Thursday, 3 July 2025
ईरान और आईएईए के बीच तनातनी
ईरान और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी आईएईए के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने भरोसे की कमी और बढ़ते तनाव का हवाला देते हुए इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) के डायरेक्टर जनरल रफाएल ग्रोसी की संभावित यात्रा से साफ इंकार कर दिया। अरागची ने यह भी साफ किया कि ईरान एक नया कानून लागू करने जा रहा है, जिसमें खास शर्तें पूरी होने तक आईएईए से सहयोग रोकने की बात है। उधर, ईरान में आईएईए प्रमुख के खिलाफ नाराजगी को देखते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इसकी निंदा की है और आईएईए के काम का खुलकर समर्थन किया। आईएईए के लिए ईरान का यह सख्त रुख उसके परमाणु ठिकानों पर हुए इजरायल और अमेरिका के हमलों की प्रतिक्रिया माना जा रहा है, जिससे आगे परमाणु कार्यक्रमों से जुड़ी निगरानी और ज्यादा पेचीदा हो सकती है। आईएईए प्रमुख रफाएल ग्रोसी ने 24 जून को ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम की घोषणा के बाद अब्बास अरागची से मिलने और आईएईए-ईरान की बातचीत करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने 26 जून को सरकारी चैनल आईआरआईएनएन को दिए इंटरव्यू में कहा ः इस वक्त हमारा बिल्कुल भी कोई इरादा नहीं है कि हम रफाएल ग्रोसी को बुलाएं। वह हमारे परमाणु ठिकानों पर अमेरिका और इजरायल के हमलों से हुए ऩुकसान का आकलन करना चाहते हैं। उन्होंने कहा ग्रोसी ने अपनी रिपोर्ट में ईमानदारी से काम नहीं लिया। जब हमारे परमाणु ठिकानों पर हमला हुआ तब एजेंसी ने उस हमले की निंदा तक नहीं की। अरागची ने यह भी बताया कि ईरान ने आईएईए के साथ सहयोग रोकने के लिए एक नया कानून पारित किया है। इस मामले पर एक विधेयक संसद से पास हुआ, गार्डियन काउंसिल से मंजूरी भी मिल गई है और अब यह कानून बन चुका है, जिसे हमें मानना ही पड़ेगा। अमेरिका ने ईरान में आईएईए प्रमुख के खिलाफ उठ रही आवाजों पर सख़्त रुख़ अपनाया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा-ईरान में आईएईए के महानिदेशक रफाएल ग्रोसी की गिरफ्तारी और फांसी की मांगें अस्वीकार्य हैं और इनकी निंदा की जानी चाहिए। हम ईरान में आईएईए के अहम जांच और निगरानी काम का समर्थन करते हैं। बता दें कि इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी यानी आईएईए संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है जिसे दुनिया के एटम्स फॉर पीस एंड डवेलपमेंट के नाम से भी जाना जाता है। यह परमाणु क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का मुख्य केंद्र है, जो अपने सदस्य देशों और दुनियाभर के कई साझेदारों के साथ मिलकर परमाणु तकनीकों के सुरक्षित, भरोसेमंद और शांतिपूर्ण इस्तेमाल को बढ़ावा देता है। 2018 में अमेरिका के इस संगठन से बाहर होने के बाद और नए प्रतिबंधों के बाद ईरान ने समझौते की शर्तों का पालन कम कर दिया। उसने यूरेनियम संवर्धन की सीमा बढ़ा दी। अमेरिका के ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी के बाद अब यह संभावना तय है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाएगा और जल्द ही हमें यह जानकारी मिल सकती है कि ईरान अब परमाणु शक्ति बन गया है और जिस दिन यह घोषणा हुई उसी दिन से पूरी दुनिया की राजनीति बदल सकती है।
-अनिल नरेन्द्र
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