Thursday, 31 July 2025
ऑपरेशन सिंदूर ः विपक्ष के सवाल
सोमवार को अंतत पहलगाम की आतंकी घटना पर लोकसभा में जबरदस्त बहस हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को बहस शुरू करते हुए कहा कि सेना के तीन अंगों के समन्वय का बेमिसाल उदाहरण बताते हुए यह भी कहा कि इस अभियान को यह कहना कि किसी दबाव में आकर रोका गया गलत और निराधार है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हार मान ली थी और कहा कि अब कार्रवाई रोक दीजिए महाराज। बहुत हो गया। रक्षा मंत्री ने कहा 10 मई की सुबह जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई एयरफील्ड पर करारा हमला किया तो पाकिस्तान ने हार मान ली और संघर्ष रोकने की पेशकश की। बहस में विपक्ष ने केंद्र सरकार पर तीखे सवाल दागे। विपक्ष ने एक सुर में कहा कि सेना के पराम पर उन्हें गर्व है, लेकिन सरकार की रणनीति और विदेश नीति पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। कांग्रेस सांसद गौरव गोगई और दीपेन्द्र हुड्डा ने खासतौर पर सरकार को निशाने पर लिया। कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि पहलगाम हमले के आतंकी अब तक गिरफ्त से बाहर क्यों हैं? उन्होंने पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कितने विमान गिरे थे? संघर्ष विराम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की क्या भूमिका थी? उन्होंने पूछा कि जब हम जीत रहे थे तो कार्रवाई क्यों रोकी गई? पाकिस्तान के कब्जे से पीओके क्यों नहीं लिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि पहलगाम आतंकी हमले में सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी गृह मंत्री अमित शाह को लेनी चाहिए। अमित शाह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के पीछे छिप नहीं सकते। यह चूक उनकी है। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश और विपक्ष प्रधानमंत्री के साथ खड़ा था तो अचानक युद्ध विराम कैसे हुआ? अगर पाकिस्तान घुटनों पर था तो आप क्यों झुके? आप किसके सामने झुके? कांग्रेस नेता ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 26 बार कहा कि उन्होंने व्यापार की बात करके युद्ध रूकवाया। ट्रंप की क्या भूमिका थी? उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को अब वापस नहीं लेंगे तो कब लेंगे। मैंने गौरव गोगोई के भाषण के प्रमुख अंश इसलिए बताए हैं क्योंकि मेरा मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर पर उठाए गए प्रश्नों पर यह बहुत सटीक और जोरदार भाषण था जिसका जवाब सत्ता पक्ष के स्पीकर अभी तक नहीं दे सके। टालने और इधर-उधर की बातों से उलझाए रखना और बयान बदलने से मसला हल नहीं होगा। कांग्रेस के दीपेन्द्र हुड्डा और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के भाषणों का भी पा करना जरूरी है। कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हमारी सेना ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया लेकिन सरकार की रणनीति में बड़ी खामी रही। विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक की मांग की थी लेकिन सरकार ने नहीं बुलाई। दीपेन्द्र ने सरकार के अमेरिका के साथ संबंधों पर जमकर निशाना साधा। जब तुर्किए ने पाकिस्तान की मदद की तो प्रधानमंत्री साइप्रस गए, अच्छा संदेश दिया, लेकिन असली दुश्मन चीन को संदेश देना था तो वे ताइवान चले जाते। विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि बार-बार ट्रंप के इस दावे को लेकर सवाल पूछे जाते हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम करवाया। तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बनर्जी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का ाsढडिट सेना का है, इसमें बंटवारा नहीं होना चाहिए। हमने विदेश नीति के मामले में पूरी तरह से सरकार का समर्थन किया, भारत को पाकिस्तान को ऐसा आघात देना चाहिए था, जिसको पूरी दुनिया देखती। उन्होंने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि ािढकेट में कभी सेंचुरी के करीब 90 रन पर पहुंचने पर इनिंग डिक्लियर करने की बात सुनी है? लेकिन यह काम मोदी जी नहीं कर सकते हैं। कोई और नहीं। उन्होंने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां 140 करोड़ देशवासी कह रहे थे कि लड़ाई जारी रखो, जीती हुई बाजी न हारो लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति के सामने आपका कद और छाती 56 इंच से घटकर 36 इंच रह गई है। वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान का मकसद हमेशा भारत को कमजोर करने का ही है। सरकार का कहना है कि खून-पानी और आतंकवाद बातचीत एक साथ नहीं हो सकती। फिर किस सूरत में आप पाकिस्तान से ािढकेट मैच खेलेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 7.5 लाख सीआरपीएफ पुलिस और फोर्स है। पहलगाम आतंकी हमले के लिए किसकी जवाबदेही फिक्स होगी? एलजी, आईबी, पुलिस जो भी जिम्मेदार है। उस पर एक्शन होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर से 370 हटा दिया, लेकिन दशतगर्द फिर भी वहां पहुंच गए। उन्होंने कहा कि अगर 5 जेट नहीं गिरे, तो बोलिए। ओवैसी ने डोनाल्ड ट्रंप की सीजफायर का ऐलान करने पर भी जवाब मांगा। शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविन्द सावंत ने सवाल किया कि भारत ने बिना शर्त सीजफायर क्यों किया जबकि पाकिस्तान गिड़गिड़ा रहा था। क्या ऐसे में भारत को सख्त शर्तें नहीं रखनी चाहिए थी? पहलगाम में कोई जवान तैनात क्यों नहीं था? पहले दिन की बहस में मेरे विचार से विपक्ष बहुत भारी रहा और सरकार जवाबों को टालती रही। पर कितनी देर तक?
-अनिल नरेन्द्र
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