Saturday, 11 October 2025

न कोई अफसोस, न ही मांगूंगा माफी

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर गत fिदनों हमले की शर्मनाक कोशिश हुई। सुप्रीम कोर्ट में गत सोमवार को शर्मनाक घटना में चलती कार्यवाही के बीच एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई की ओर जूता फैंकने की कोशिश की। हालांकि कोर्ट में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल हरकत में आकर और डायस के करीब खड़े वकील राकेश किशोर (71) को तुरंत दबोच लिया और कोर्ट से बाहर ले गए। बाद में पुलिस ने राकेश को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। कोर्ट रूम से बाहर निकलते समय वकील राकेश किशोर चिल्ला रहा था, सनातन का अपमान नहीं सहेंगे। घटना से अविचलित सीजेआई गवई ने सुनवाई जारी रखी और अन्य वकीलों से कहा, इस पर विचलित न हों। ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करती हैं। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीजेआई गवई से बात की और एक्स पर लिखा, मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई से बात की, आज सुबह सुप्रीम कोर्ट पfिरसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय आक्रोशित है। हमारे समाज में ऐसे निदंनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है, यह पूरी तरह से निंदनीय है। उधर जस्टिस गवई पर जूता फैंकने वाला बेशर्म वकील राकेश किशोर ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि सीजेआई के भगवान विष्णु पर दिए गए बयान से मैं आहत हूं। उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं है और न ही मैं माफी मांगूंगा। आरोपी अधिवक्ता की अस्थाई सदस्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। राहुल गांधी ने भी घटना की निंदा करते हुए एक्स पर पोस्ट किया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश पर हमला हमारी न्यायपालिका की गरिमा और हमारे संविधान की भावना पर हमला है। इस तरह की नफरत का हमारे देश में कोई स्थान नहीं है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रोहित पांडे जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व कार्यवाहक सचिव हैं ने बताया कि सारा मामला क्या है? दरअसल 16 सितम्बर को सीजेआई गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बैंच ने मध्य प्रदेश में स्थित खजुराहो में एक मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की मरम्मत और रखरखाव का आदेश देने से जुड़ी अर्जी खारिज कर दी थी। बैंच ने कहा था कि यह अदालत नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन आता है। बैंच ने उसे पब्लिसिटी के लिए दायर याचिका बताते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वह भगवान विष्णु के बड़े भक्त हैं तो फिर उन्हीं से प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं। सीजेआई की इस टिप्पणी के बाद सनातनी ब्रिगेड ने सीजेआई पर सीधा हमला बोल दिया। एक भक्त ने तो यहां तक कह दिया कि जजों को सड़कें पर पीटा जाएगा, अगर वह सुधरे नहीं। उधर जस्टिस गवई ने अपनी सफाई देते हुए कहा, सोशल मीfिडया पर तो आजकल कुछ भी चल सकता है। परसों किसी ने मुझे बताया कि आपने कुछ अपमानजनक कहा है। उन्होंने कहा मैं सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं और सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। इस पर सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा, मैं सीजेआई को पिछले 10 सालों से जानता हूं। वे सभी धर्मों के मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर पूरी श्रद्धा के साथ जाते हैं। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणियां केवल इस संदर्भ में थी कि मंदिर एएसआई के अधिकार क्षेत्र में आता है। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट आन रिकार्ड एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा, हम सर्वसम्मति से हाल ही में एक अधिवक्ता की ओर से किए गए उस अनुचित और असंयमित व्यवहार पर गहरी पीड़ा और असहमति व्यक्त करते हैं, जिसमें उन्होंने भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश और उनके साथी न्यायाधीशों के पद और अधिकार का अपमान करने का प्रयास किया। सोशल मीडिया में इस कृत्य की इसलिए भी निंदा हो रही है क्योंकि मुख्य न्यायाधीश एक दलित समाज से आते हैं और इसलिए भी उनका अपमान किया गया है और किया जा रहा है। यह हमला सिर्फ सीजेआई गवई पर ही नहीं यह भारत के संविधान पर सीधा हमला है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। यह मामला सिर्फ सीजेआई गवई तक सीमित नहीं है, बेशक उन्होंने अपराधी को माफ कर दिया हो पर देश उसे माफ नहीं करेगा। उसने न केवल देश के मुख्य न्यायाधीश पर हमला किया है, बल्कि देश की पूरी न्यायिक व्यवस्था को चुनौती दी है और संविधान का अपमान किया है। उसे उसकी करनी की सजा मिलनी ही चाहिए ताकि भविष्य में एक नजीर बने। नहीं तो ऐसे हमले बढ़ते जाएंगे। -अनिल नरेन्द्र

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