तानी उच्चायोग के संपर्व में आईं और आगे क्या हुआ यह सब डिटेलस मीडिया में आ चुकी है। उन्हें दोहराने की आवश्यकता नहीं है।

काम की बात यह है कि पाक खुफिया एजेंसियों से भी संपर्व में थी और यहां तक दावा किया जा रहा है कि उन्होंने आपरेशन सिदूर की भी खुफिया जानकारी पाक को पहुंचाईं। हिसार के एसपी शशांक वुमार सवान ने रविवार को बताया कि ज्योति पाकिस्तान हाईं कमीशन में तैनात अधिकारी दानिश उर्प एहसान-उर-रहीम के संपर्व में थी। यह संपर्व 22 अप्रौल को पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक के चार दिवसीय सैन्य तनाव के बाद भी बना रहा। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ज्योति के पास सैन्य जानकारी तक सीधी पहुंच थी या नहीं लेकिन पाकिस्तान इंटेलीजेंस आपरेशन के भी सीधे संपर्व में थी। एफआईंआर के अनुसार 2023 में पाकिस्तानी वीजा के लिए आवेदन करते समय वह दानिश के संपर्व में आईं थी। ज्योति ने दो बार पाकिस्तान और चीन की एक बार यात्रा की। पीटीआईं के अनुसार हिसार एसपी का कहना है कि ज्योति पीआईंओ के संपर्व में थी। इंडियन एक्सप्रोस की एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्योति पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने और अपने वंटेंट के जरिए पाकिस्तान की सकारात्मक छवि पेश करने के लिए वहां के हैंडलर्स से सीधे संपर्व में रहने का आरोप है। ज्योति के पिता हरीश वुमार ने बीबीसी को बताया कि पुलिस अधिकारी गुरुवार सुबह साढ़े नौ बजे आए और ज्योति को अपने साथ ले गए। पांच-छह लोग आए और आधे घंटे तक घर की तलाशी ली। जिसके बाद तीन मोबाइल और लैपटॉप धर लिया। उन्होंने कहा मेरी बेटी सरकार की अनुमति से पाकिस्तान गईं थी। उसकी जांच भी की गईं और फिर से वीजा दिया गया जिसके बाद वह पाकिस्तान गईं थी। रिपोर्ट के अनुसार ज्योति के मोबाइल फोन में पाकिस्तान उच्चायोग के कईं अधिकारियों के नंबर मिले हैं। जिनसे वह निरंतर संपर्व में रहती थी और देश की महत्वपूर्ण जानकारी और सूचनाएं उन तक पहुंचा रही थी। हैरान करने वाली बात यह है कि वह देश भक्ति का लबादा ओढ़कर अपनी करतूतों को अंजाम दे रही थी। इन लोगों की गिरफ्तारियां भारतीय एजेंसियों की बहुत बड़ी सफलता है। पर जरूरी है कि ज्योति जैसे पाकिस्तानी एसेट्स को पूरे नेटवर्व को जड़ से खत्म किया जाए। उन लोगों तक भी पहुंचा जाए जिसमें ये लोग संपर्व में थे।

इससे पहले एक महिला समेत दो लोगों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईंएसआईं से जुड़े जासूसी नेटवर्व के खिलाफ हमारी एजेंसियों द्वारा कार्यंवाही तेज करने के नतीजे से हुईं। देश जहां विदेशी ताकतों से लड़ रहा है वहां देश के अंदर से दुश्मन के एसेट्स से पहले निपटा जाए? ——अनिल नरेन्द्र 
 

Tuesday, 20 May 2025

ब्रह्मोस का खौफ

भारत-पाकिस्तान में तनाव के बीच 8-9 मई की रात जब ब्रह्मोस मिसाइल ने रावलपिंडी के एयरबेस तक कहर बरपा दिया तो पाकिस्तान सेना के पैरों तले जमीन खिसक गई। नतीजा यह हुआ कि सैन्य हेडक्वाटर्स को रावलपिंडी से पाक की राजधानी इस्लामाबाद में शिफ्ट करने के बरसों से अटके प्रोजेक्ट में तेजी आ गई। नए जनरल हेडक्वाटर्स (जीएचक्यू) को इस्लामाबाद की मरगला हिल्स की तलहटी में शिफ्ट किया जा रहा है। जीएचक्यू यानी पाकिस्तानी सेना की सीधी रिपोर्टिंग और कमांड पोस्ट यहीं होती है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने मीडिया रिपोर्टें के अनुसार यह स्वीकार किया है कि ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तानी सेना के अड्डों पर भारी नुकसान किया है। ब्रह्मोस को भारतीय सेना का एक ताकतवर हfिथयार माना जाता है। अब तो दुनिया भी ब्रह्मोस की मारक क्षमता को मानने लगी हैं। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, शिप, एयर क्राफ्ट पर जमीन पर कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। भारत ने रूस के साथ एक साझेदारी में ब्रह्मोस को विकसित किया है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ब्रह्मोस मिसाइल की गति ही इसकी सबसे बड़ी खासियत है। यह आवाज की गति से करीब तीन गुना तेजी से उड़ती है। यही स्पीड इसे बहुत ही मारक और दुश्मन के रडार में कभी न पकड़ में आने वाली मिसाइल बनाती है। इसका निशाना इतना सटीक है कि 290 किलोमीटर की दूरी पर भी अपने लक्ष्य से एक मीटर घेरे के अंदर ही गिरती है, यह एक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल का इंजन अंत तक चलता रहता है। इस दौरान यूएवी की तरह ही इसके लक्ष्य को बदला जा सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका सीकर सेंसर इतना घातक है कि एक समान लक्ष्य में से असली लक्ष्य पहचान कर उसे तबाह करने में सक्षम है। इसकी सटीक ड्राइविंग तकनीक कमाल की है, यह मिसाइल सतह से चंद मीटर ऊपर उड़ती हुई सामने आने वाली बाधा को पार कर दुश्मन पर अचानक हमला करने की क्षमता रखती है। इस मिसाइल के निर्माण के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ के तत्कालीन प्रमुख डा. एपीजे अब्दुल कलाम और रूस के उप रक्षामंत्री एनबी मिखाइलोव ने 12 फरवरी 1998 को हस्ताक्षर किए। इसके बाद ब्रह्मोस एयरोस्पेस कंपनी का गठन किया गया। इस समय यही कंपनी मिसाइल का उत्पादन कर रही है। ब्रह्मोस 290 किलोमीटर तक उड़ सकती है इस। यह दस मीटर से पंद्रह मीटर तक की ऊंचाई से उड़ान भरने में सक्षम है। साल 2007 में भारतीय सेना में भी इसे शामिल किया गया। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30 और एमकेआई विमान से हवा से लांच किया जाने वाला संस्करण अपनाया। अभी ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 2900 किलोग्राम है। इसके कारण लड़ाकू विमानों पर एक बार में एक ही मिसाइल लग पा रही है। इसका वजन कम होने के बाद एक ही जगह पांच मिसाइलें लगाई जा सकेंगी। रक्षा मामलों के जानकार कर्नल ओझा (रिटायड) कहते हैं कि भारत को बहुत घातक, सटीक और लंबी दूसरी तक मार करने वाली मिसाइल बना दिया है। उन्होंने बताया कि सुखोई में लगने के बाद इस मिसाइल की मारक क्षमता और भी बढ़ गई है। ऑपरेशन सिंदूर की तीसरी रात पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर कहर बरपाने में ब्रह्मोस की अहम भूमिका रही। सबसे ज्यादा दूरी पर स्थित 6 एयरबेस को सुखोई-30 एमकेआई की अंडरवैली से निकली हवा से सतह मार करने वाली ब्रह्मोस ने निशाना बनाया। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तानी वायुसेना के बेहद सुरfिक्षत ठिकानों को निशाना बनाने की जमीन एक रात पहले ही तैयार कर ली थी। लाहौर स्थित कमांड एंड कंट्रोल सेंटर पर हमले से पाकिस्तानी वायुसेना बहुत हद तक लाचार हो चुकी थी। बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल ने रावलपिंडी में चकलाल स्थित नूरखान एयरबेस पर भी तबाही मचाई थी। यह मौजूदा जीएचक्यू से महज 8 किलोमीटर ही दूर था। जय हिंद। भारतीय वैज्ञानिकों को आज पूरा देश सलाम करता है। जय हिंद। -अनिल नरेन्द्र

पाकिस्तान का कबूलनामा

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना की एयर स्ट्राइक ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद जहां भारत में जश्न का माहौल है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पहली बार कबूल किया है कि भारतीय सेना की ओर से रावलपिंडी के नूरखान एयरबेस पर 9ö10 मई की रात को भारत ने एयर स्ट्राइक किया था। भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक में कई पाकिस्तानी एयरबेस पर मिसाइल से हमले किए थे। शरीफ का यह बयान यौम-ए-तशक्कुर (धन्यवाद) नामक भव्य समारोह में अपने भाषण के दौरान किया। इस्लामाबाद के प्रतिष्ठित स्थल द मॉन्यूमेंट में आयोजित समारोह के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने घटनाक्रम की श्रृंखला का विवरण दिया और उसके बाद भारत के प्रति अपनी प्रतिक्रिया दी। पाक पीएम ने अपने संबोधन में नूरखान एयरबेस पर भारतीय मिसाइल हमले को लेकर भारत के दावे को स्वीकार किया। शरीफ ने कहा, 9 और 10 मई की रात करीब 2.30 बजे सेना प्रमुख ने मुझे बताया कि भारत ने अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों के जरिए हम पर हमला किया है। एक मिसाइल नूरखान एयरबेस पर गिरी और कुछ अन्य मिसाइलें अन्य इलाकों में गिरी। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत की ओर से की गई एयर स्ट्राइक का पूरी ताकत से जवाब देने की अनुमति मांगी थी। भारत की एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों के जरिए हमले किए। पाक प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं उन सभी मित्र देशों का बहुत आभारी हूं जो दुनिया के हिस्से में शांति और युद्ध विराम को बढ़ावा देने में बहुत मददगार रहे हैं। पाक पीएम ने कहा कि मैं राष्ट्रपति ट्रंप को उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा। शरीफ ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में मदद के लिए सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, ईरान, तुर्की, चीन, ब्रिटेन और अन्य देशों का धन्यवाद करता हूं। यह पाकिस्तान की ओर से पहली बार स्वीकार किया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने मिसाइलों से पाकिस्तान के एयरबेसों पर हमला किया।

Saturday, 17 May 2025

परमाणु मुखौटा अब उतर चुका है



पिछले दो दशक से एक मिथक भारत और पाकिस्तान के तमाम टकरावों पर हावी रहा है वह यह कि इस्लामाबाद के पास परमाणु हथियार हैं और हर बार जब किसी आतंकी घटना के बाद भारत जवाबी कार्रवाईं करता था तो पाक परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की धमकी दे देता था और भारत को दुनिया डरा देती थी कि कार्रवाईं को आगे न बढ़ाओ। इस बार के छद्म युद्ध में भी यही हुआ। पर ऑपरेशन सिदूर ने यह साबित कर दिया कि पाकिस्तान का परमाणु मखौटा अब उतर चुका है। इसलिए प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट कहा कि भारत अब कोईं भी न्यूक्लिर ब्लैकमेल नहीं सहेगा। ऑपरेशन सिदूर में भारतीय वायु सेना द्वारा लक्षित सैन्य कार्रवाईं के बाद पाकिस्तान की परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं। विशेष रूप से सरगोधा एयरबेस से सटे हुईं किराना हिल्स क्षेत्र को लेकर। हालांकि भारत ने किसी परमाणु स्थल को निशाना बनाने से इंकार करता आ रहा है, लेकिन अटकले और अंतर्राष्ट्रीय बयान इसको लेकर बढ़ता जा रहा है। भारतीय आव््रामक और रणनीतिक प्राभाव ऑपरेशन सिदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने नूर खान, रफीकी, मुरीद, सुक्कर और सियालकोट जैसे प्रामुख एयरबेस कथित तौर पर प्राभावित हुए और इन हमलों ने पाकिस्तान के रक्षा बुनियादी ढांचे को कमजोर किया। सरगोधा से सटी हुईं किराना हिल्स में पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार छिपा कर रखता है। ऐसा कहा जाता है। किराना हिल्स परमाणु सुविधा के आसपास अटकलें सबसे खतरनाक दावे सोशल मीडिया पर अटकलों से उपजे हैं, जो बताते हैं कि किराना हिल्स परमाणु सुविधा में एक बड़ी घटना हो सकती है। वुछ रिपोर्टो में दावा है कि अमेरिकी राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्राशासन (एनएनएसए) के विमान पाकिस्तान में देखे गए थे, जो परमाणु आपातकाल की संभावना को दर्शाता है। हालांकि इसकी कोईं आधिकारिक पुष्टि नहीं की गईं है लेकिन ऑनलाइन चैट की विशाल यात्रा ने सैन्य विशेषज्ञों और अंतर्राष्ट्रीय पर्यंवेक्षकों को बयान देने पर मजबूर किया है। सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि किराना हिल्स के आसपास के इलाकों से नागरिकों को हटा दिया गया है। अपुष्ट खबरों में कहा जा रहा है कि वुछ नागरिकों को परमाणु रेडिएशन का भी खतरा जताया जा रहा है। आधिकारिक भारतीय प्रातिव््िराया अफवाहों के बावजूद भारत अपने सैन्य इरादों के बारे में खुलकर बता रहा है। एक प्रोस वार्ता के दौरान एयर मार्शल एके भारती ने स्पष्ट किया कि भारतीय वायुसेना ने सरगोधा एयरबेस पर हमला किया है और किसी भी परमाणु स्थल पर जानबूझकर हमला नहीं किया गया। सोशल मीडिया अक्सर अविश्वसनीय होता है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के परमाणु सुरक्षा को लेकर चितित हैं। किराना हिल्स में क्या हुआ यह तो शायद ही पता चले क्योंकि पाकिस्तान हर बात को छिपाता है पर इतना जरूर है कि वुछ तो हुआ है। मुद्दे की बात यह है कि लगता है कि पाकिस्तान की न्यूक्लियर धमकी का असर भारत पर शायद ही हो तभी तो प्राधानमंत्री ने कहा कि भारत पाकिस्तान की न्यूक्लियर ब्लैकमैलिग के सामने न ही झुकेगा और न ही जवाबी कार्रवाईं करने से कतराएगा।
अनिल नरेन्द्र 

Thursday, 15 May 2025

मान न मान मैं तेरा मेहमान


भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे के सैन्य हवाई अड्डों पर हमले और नुकसान पहुंचाने के दावे किए। दोनों देशों के बीत तनाव शीर्ष पर था। इसी बीच अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वैंस सािढय हुए और उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर से बातचीत की। भारत की तरफ से पाकिस्तान के साथ जारी संघर्ष को खत्म करने का ये पहला संकेत था। दोपहर करीब साढ़े तीन बजे पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से फोन पर बात की। इस बातचीत में दोनों देशों में जमीन, वायु और जल क्षेत्र से एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी। इस सहमति की हैरान करने वाली घोषणा न तो भारत के प्रधानमंत्री ने की और न ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने। यह घोषणा दुनिया के स्वयंभू ठेकेदार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को 5.30 बजे अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म सवाल पर किए एक पोस्ट में की। ट्रंप ने अपनी पोस्ट में कहा, मैं आप दोनों के साथ मिलकर यह पता लगाने के लिए बात करूंगा कि क्या कश्मीर के संबंध में कोई समाधान निकाला जा सकता है। भारत और पाकिस्तान दोनों के बीच संघर्ष विराम की घोषणा करते हुए ट्रंप ने दावा किया कि रात भर चली बातचीत में अमेरिका की मध्यस्थता का दावा किया। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम, मैं इसे संघर्ष विराम ही कहूंगा क्योंकि युद्ध तो हुआ ही नहीं जो तीन-चार दिन चला उसे संघर्ष ही कहा जाएगा। देश प्रश्न पूछ रहा है कि क्या राष्ट्रपति ट्रंप का दावा सही है? अगर अमेरिका ने संघर्ष विराम रुकवाने में कोई भूमिका निभाई तो इसमें हमें कोई ऐतराज नहीं है। क्योंकि संभव है कि ट्रंप के पास ऐसी कोई खुफिया जानकारी हो जिससे लगता हो कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की तैयारी में हो। हमें ऐतराज इस बात का है कि डोनाल्ड ट्रंप कौन होते हैं भारत-पाक संघर्ष विराम की घोषणा करने वाले? वो भी जब न तो भारत की तरफ से और न ही पाकिस्तान की तरफ से ऐसी घोषणा हुई। फिर पूरा देश इससे उत्तेजित है कि ट्रंप का यह कहना कि मैं दोनों देशों के साथ बैठकर कश्मीर का मुद्दा हल करवाने की कोशिश करूंगा, क्या इसका मतलब है कि भारत ने कश्मीर के मुद्दे पर अमेरिकी की मध्यस्थता स्वीकार कर ली है? बता दे कि न तो प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के अपने संबोधन में इस पर कोई स्पष्टीकरण दिया है और न ही भारत सरकार ने किसी भी स्तर पर इसका खंडन किया है। पिछले कई वर्षों से भारत का यही स्टैंड रहा है कि यह मामला द्विपक्षीय है जिसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं होगी। शिमला समझौते में इसका साफ पा किया गया है। भारत सरकार को इसका स्पष्टीकरण देना होगा। अभी यह विवाद चल ही रहा था कि डोनाल्ड ट्रंप धमकियों पर उतर आए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच खतरनाक टकराव को रोकते हुए युद्ध विराम में मदद की थी। ट्रंप ने कहा, हमने इसमें बहुत मदद की। मैंने दोनों देशों से कहा कि अगर आप संघर्ष रोकते हैं तो हम व्यापार करेंगे। नहीं तो कुछ नहीं। ट्रंप ने कहा कि अगर दोनों देश युद्ध विराम नहीं करते तो मैं दोनों देशों से व्यापार बंद कर दूंगा और अगर वे मानते हैं तो व्यापार (ट्रेड) बढ़ा दूंगा। ट्रंप ने आगे दावा किया कि दोनों मान गए और युद्ध विराम पर राजी हो गए। उल्लेखनीय है कि ट्रंप का यह पोस्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र को संबोधन के ठीक एक घंटे पहला आया। अमेरिकी राष्ट्रपति को लगता है और कोई काम नहीं है। पिछले तीन दिन से लगातार भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। सबसे अफसोस जनक बात यह है कि इतना कुछ होने के बावजूद भी भारत ने चुप्पी साध रखी है। भारत के सामने पोन जैसे छोटे देश के प्रधानमंत्री जेलेंस्की ने व्हाइट हाउस के अंदर ही ट्रंप को हड़का दिया था और भी कई देशों के प्रमुखों ने ट्रंप को मुंहतोड़ जवाब दिया पर पता नहीं भारत की क्या मजबूरी है जो एक शब्द अमेरिका के खिलाफ नहीं निकलता। रहा सवाल भारत-पाक युद्ध रूकवाने का तो ट्रंप तो रूस-पोन युद्ध भी रूकवा रहे थे और इजरायल और हमास युद्ध भी रूकवा रहे थे? मान न मान मैं तेरा मेहमान। 
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 13 May 2025

पाकिस्तान का भस्मासुर आसिम मुनीर


भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की सहमति शनिवार को शाम 5 बजे हुई। अभी जश्न मनाना आरंभ भी नहीं हुआ था कि इस कहानी और युद्ध विराम के तीन घंटे के अंदर पाकिस्तान ने भारत के विभिन्न राज्यों में ड्रोन हमले शुरू कर दिए और युद्ध विराम की धज्जियां उड़ा दी। पाकिस्तान ने ऐसा क्यों किया? इन पर आंकलन चल रहे हैं। पर हमारा मानना है कि इसके पीछे अगर कोई खासतौर पर जिम्मेदार है तो वह पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनीर और उनके सैन्य कमांडर हैं। पाकिस्तान की आतंरिक स्थिति ठीक नहीं है। क्या यह संभव है कि पाक सेना प्रमुख ने अपनी ही सरकार और प्रधानमंत्री के फैसले का विरोध करके हमले जारी रखे? जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी तो सेना प्रमुख उसका खुला उल्लंघन दर्शाता है कि पाक सेना प्रमुख प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की बात, उनके फैसले को नहीं मानते। दरअसल इस सारी लड़ाई के पीछे आसिम मुनीर ही हैं। उसने अपनी नीयत पहलगाम हमले से पहले ही जाहिर कर दी थी। जब उसने 17 अप्रैल को दिए गए अपने भाषण में कहा कि पाकिस्तान कश्मीर से लेकर जीवन शैली तक हर मामले में हिन्दुओं से अलग है। इस भाषण में जनरल मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। माना जा रहा है कि इसी भाषण के बाद पहलगाम हमला हुआ। इस हमले की सारी भूमिका मुनीर ने ही बनाई थी और इसको अंजाम भी उसने दिलवाया। भारत को याद रखना चाहिए कि कश्मीर पाकिस्तान के गले की नस नहीं है जैसा कि मुनीर यकीन दिलाते हैं। असल में नस तो ब्लूचिस्तान और सिंध हैं। कश्मीर तो बस उस नैरेटिव को बनाएं रखना चाहता है। अगर ऐसा न होता तो पहलगाम पर हमला क्यों करवाता जहां पर पर्यटकों को निशाना बनाकर कश्मीरियों की रोटी रोजी पर लात मार दी? कहा जा रहा है कि नवम्बर 2022 में सेना प्रमुख बने मुनीर नवम्बर 2025 के बाद किसी भी कीमत पर एक्सटेंशन पाने की जुगाड़ में हैं। भारत के साथ एक सीमांत सीमित युद्ध पर उसके खिलाफ एक बड़ा आतंकवादी हमला उन्हें उस मकसद तक पहुंचा सकता है। जाहिर है, पाकिस्तानी सेना भारत के खिलाफ सस्ते युद्ध के एक साधन के रूप में जिहाद का इस्तेमाल जारी रखने वाली है। पाकिस्तान की आतंरिक स्थिति ठीक नहीं है। इस समय पाकिस्तान में कई फैक्टर काम कर रहे हैं। चीन उसके पीछे सीधे तौर पर खड़ा होता ना दिखे पर वो अपने हथियारों के जरिए मुनीर की मदद कर रहा है। भारत-पाकिस्तान के बीच छिड़े युद्ध में अब खुलकर चीनी हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है। लड़ाकू विमान से लेकर सर्विलांस यंत्र के साथ-साथ चीनी राइफलों का भी भारत सीमा पर इस्तेमाल हो रहा है। पाकिस्तान भारत का मुकाबला करने की कोशिश में चीन में निर्मित एसएच-15 आर्टिलरी का भी इस्तेमाल कर रहा है। इसी चाइनिज गन के सहारे पाकिस्तान भारत के पोस्ट और सीमावर्ती गांवों को निशाना बना रहा है। दूसरा फैक्टर है तुर्की पाकिस्तान ने भारत के अलग-अलग हिस्से में बड़े पैमाने पर ड्रोन्स का इस्तेमाल किया है और कर रहे हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना द्वारा गुरुवार की रात सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाते हुए 300 से 400 ड्रोन छोड़े गए। और ड्रोन से हमले अभी भी जारी हैं। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि ये ड्रोन तुर्की के एसिसगार्ड सोनगर ड्रोन हैं। सोनगर ड्रोंस हथियार ले जाने में सक्षम यूएवी यानि मानव रहित हवाई वाहन है जिसे तुर्की ने डिजाइन और विकसित किया। पता नहीं कि तुर्की ने कितने हजारों ड्रोन पाकिस्तान को दिए हैं जिनका पूरा इस्तेमाल जनरल मुनीर भारत के खिलाफ कर रहा है? तुर्की की सैन्य मदद के अलावा एक तीसरा फैक्टर भी पाकिस्तान में काम कर रहा है वह है हमास के लड़ाकू। कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए अब हमास भी एक्टिव है। हमास के अनुभवी कमांडर अब जैश-ए-मोहम्मद के साथ मिलकर भारत पर हमले कर रहे हैं। जैश के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में हमास के लड़ाकू देखे गए हैं। जिस तरीके से भारत पर ड्रोन से हमले हो रहे हैं इसी तरह हमास इजरायल में ताबड़तोड़ हमले करता रहा है। इन हमलों के पीछे सीधे-सीधे हमास का हाथ नजर आ रहा है। इस साल 5 फरवरी को कश्मीर ]िदवस के मौके पर जैश और लश्कर के जलसे में भी हमास का पॉलिटिक्ल चीफ नजर आया था यह जलसा पीओके के रावलकोट में मनाया गया था। भारत के लिए यह एक खतरनाक और चिंताजनक संकेत हैं। कुल मिलाकर आज पाकिस्तान में सेना प्रमुख आसिम मुनीर की ही चल रही है। यह पाकिस्तान के लिए भस्मासुर साबित होगा। युद्ध विराम तोड़ने पर भारत जबरदस्त जवाबी कार्रवाई करेगा यह मुनीर जानता है। सेना में तख्ता पलट भी हो सकता है, शाहबाज शरीफ का तख्ता भी पलट सकता है। कुछ भी हो सकता है। हमें 24 घंटे चौंकन्ना रहना होगा। न हम अमेरिका पर विश्वास करें और पाकिस्तान की तो बात ही न करें। हमारी सेना मुंहतोड़ जवाब देगी। जय हिंद!

-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 10 May 2025

दुनिया ने देखा सिंदूर का शौर्य


जब पाकिस्तान ने पहलगाम के बैसरान पर निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या नाम पूछकर की तो उसके पीछे उनकी नापाक नीति थी। भारत में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द को बिगाड़ दें और दंगे करवा दें ताकि देश हिंदू-मुस्लिम में बंट जाए पर हुआ इसका उल्टा। आज सारा देश एक है और चाहे वे सियासी पार्टियां हो, भारत की तमाम जनता हो वह सब अपनी बहादुर सेना के पीछे चट्टान की तरह खड़ी है। और रही पाकिस्तान की तो उसे शायद अब समझ आ रहा हो कि सिंदूर उजाड़ने की कितनी भारी कीमत अदा करनी पड़ रही है। सबसे पहले मैं अपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने न केवल अभूतपूर्व साहस दिखाया हमारी सेनाओं को जवाबी कार्रवाई करने की खुली छूट दी बल्कि पूरे ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा। सूत्रों ने कहा आतंकवादियों ने पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी जिनमें सभी पुरुष थे और उन मृतकों की पीड़ित पत्नियों को ध्यान में रखते हुए जवाबी अभियान के लिए ऑपरेशन सिंदूर नाम सबसे मुफीद समझा गया। यह न केवल एक सैन्य जवाबी कार्रवाई है बल्कि यह भारत की नारी शक्ति के सम्मान और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। सैन्य कार्रवाई की प्रेस ब्रीफिंग करने में भी विशेष ध्यान रखा गया। प्रेस ब्रीफिंग के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी (मुस्लिम) और विंग कमांडर व्योमिका सिंह (हिंदू) को खासकर चुना गया ताकि पूरी दुनिया को यह संदेश जाए कि भारत एक है और नारी शक्ति के साथ खड़ा है। जिस किसी ने भी यह फैसला किया वह बधाई का पात्र है। जब जंग छिड़ती है तो दोनों तरफ के निर्दोष नागरिक मारे जाते हैं। पाकिस्तान ने जानबूझकर सोची-समझी रणनीति के तहत या यूं कहे बौखलाहट में भारत के सिविलियन इलाकों पर हमले किए हैं जिसमें बहुत से निर्दोष नागरिक मारे गए हैं। पर यह कीमत तो चुकानी होगी। आए दिन इन आतंकी हमलों में भी तो निर्दोष मारे जाते हैं। इसलिए बेहतर रणनीति यही है कि इस बार आतंकवाद और उनके प्रायोजकों को ही खत्म किया जाए। कई आतंकी अड्डों को तबाह कर दिया गया है पर असल समस्या पाकिस्तान सेना और उसकी आईएसआई है। जब तक इनको ऐसी जबरदस्त चोट न पहुंचाई जाए तब तक यह समस्या निपटने वाली नहीं। हमें खुशी है कि भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सीधे हमले किए हैं और कइयों को तबाह किया है। ऑपरेशन सिंदूर का पहला निशाना पाकिस्तान में जैश-ए-मुहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तैयाब के मुख्यालय और आतंकी प्रशिक्षण शिविर थे जिन्हें तबाह कर दिया गया है। अब सारे हमले पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर किए जा रहे हैं। गौरतलब बात यह है कि भारत ने किसी आम नागरिक या सिविलियन इलाकों पर हमले नहीं किए बल्कि सिर्फ सैन्य ठिकानें पर। ऑपरेशन सिंदूर के लिए भारतीय सेना ने हर लक्ष्य का चयन विश्वसनीय इंटेलिजेंस सूचनाओं के आधार पर किया। पहलगाम के 15 दिनों बाद जवाबी कार्रवाई कर पाकिस्तान को सुधरने का पूरा मौका दिया गया यानी पाकिस्तान अपनी गलती सुधारे और अपनी जमीन पर पल रहे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का पूरा मौका fिदया गया। पर जब पाकिस्तान ने सुधार की जगह उल्टा धमकियां देनी शुरू कर दी तो जवाब देना जरूरी हो गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से जब भारतीय हमलों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा हमने हनुमान के उस आदेश का पालन किया है जो उन्होंने अशोक वाटिका उजाड़ते समय दिया था। जिन मोहि मारा, तिन मोहि मारे अर्थात केवल उन्हीं को मारा है जिन्होंने हमारे मासूमों को मारा है। आज पूरा भारत देश एक है। लड़ाई तो सेना लड़ती है पर पीछे खड़ा होता है पूरा मुल्क। आज पूरा देश अपनी बहादुर सेना के पीछे खड़ा है और अपने जबाजों की बहादुरी पर सबको गर्व है। जय हिंद। 
-अनिल नरेन्द्र

Thursday, 8 May 2025

पहले ही मिल गई थी हमले की खुफिया जानकारी


पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई। जिनमें 25 पर्यटक थे और एक स्थानीय, मरने वाले सभी 24 पर्यटक हिन्दू समुदाय से थे। अब इस मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि सुरक्षा एजेंसियों को हमले की आशंका पहले से ही थी, लेकिन लोकेशन और तारीख को लेकर अनुमान गलत साबित हुआ। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार खुफिया ब्यूरो (आईबी) और अन्य एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर व स्थानीय सुरक्षा अधिकारियों को आगाह किया था कि पर्यटकों को निशाना बनाकर आतंकी हमला हो सकता है। यह अलर्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 19 अप्रैल को होने वाली श्रीनगर यात्रा के मद्देनजर किया गया था। इसके बाद श्रीनगर और आसपास के इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी, खासकर उन जगहों पर जहां पर्यटक अधिक आते हैं, जैसे डाचीगाम नेशनल पार्क। हालांकि मौसम खराब होने की वजह से प्रधानमंत्री की यह यात्रा रद्द कर दी गई थी। इसके ठीक बाद आतंकी 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन इलाके में हमला कर बैठे। यह इलाका श्रीनगर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है और पूरे साल खुला रहता है। अमरनाथ यात्रा के दौरान ही इसे बंद किया जाता है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया दस में से नौ बार ऐसे अलर्ट बेकार जाते हैं, लेकिन इस बार पर्यटकों को लेकर चेतावनी सही थी। इसमें मुश्किल हिस्सा होता है कि हम सही जगह की पहचान करें। इस बार वह गलत हो गई। उन्होंने पुष्टि की कि सेना और सिविल सुरक्षा बलों को प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान श्रीनगर के निकट किसी पर्यटन स्थल पर हमले की आशंका को लेकर सतर्क रहने के निर्देश दिए गए थे। अब जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो यह स्पष्ट है कि आतंकी प्रधानमंत्री की यात्रा रद्द होने का इंतजार कर रहे थे। सबसे बड़ी चूक बैसरन क्षेत्र में संभावित हमले की आशंका न जता पाने की रही, जो साल भर खुला रहता है और केवल अमरनाथ यात्रा के दौरान बंद होता है। एक अधिकारी के अनुसार स्थानीय दो आतंकवादियों ने पर्यटकों को एक ओर खदेड़ा जब]िक विदेशी आतंकियों ने गोलियां चलाईं। चूंकि इस स्थल पर प्रवेश और निकास एक ही निर्धारित स्थान से होता है। पर्यटकों के लिए भागना मुश्किल हो गया। यह अब स्पष्ट है कि आतंकी क्षेत्र में पहले से ही रह रहे थे और अब भी इलाके में सािढय हैं। अधिकारियों के मुताबिक सबसे बड़ी चूक स्थानीय खुफिया एजेंसियों की थी। जो इस उपस्थिति और योजना को भांपने में नाकाम रही। समय आ गया है कि अब पाक प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए जाएं। सारा देश भारत की जवाबी कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहा था। भारत के लोगों का गुस्सा अभी उफान पर है। भारत ने अभी तक जो दंडात्मक कदम उठाए हैं, उनसे ऐसा नहीं लगता कि जपोश में किसी तरह की प्रभावी कमी आई है। स्वयं प्रधानमंत्री ने, भाजपा नेताओं ने और मेन स्ट्रीम मीडिया ने जो वातावरण बनाया है, उसमें यह अपेक्षा निहित है कि पाकिस्तान को ऐसा दंड दिया जाए जो दंड प्रतीत हो। अगर ऐसा नहीं होता तो जनता के विश्वास को ठेस पहुंचेगी और कहा जाएगा बड़े-बड़े दावे करने वाले अंदर से खोखले निकले। 
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 6 May 2025

क्या कहते हैं पूर्व रॉ प्रमुख दुलत

 
भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख और आईपीएस अफसर अमरजीत सिंह दुलत जो कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में बतौर जम्मू-कश्मीर मामलों के सलाहकार रहे ने पहलगाम हमले पर बीबीसी से एक महत्वपूर्ण बातचीत की। आज के परिप्रेक्ष्य में मेरे विचार में देश को कुछ बातों पर जरूर गौर करना चाहिए। प्रस्तुत है उनके साक्षात्कार के प्रमुख अंश दुलत ने अपने करियर के शुरुआती सालों में बतौर जम्मू-कश्मीर मामलों के सलाहकार के रूप में काम कर चुके हैं और शुरुआती सालों में उन्होंने जे एंड के में 2 इंटेलिजेंस ब्यूरो का काम भी देखा है। दुलत कहते हैं, पहलगाम में जो हुआ वह बहुत बुरा हुआ और उसे सुरक्षा और खुफिया तंत्र की चूक बताया। मुझे लगता है कि पहलगाम हमला एक सिक्यूरिटी फेलियर है। वहां किसी किस्म की सिक्यूरिटी भी नहीं थी। जहां हम इंटेलिजेंस या खुफिया तंत्र की बात करते हैं, वहां हमें समझना होगा कि कश्मीर में जो सबसे जरूरी इंटेलिजेंस है, वह आपको कश्मीरियों से ही मिलेगी। तो कश्मीरियों को अपने साथ रखना बहुत जरूरी है। मैं किसी को दोषी नहीं कहना चाहता लेकिन जे एंड के में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी तो केंद्र सरकार के हाथ में है न कि वहां के मुख्यमंत्री के हाथ में है। तो केंद्र सरकार को देखना चाहिए वहां के एलजी को देखना चाहिए था। पहलगाम के हमले से पहले जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जहां 2020 में 34 लाख से अधिक पर्यटक आए थे। वहीं साल 2023 के खत्म होते-होते ये आंकड़ा दो करोड़ 11 लाख के पार चला गया था। लेकिन क्या चरमपंथी हिंसा में कोई कमी आई? साउथ एशिया टेरिज्म पोर्टल के मुताबिक साल 2012 में जम्मू-कश्मीर में 19 आम नागरिकों की मौत चरमपंथी हिंसा में हुई, उसी साल 18 सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए। 84 चरमपंथी मारे गए थे। उसके मुकाबले साल 2023 में 12 नागरिकों की मौत हुई, 33 सुरक्षा कर्मी मारे गए और 87 चरमपंथी मारे गए। पिछले साल 2024 में 31 आम नागरिक 26 सुरक्षाकर्मी और 69 चरमपंथी मारे गए थे। यानि हमले जारी थे। लेकिन सरकार के बयानों में जम्मू-कश्मीर से चरमपंथ लगभग खत्म कर दिया गया है का दावा किया जा रहा था। साथ ही पर्यटक ऐसे इलाकों में भी जाने लगे जहां प्रशासन ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए थे। जम्मू-कश्मीर में पिछले दो सालों में ज्यादा हमले हुए हैं। टूरिज्म या पर्यटन एक बात है और नॉर्मल्सी दूसरी चीज है। जब भी हमने कहा कि जम्मू-कश्मीर में नॉर्मल्सी है, तभी आतंकी हमले ज्यादा हो गए। जिस तरह पर्यटन बढ़ रहा था, लोग मर्जी से वहां जा रहे थे तो आप यह कह सकते हैं कि सरकार को खतरा पहले ही नजर आ जाना चाहिए था। हमले में मारे गए लोगों के परिजनों ने बताया कि पहलगाम में लोगों का धर्म पूछकर मारा गया तो दुलत ने कहा कि पहलगाम में जो हुआ, वह हिन्दु-मुस्लिम मुद्दा नहीं है। न जम्मू-कश्मीर है और न ही भारत में कोई हिन्दू-मुस्लिम है। बल्कि यहां हिन्दू-मुस्लिम एक हैं। यह मैसेज साफतौर पर जाना चाहिए। आज खासतौर से मैं कहूंगा कि कश्मीरियत को हमें खोना नहीं चाहिए। उसे जिन्दा रखना बहुत जरूरी है। 
-अनिल नरेन्द्र 

Saturday, 3 May 2025

कनाडा में खालिस्तानियों की करारी हार

जस्टिन ट्रूडो ने भारत से खूब दुश्मनी निभाई। अपनी सत्ता की लालच में उन्होंने क्या-क्या नहीं किया। कभी भारत पर मनगढ़ंत आरोप तो कभी खालिस्तानियों को सिर पर चढ़ाया। जस्टिन ट्रूडो की वजह से भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी आ गई। जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानियों के दम पर भारत से पंगा लिया। इसमें खालिस्तानियों के कथित आका जगमीत सिंह ने खूब मदद की। जगमीत सिंह के सपोर्ट पर ही जस्टिन ट्रूडो की सरकार चल रही थी। जगमीत सिंह ने सरकार को समर्थन के बदले अपने खालिस्तानी एजेंडों को पाला-पोसा। पर कनाडा की नजर से उसकी चालाकी नहीं बच पाई। कनाडा में जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी यानी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी की करारी हार हुई है। एनडीपी को कुल 343 में से 7 ही सीटें मिली हैं। एनडीपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी छिन गया है। जबकि पिछले चुनाव में एनडीपी 25 सीटें जीतकर किंगमेकर बनी थी। एनडीपी के समर्थन से तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने चार साल सरकार चलाई। एनडीपी प्रमुख जगमीत सिंह अपनी परंपरागत बर्नबी सेंट्रल से भी चुनाव हार गए। जगमीत सिंह इस सीट पर तीसरे नंबर पर रहे, जबकि पिछले चुनाव में इस सीट पर एक तरफ 56 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार जगमीत को मात्र 27 प्रतिशत ही वोट मिले। जगमीत की पार्टी ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। पार्टी के जो 7 प्रत्याशी जीते हैं उसमें से कोई भी भारतीय मूल का नहीं है। एनडीपी सिख बहुल अपनी सीट भी नहीं जीत पाई है। चुनाव में भारत विरोधी एनडीपी के जगमीत सिंह और लिबरल पार्टी के नेता जस्टिन ट्रूडो कनाडा की राजनीति से आउट हो गए हैं। जगमीत ने एनडीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के केस में जगमीत ने भारत के खिलाफ बहुत जहर उगला था। कनाडा द्वारा पिछले साल भारतीय राजनयिकों को उच्चायोग से निकालने की कार्रवाई का जगमीत ने समर्थन किया था। कनाडा में इस बार रिकार्ड 23 भारतवंशी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे है। पिछली बार 19 भारतीय सांसदों ने चुनाव में जीत हासिल की थी। इस बार लिबरल पार्टी में 13 जबकि कंजरवेटिव पार्टी से 10 भारतवंशी सांसदों को जीत मिली है। जहां तक भारत -कनाडा के संबंधों की बात है, ये पूर्व पीएम ट्रूडो के दौर से निश्चित रूप से बेहतर रहने वाले हैं। ट्रूडो ने कई मुद्दों पर भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने का काम किया। नए नेता मार्क कार्नी कह चुके हैं कि दोनों देशों के हित आपसी विश्वास पर कायम होंगे। कार्नी का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के वर्तमान दौरे में भारत-कनाडा अहम भूमिका निभा सकते हैं। कार्नी के रूप में सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के नए नेतृत्व का उभार हो रहा है। ट्रूडो और लिबरल को समर्थन देने वाले जगमीत हाशिए पर चले गए हैं। कार्नी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच तनावपूर्ण रिश्ता रहा है। ट्रंप ने कनाडा पर भारी टैरिफ लगाया, जिसका कनाडा की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा। ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने जैसी विवादित बातें कहीं, जिस पर कार्नी समेत पूरे कनाडा ने नाराजगी जताई। यह कहना गलत नहीं होगा कि कार्नी को लिबरल पार्टी के दोबारा सत्ता में आने में ट्रंप का बड़बोलापन काम आया। -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 1 May 2025

जरूरत है सैनिक, आर्थिक, कूटनीतिक दबाव बनाने की

यह लड़ाई अब हिंदू-मुसलमान के बीच नहीं बल्कि धर्म और अधर्म के बीच है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर गहरी नाराजगी जताई है। भागवत का मानना है कि यह हमला एक जघन्य कृत्य था, जिसमें आतंकवादियों ने न केवल निर्दोष नागरिकों की हत्या की, बल्कि धर्म के नाम पर हत्याएं की। हमारे सैनिकों या नागरिकों ने कभी भी किसी से उसका धर्म नहीं पूछा, लेकिन आतंकवादियों ने धर्म पूछकर लोगों की हत्या की। हिंदू कभी ऐसा नहीं करेगा। भागवत ने इस हमले पर गुस्से और शोक का इजहार करते हुए यह भी कहा कि राजा का कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना। आज पूरा देश एक जुट है और जवाबी कार्रवाई की मांग कर रहा है। हमारा मानना है कि हमें ऐसा कड़ा जवाब देना चाहिए जो आतंक परस्त पाकिस्तान को सदियों तक याद रहे। मुट्ठी भर आतंकियों या उनके कैम्पों को तबाह करने से कुछ नहीं होगा। हमें इस पाक प्रायोजित आतंकवाद की जड़ में जाना होगा और उसे तबाह करना होगा। आतंकवाद की जड़ में है पाकिस्तान की सेना और उसकी आईएसआई। हमें इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। इस पाक मिलिट्री एस्टेबलिशमेंट को ऐसा करारा तमाचा मारना होगा कि वो आगे से ऐसे हमले करवाने से पहले दस बार सोचे। पूर्व सेना प्रमुख जनरल शंकर रॉय चौधरी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला खुफिया विफलता के कारण हुआ और इसके लिए उच्चतम स्तर पर जवाबदेही तय करने की मांग की। देश के 18वें सेना प्रमुख रहे रॉय चौधरी ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, मुझे खुफिया विफलता का संदेह है। किसी को तो इस चूक के लिए जवाब देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका है। लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान पर भारत सरकार के कूटनीतिक प्रतिबंध पर्याप्त नहीं हैं, रॉय चौधरी ने कहा कि कूटनीतिक कदम पर्याप्त नहीं हैं। प्रतिरोध के उपाय करने होंगे। वे जिस रूप में सामने आते हैं, यह हम पर निर्भर करता है। पारंपरिक उपाय पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा, हमें भी उसी तरह से प्रतिक्रिया देनी होगी। मैं इसे केवल इसी तरह देखता हूं। वायुसेना के पूर्व प्रमुख अरुप राहा ने पहलगाम हत्याकांड के मद्देनजर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान चलाने की बात कही और उरी व पुलवामा हमलों के बाद किए गए हमलों का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने उन मिथक को तोड़ दिया है कि परमाणु शक्ति संपन्न देश युद्ध नहीं लड़ सकते। राहा ने कहा, यह जरूरी है कि भारतीय सुरक्षा बल फिर से वैसे हमले करें, ताकि हमारे दुश्मानों को पता चले कि उनका किससे पाला पड़ा है। यह समय की मांग है। पूरा देश आज मांग कर रहा है कि भारत सख्त कार्रवाई करे। पानी रोकने समेत कूटनीतिज्ञ फैसलों से काम नहीं चलेगा। भारत के पास पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पर आतंकवाद का जवाब देने और उसे रोकने के लिए राजनयिक, आर्थिक, रणनीतिक और कानूनी जैसे कई विकल्प मौजूद है। सबसे पहले भारत को पाकिस्तान के प्रति वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक अलगाव की नीति अपनानी चाहिए जिससे पाकिस्तान को अलग-थलग किया जा सके। आतंकवाद के खिलाफ भारत की चिंताओं के प्रति सहानुभूति रखने वाले देशों के साथ गठबंधन मजबूत कर पाक को आतंकवाद प्रायोजक करने के लिए वैश्विक समर्थन जुटाना चाहिए। आज भारत सैन्य रूप से काफी शक्तिशाली राष्ट्र है। हमें गुलाम कश्मीर के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना के महत्वपूर्ण ठिकानों में आतंकी कैंपों और नेटवर्क को तबाह करना चाहिए। हालांकि हमें देखना होगा कि आज पाकिस्तान बहुत कमजोर हो चुका है। आर्थिक रूप से वह दिवालिया हो चुका है। अफगानिस्तान और ब्लूचिस्तान में उसके अलग मोर्चे खुले हुए हैं। बेशक वह घबराहट में परमाणु युद्ध की गीदड़ भबकी देर रहा है। पर सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि वह ऐसा नहीं कर सकता। उसने कारगिल युद्ध के दौरान भी ऐसी धमकियां दी थी। कुछ लोगों को खतरा है कि कहीं चीन पाकिस्तान की ओर न आ जाए। ऐसा नहीं होगा। चीन ऊपर-ऊपर से कोरा समर्थन करता रहेगा पर वह भारत से बढ़ते व्यापार को कभी नजरअंदाज नहीं कर सकता। अमेरिका और रूस भी बीच में नहीं कूदेगा। कुल मिलाकर भारत सरकार को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। पूरे देश की यह मांग है और पाकिस्तान के आतंकवाद को मिटाने में सब एक मत हैं, एक जुट हैं। बस इंतजार है निर्णायक कदमों को उठाने का। -अनिल नरेन्द्र