Tuesday, 20 May 2025
ब्रह्मोस का खौफ
भारत-पाकिस्तान में तनाव के बीच 8-9 मई की रात जब ब्रह्मोस मिसाइल ने रावलपिंडी के एयरबेस तक कहर बरपा दिया तो पाकिस्तान सेना के पैरों तले जमीन खिसक गई। नतीजा यह हुआ कि सैन्य हेडक्वाटर्स को रावलपिंडी से पाक की राजधानी इस्लामाबाद में शिफ्ट करने के बरसों से अटके प्रोजेक्ट में तेजी आ गई। नए जनरल हेडक्वाटर्स (जीएचक्यू) को इस्लामाबाद की मरगला हिल्स की तलहटी में शिफ्ट किया जा रहा है। जीएचक्यू यानी पाकिस्तानी सेना की सीधी रिपोर्टिंग और कमांड पोस्ट यहीं होती है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने मीडिया रिपोर्टें के अनुसार यह स्वीकार किया है कि ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तानी सेना के अड्डों पर भारी नुकसान किया है। ब्रह्मोस को भारतीय सेना का एक ताकतवर हfिथयार माना जाता है। अब तो दुनिया भी ब्रह्मोस की मारक क्षमता को मानने लगी हैं। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, शिप, एयर क्राफ्ट पर जमीन पर कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। भारत ने रूस के साथ एक साझेदारी में ब्रह्मोस को विकसित किया है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ब्रह्मोस मिसाइल की गति ही इसकी सबसे बड़ी खासियत है। यह आवाज की गति से करीब तीन गुना तेजी से उड़ती है। यही स्पीड इसे बहुत ही मारक और दुश्मन के रडार में कभी न पकड़ में आने वाली मिसाइल बनाती है। इसका निशाना इतना सटीक है कि 290 किलोमीटर की दूरी पर भी अपने लक्ष्य से एक मीटर घेरे के अंदर ही गिरती है, यह एक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल का इंजन अंत तक चलता रहता है। इस दौरान यूएवी की तरह ही इसके लक्ष्य को बदला जा सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका सीकर सेंसर इतना घातक है कि एक समान लक्ष्य में से असली लक्ष्य पहचान कर उसे तबाह करने में सक्षम है। इसकी सटीक ड्राइविंग तकनीक कमाल की है, यह मिसाइल सतह से चंद मीटर ऊपर उड़ती हुई सामने आने वाली बाधा को पार कर दुश्मन पर अचानक हमला करने की क्षमता रखती है। इस मिसाइल के निर्माण के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ के तत्कालीन प्रमुख डा. एपीजे अब्दुल कलाम और रूस के उप रक्षामंत्री एनबी मिखाइलोव ने 12 फरवरी 1998 को हस्ताक्षर किए। इसके बाद ब्रह्मोस एयरोस्पेस कंपनी का गठन किया गया। इस समय यही कंपनी मिसाइल का उत्पादन कर रही है। ब्रह्मोस 290 किलोमीटर तक उड़ सकती है इस। यह दस मीटर से पंद्रह मीटर तक की ऊंचाई से उड़ान भरने में सक्षम है। साल 2007 में भारतीय सेना में भी इसे शामिल किया गया। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30 और एमकेआई विमान से हवा से लांच किया जाने वाला संस्करण अपनाया। अभी ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 2900 किलोग्राम है। इसके कारण लड़ाकू विमानों पर एक बार में एक ही मिसाइल लग पा रही है। इसका वजन कम होने के बाद एक ही जगह पांच मिसाइलें लगाई जा सकेंगी। रक्षा मामलों के जानकार कर्नल ओझा (रिटायड) कहते हैं कि भारत को बहुत घातक, सटीक और लंबी दूसरी तक मार करने वाली मिसाइल बना दिया है। उन्होंने बताया कि सुखोई में लगने के बाद इस मिसाइल की मारक क्षमता और भी बढ़ गई है। ऑपरेशन सिंदूर की तीसरी रात पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर कहर बरपाने में ब्रह्मोस की अहम भूमिका रही। सबसे ज्यादा दूरी पर स्थित 6 एयरबेस को सुखोई-30 एमकेआई की अंडरवैली से निकली हवा से सतह मार करने वाली ब्रह्मोस ने निशाना बनाया। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तानी वायुसेना के बेहद सुरfिक्षत ठिकानों को निशाना बनाने की जमीन एक रात पहले ही तैयार कर ली थी। लाहौर स्थित कमांड एंड कंट्रोल सेंटर पर हमले से पाकिस्तानी वायुसेना बहुत हद तक लाचार हो चुकी थी। बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल ने रावलपिंडी में चकलाल स्थित नूरखान एयरबेस पर भी तबाही मचाई थी। यह मौजूदा जीएचक्यू से महज 8 किलोमीटर ही दूर था। जय हिंद। भारतीय वैज्ञानिकों को आज पूरा देश सलाम करता है। जय हिंद।
-अनिल नरेन्द्र
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