Saturday, 20 December 2025

राष्ट्रीय अध्यक्ष की जगह कार्यकारी अध्यक्ष


भारतीय जनता पार्टी ने पटना की बांकीपुर सीट से विधायक और बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन सिन्हा को पार्टी का नया कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर सबको चौंका दिया है। शायद ही किसी ने उम्मीद की हो कि नबीन बाबू को इतना महत्वपूर्ण पद दिया जाएगा। पिछले कई महीनों से यह चर्चा चल रही थी कि भाजपा अपना नया अध्यक्ष चुनने वाली है क्योंकि श्री नड्डा का कार्यकाल बहुत पहले समाप्त हो चुका था और वह एक्सटेंशन पर चल रहे थे। नितिन नबीन भाजपा के इतिहास में जेपी नड्डा के बाद दूसरे कार्यकारी अध्यक्ष होंगे। पार्टी के संविधान में कार्यकारी अध्यक्ष का कोई औपचारिक पद नहीं है। लेकिन साल 2019 के बाद से भाजपा में पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त करने से पहले कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की एक परंपरा शुरू हुई है। भाजपा में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कब होगा अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में पार्टी के शीर्ष नेताओं के हवाले से दावा किया जा रहा है कि अगले साल जनवरी में ये प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल भी जनवरी तक ही है। ऐसे में से सवाल उठ रहा है कि जब कुछ दिनों बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है तो पार्टी ने कार्यकारी अध्यक्ष क्यों नियुक्त किया है? इसका कोई स्पष्ट जवाब तो नहीं है लेकिन ये माना जा रहा है कि पार्टी अपने संविधान के हिसाब से होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को आम सहमति और निर्विरोध रूप से करना चाहती है। वरिष्ठ पत्रकार ने बीबीसी को बताया कि भाजपा जनवरी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगी। पार्टी में इसकी एक औपचारिक प्रक्रिया है। ऐसे तो कोई चुनाव नहीं हो रहा है लेकिन नामांकन तिथि, चुनाव तिथि में औपचारिक प्रक्रियाएं हैं, पार्टी को इन्हें करना है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा कहते हैं, कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर भाजपा ने ये साफ कर दिया है कि नितिन नबीन ही अगले अध्यक्ष होंगे। भाजपा में अध्यक्ष को चुनने की एक लंबी प्रक्रिया है। भाजपा के संसदीय बोर्ड ने नितिन नबीन सिन्हा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत किया है। 26 साल की उम्र में पहली बार विधायक चुने जाने वाले नितिन नबीन 5 बार से लगातार विधायक हैं और भाजपा के पहले कार्यकारी अध्यक्ष हैं। 45 साल के नितिन नबीन का कार्यकारी अध्यक्ष बन जाना जरूर कई लोगों को हैरान कर रहा है लेकिन विश्लेषक इससे हैरान नहीं हैं। बिहार चुनावों के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने नितिन नबीन से दो घंटे मुलाकात की थी। नितिन नबीन पार्टी के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के प्रभारी थे और भाजपा ने यह चुनाव भारी बहुमत से जीता था। यानी नितिन नबीन अपनी संगठनात्मक क्षमता पहले ही साबित कर चुके हैं। सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या नितिन नबीन की नियुक्ति के पीछे कोई खास वजह या पार्टी की कोई खास रणनीति है? विश्लेषक मानते हैं कि पार्टी में ये बदलाव का दौर है और ये समय की जरूरत के हिसाब से उठाया गया कदम है। विजय त्रिवेदी और विनोद शर्मा दोनों ही मानते हैं कि पार्टी जेनरेट्स चेंज यानि पीढ़ीगत बदलाव से गुजर रही है। पार्टी में पुरानी पीढ़ी के नेताओं की जगह नए नेताओं को आगे बढ़ाया जा रहा है। राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के रूप में पुराने नेताओं को हटाना और नए चेहरों को लाना पार्टी की इसी रणनीति का हिस्सा है और नितिन नबीन का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना इस कड़ी में अगला कदम है। पार्टी नए नेतृत्व को आगे लाना चाहती है और ये नियुक्ति भी उसी दिशा में है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भाजपा में ऐसे नेताओं को आगे लाया जा रहा है जो किसी भी तरह से नरेन्द्र मोदी या अमित शाह के लिए चुनौती पेश न करें। विनोद शर्मा कहते हैं, नितिन नबीन की नियुक्ति हैरान इसलिए नहीं कर रही है क्योंकि उन्हें अमित शाह की सहूलियत के हिसाब से बनाया गया है। किसी भी ऐसे नेता को मजबूत पद पर नहीं लाया जा रहा है जो आगे चलकर किसी भी तरह की शीर्ष नेतृत्व को चुनौती पेश कर सके। व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जो भाजपा और संघ को भी मंजूर हो। विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि नितिन नबीन का नाम उन चुनिन्दा लोगों में रहा होगा जिन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी अनुमोदन प्राप्त हुआ है।
-अनिल नरेन्द्र

Thursday, 18 December 2025

नरसंहार करने वाले पिता-पुत्र


ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रविवार को जश्न मना रहे बान्डी बीच पर लोगों पर दो आतंकियों ने हमला कर दिया। इस दौरान 44 साल के अहमद अल अहमद ने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों से भिड़ गया और कई जानें बचाई। हुआ यूं कि रविवार को सिडनी के बान्डी बीच पर यहूदियों के हनुक्का पर्व पर लोग पर्व का मजा उठा रहे थे। हनुक्का यहूदियों का सालाना त्यौहार है। इस दौरान दो बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलीबारी करनी शुरू कर दी। गोलियों की आवाजें सुनकर बीच पर अफरा-तफरी मच गई और लोग इधर-उधर भागने लगे। इस अंधाधुंध फायरिंग में अब तक 16 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। आतंकियों की निशानदेही हो चुकी है। एपी की रिपोर्ट के अनुसार इस आतंकी घटना को अंजाम देने वाले बाप और बेटे हैं, जिनमें से एक की तो मौके पर ही मौत हो गई। आस्ट्रेलिया जांच एजेंसियों ने आरोपी के बैकग्राउंड की जांच शुरू कर दी है। शूटिंग में शामिल पिता (50 वषीय) की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उसका 25 वषीय बेटा गंभीर हालत में अस्पताल में भती है, सिडनी अटैक में पाकिस्तानी कनेक्शन सामने आया है। आस्ट्रेलिया की जांच एजेंसियां इस घटना को लेकर बहुत गंभीर है। अहम बात यह भी है कि हमले में शामिल पिता-पुत्र की पहचान पाकिस्तानी मूल के रूप में हुई है। वहीं अमेरिकी खुफिया सूत्रों ने भी दोनों आतंकियों को पाकिस्तानी नागरिक बताया है। हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे और सिडनी में रह रहे थे। जांच में यह भी सामने आया है कि गोलीबारी के बाद पास ही एक सड़क पर एक कार से कई इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लेसिव डिवाइस यानी विस्फोटक बरामद किए गए, जिससे आशंका है कि हमले की साजिश इससे काफी ज्यादा तबाही फैलाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारने की थी। ऑस्ट्रेलियाई खुफिया एजेंसी एसियो ने पुष्टि की है कि हमलावरों में से एक पहले से सुरक्षा एजेंसियों की नजर में संदिग्ध था, लेकिन उसे तत्काल खतरे के रूप में लिस्ट नहीं किया गया था। इधर दोनों आतंकी गोलियां बरसा रहे थे उधर 44 साल के अहमद अल अहमद ने अपनी जान की परवाह किए बिना हिम्मत दिखाते हुए पीछे से आतंकी पर झपट्टा मारा और उससे बंदूक छीन ली, जिससे कई लोगों को सुरक्षित निकालने का मौका मिल गया। लोग अहमद अल अहमद को ऑस्ट्रेलिया का नया हीरो कह रहे हैं। अहमद जब आतंकी साजिद से मुठभेड़ करने जा रहा था, तब उनके भाई ने उन्हें रोका था। तब उन्होंने कहा था कि अगर मुझे कुछ हुआ तो परिवार को बताना कि मैं लोगों की जान बचाते हुए मारा गया। अहमद फल-सब्जी की दुकान चलाता है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस हमले की निंदा हुई है और ऑस्ट्रेलिया की सरकार से लेकर मुस्लिम-अरब देशों की ओर से भी आतंकवाद और हिंसा के सभी रूपों को खारिज किया है। मगर यह भी सच है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना और विरोध के बावजूद किसी समुदाय से नफरत की भावना में डूबे को रोक पाना एक मुश्किल चुनौती है। यह स्वाभाविक है कि इस आतंकी हमले की वैश्विक स्तर पर निंदा होगी और शोक-संवेदनाएं व्यक्त की जाएंगी, लेकिन इतना पर्याप्त नहीं है। दुनिया भर में जिहादी आतंक का खतरा जिस तरह उभर रहा है उसका मुकाबला तभी किया जा सकता है जब पूरा विश्व समुदाय मिलकर इस उठते खतरे का ईमानदारी से सामना करे और मिलकर मुकाबला करने के लिए कदम उठाएं। बान्डी बीच के हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया है। दोनों ही आतंकी पाकिस्तानी मूल के निकले। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान विश्व की सबसे बड़ी आतंकी फैक्ट्री है जहां साल दर साल हजारों आतंकी तैयार किए जाते हैं। भारत तो बार-बार इस बात को कहता रहता है पर दुनिया मानने को तैयार नहीं, पहलगाम हमला भी इसी तरह के आतंकियों ने किया था पर दुनिया मानने को तैयार नहीं थी। अब तो ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में यह हमला हुआ है, अब विश्व को इस पर क्या कहना है?
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 16 December 2025

चुनाव सुधार पर बहस


चुनाव सुधार पर सड़क से संसद तक चर्चा तेज हुई। शायद यह जरूरी भी था, क्योंकि पिछले कई दिनों से यह चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे भी देश के 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण तेज गति से हो रहा है पर यह भी देखने वाली बात है कि इस पर सियासत भी उसी स्पीड से चल रही है। लोकसभा में चुनाव सुधार के मुद्दे पर बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने इस चर्चा के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा वोट चोरी प्रकरण के जवाब में जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी का नाम लिया और अपनी बात रखी। उन्होंने आरोप लगाया कि उसने झूठ फैलाया है और देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया है। अमित शाह ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मतदाता सूची का शुद्धिकरण है ताकि जिनकी मृत्यु हो गई उनके नाम कट जाए, जो 18 साल से बड़े हैं उनके नाम जुड़ जाएं, जो दो जगह मतदाता हैं उनके नाम कट जाएं और जो विदेशी नागरिक हैं उनको चुन-चुनकर हटाया जाए। उन्होंने कहा क्या कोई भी देश का लोकतंत्र सुरक्षित रह सकता है जब देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री कौन हो, यह घुसपैठिए तय करेंगे। एसआईआर से कुछ दलों के राजनीतिक स्वार्थ आहत होते हैं। निर्णय करना पड़ेगा कि देश की संसद और विधानसभा को चुनने के लिए विदेशी को वोट देने का अधिकार देना है या नहीं? इसके बाद राहुल गांधी खड़े हुए और अमित शाह से पूछा कि हिन्दुस्तान के इतिहास में चुनाव आयुक्तों को पूरी तरह माफी दी जाएगी, इसका जवाब दें। हरियाणा का एक उदाहरण इन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को दिया। अपने भाषण में राहुल गांधी ने कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए। इस दौरान उन्होंने आरएसएस का नाम लिया। राहुल ने कहा कि समानता की भावना से आरएसएस को दिक्कत है। संघ ने संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें देखा और कहा कि चुनाव सुधार पर चर्चा कीजिए। नेता प्रतिपक्ष का मतलब ये नहीं कि कुछ भी बोलें। राहुल ने बहस की शुरुआत खादी से की। उन्होंने कहा कि हमारा देश एक फैब्रिक की तरह ही है। कपड़ा कई धागों से बनता है। वैसे ही हमारा देश भी कई लोगों से मिलकर बनता है। देश के सारे धागे एक जैसे और अहम हैं। देश के सभी लोग बराबर हैं। राहुल ने कहा कि वोट के लिए देश की संवैधानिक संस्थाओं पर सत्ता दल ने कब्जा कर लिया है। ईसी, सीबीआई, ईडी सब पर कब्जा कर लिया है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव आयोग सत्ता के साथ मिला हुआ है। हमने इस बात के सुबूत दिए। सरकार इसी का इस्तेमाल कर रही है। राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयुक्त चुनने की प्रक्रिया को क्यों बदला गया। इस प्रक्रिया से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को क्यों हटाया गया? क्या सरकार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर विश्वास नहीं है? उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सत्ता पक्ष के इशारों पर चलती है। सत्ता पक्ष ही चुनाव आयोग को चला रहा है। राहुल ने ब्राजील की मॉडल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ब्राजील की मॉडल का नाम 22 बार वोटर लिस्ट में आया। एक महिला का नाम 200 बार वोट लिस्ट में आया। चुनाव आयोग को सीसीटीवी फुटेज को कंट्रोल करने का मतलब क्या है और क्यों इस फुटेज को कुछ समय बाद हटाने का फैसला किया गया? फुटेज नष्ट करने की ताकत क्यों दी गई? चुनाव आयुक्तों पर सजा का प्रावधान क्यों हटाया गया? हरियाणा चुनाव का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा कि हरियाणा का चुनाव चोरी किया गया। जहां तक चुनाव आयोग का सवाल है तो उसे उठ रहे प्रश्नों का उत्तर प्राथमिकता से देना चाहिए। पारदर्शिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है। चुनाव आज से दो दशक पहले कैसे होते थे, इससे ज्यादा जरूरी है कि अब जो चुनाव हों प्रश्नों से पटे हों। लोकतंत्र के असली मालिक व रक्षक मतदाता हैं, जनता है और उसका चुनाव प्रक्रिया पर पूरा विश्वास होना चाहिए। यही भारत के लोकतंत्र की नींव हैं।
-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 13 December 2025

एस जयशंकर को पाकिस्तान का जवाब


पाकिस्तान ने अपनी सेना और इसके प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी पर बयान जारी किया है। पाकिस्तान ने कहा है कि सेना और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पर जयशंकर का बयान भड़काऊ, बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना है। बता दें कि जयशंकर ने हिन्दुस्तान टाइम्स समिट के दौरान आसिम मुनीर के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि पाकिस्तान में आज जो हो रहा है वो इसके 80 साल पुराने इतिहास का प्रतिबिंब है। जयशंकर ने ये भी कहा था कि पाकिस्तान में किसी न किसी तरीके से सेना ही शासन करती है। कभी सेना खुलकर काम करती है, कभी पर्दे के पीछे से। बीबीसी के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने कहा है कि पाकिस्तान एक जिम्मेदार देश है और उसकी सभी संस्थाएं जिनमें सशस्त्र बल भी शामिल हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा के मजबूत स्तंभ हैं। यह संस्थाएं देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। प्रवक्ता ने कहा मई 2025 के संघर्ष ने साफतौर पर पाकिस्तानी सेना की पेशेवर क्षमता और मातृभूमि की रक्षा के लिए उनके संकल्प को साबित कर दिया है। कोई भी दुप्रचार अंिभयान इस सच्चाई को नकार नहीं सकता। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की संस्थाओं और नेतृत्व को बदनाम करने की भारतीय नेतृत्व की कोशिश एक सुनियोजित दुप्रचार अभियान का हिस्सा है। इसका मकसद क्षेत्र में भारत की अस्थिर करने वाली बयानबाजी शांति और स्थिरता के प्रति भारत की गंभीरता की कमी दर्शाती है। बता दें कि हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि जिस तरह अच्छे आतंकवादी और बुरे आतंकवादी जैसी बातें की जाती हैं। उसी तरह अपने सैन्य नेता और उतने अच्छे सैन्य नेता नहीं होने की बात भी की जाती है। हिन्दुस्तान टाइम्स समिट में जयशंकर से यह भी पूछा गया था कि पाकिस्तान में नए चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस के हाथ में जिस तरह सत्ता का बहुत ज्यादा केंद्रीकरण देखा जा रहा है। उस पर आप क्या-क्या आंकलन है? आसिम मुनीर का इतनी गहराई से सत्ता में फंसे होने का भारत को फायदा है या नुकसान? जयशंकर ने कहा कि भारत के लिए पाकिस्तानी सेना हमेशा एक वास्तविकता की तरह रही है। अगर हम बात करें फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की तो केवल हम ही नहीं उनके हाथ में भी इतनी शक्ति आने से संयुक्त राष्ट्र भी चिंतित है। पाकिस्तान में हाल में हुए संविधान संशोधन को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार एजेंसी के उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने चेतावनी दी है कि 27वें संशोधन न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकती है। टर्क ने एक बयान में कहा कि यह बदलाव उन जरूरी कानूनी नियमों को भी कमजोर कर सकता है, जिनसे देश में कानून-व्यवस्था बनी रहती है। बता दें कि पाकिस्तान में हालिया संवैधानिक बदलावों के बाद अब सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में स्थापित हो गए हैं। उन्हें गत दिनों चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (सीडीएफ) बनाया गया है और इसी के साथ सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और मिसाइल नियंत्रण भी उनके हाथ आ गया है। नया तंत्र उन्हें वास्तविक परमाणु बटन का नियंत्रक बना रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार परमाणु हथियारों के नियंत्रण को इतनी स्पष्टता से सेना को सौंपा गया है कि इससे न केवल सैन्य प्रतिष्ठान की ताकत चरम पर पहुंच गई है, बल्कि जनरल आसिम मुनीर को पाकिस्तान की राजनीति, सामरिक नीतियों और क्षेत्रीय शक्ति समीकरणों में सबसे निर्णायक और प्रभावशाली व्यक्तित्व बना दिया है।
-अनिल नरेन्द्र

Thursday, 11 December 2025

हुमायूं ने रखी बाबरी मस्जिद की नींव


पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रेजीनगर में शनिवार को बाबरी जैसी मस्जिद की बुनियाद रखी गई। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने (6 दिसंबर, 1992) की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में तमाम मौलवी मौजूद रहे। बाबरी मस्जिद बनवाने के ऐलान के कारण तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने इसका शिलान्यास किया। उन्होंने मुर्शिदाबाद जिले में बेलडांगा से सटे इलाके में सैकड़ों समर्थकों के साथ प्रतीकात्मक तौर पर फीता काटकर मस्जिद की नींव रखी। हुमायूं कबीर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की भरतपुर सीट से विधायक हैं। वह पिछले कई दिनों से दावा करते रहे हैं कि 6 दिसम्बर को वे भरतपुर के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनवाने के लिए नींव रखेंगे। उनके समर्थक और अन्य लोग सुबह से ही सिर पर ईंट रखकर निर्माण स्थल पहुंचने लगे थे। हुमायूं कबीर ने निर्माण स्थल से एक किलोमीटर दूर बने मंच पर मौलवियों की मौजूदगी में फीता काटा, समारोह के दौरान अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए गए। इस मौके पर सऊदी अरब के धार्मिक नेता भी मंच पर मौजूद थे। इस दौरान सांप्रदायिक तनाव की आशंकाओं को देखते हुए रेजीनगर और नजदीकी बेलडांगा इलाके में पुलिस, आरएएफ और केंद्रीय बलों की टुकड़ियां तैनात की गई थी जिन्होंने इलाके में फ्लैग मार्च भी किया। नींव रखने के बाद समाचार एजेंसी से बातचीत में हुमायूं कबीर ने कहा, एक साल पहले मैंने ऐलान किया था कि मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में एक नायाब बाबरी मस्जिद का निर्माण होगा। मस्जिद के साथ-साथ इस्लामिया हॉस्पिटल, मेडिकल कालेज, होटल-रेस्टोरेंट, पार्क और हैलीपेड बनाने की योजना है। यह 300 करोड़ का प्रोजेक्ट है। इस मस्जिद की नींव रखे जाने से पहले भाजपा ने आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रही है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, मुख्यमंत्री ममता बनजी राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिमों के ध्रुवीकरण के लिए इस विधायक का इस्तेमाल कर रही हैं। वह आग से खेल रही हैं। उन्होंने कहा कि बेलडांगा से आ रही रिपोर्टें ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। मालवीय ने दावा किया कि कबीर के समर्थकों को इस ढांचे के निर्माण के लिए ईंट ले जाते हुए देखा गया जिसे उन्होंने बाबरी मस्जिद बताया। वहीं टीएमसी नेता सिमोनी घोष ने कहा, भाजपा को हमारा एक ही संदेश है कि खेला होवे। 2026 में ममता बनजी चौथी बार बंगाल की सत्ता संभालेंगी, क्योंकि पश्चिम बंगाल की जनता उनके साथ है और वह अब तक के सबसे बड़े जनादेश में से एक के साथ जीत हासिल करने जा रही हैं। उन्होंने कहा, कोई भी मंदिर बना सकता है, कोई भी मस्जिद बना सकता है, लेकिन अगर इसके पीछे किसी की मंशा यहां धार्मिक अशांति फैलाने की है तो सब जानते हैं कि उन्हें भाजपा से फंडिंग मिल रही है और भाजपा उन्हें बंगाल में कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के लिए उकसा रही है। 62 साल के हुमायूं कबीर ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। साल 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद एक साल बाद वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2015 में कबीर को टीएमसी से बाहर कर दिया गया। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनजी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को राजा बनाना चाहती हैं। भाजपा नेताओं ने इसे वोट बैंक की राजनीति बताते हुए हुमायूं कबीर की गिरफ्तारी तक की मांग कर डाली है। भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने कहा कि ममता 15 वर्षें से तुष्टिकरण और सांप्रदायिकता की राजनीति करती रही हैं। अगर सच में नहीं चाहती कि बाबरी मस्जिद बने तो उन्हें हुमायूं कबीर को गिरफ्तार करना चाहिए था। टीएमसी ने जवाब में कबीर पर भाजपा-आरएसएस के साथ मिलीभगत करके अशांति पैदा करने का आरोप लगाया। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं रोज नई-नई बातें सुनने को मिलेंगी।
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 9 December 2025

क्या यह संकट जानबूझकर बनाया गया?


देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पिछले कुछ दिनों से भारी अव्यवस्था का सामना कर रही है। एक और उड़ानों का बड़े पैमाने पर रद्द होना तो दूसरी ओर आसमान छूते किराए ने यात्रियों की नाक में दम कर दिया है। एयरलाइन्स ने जिम्मेदारी नए एफडीटीएल (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) नियमों पर डाली, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इंडिगो के पास तैयारी के लिए पर्याप्त समय था। इस कारण यह आरोप भी गंभीर हो गया है कि एयरलाइन ने नियमों में ढील पाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का रास्ता चुना। एविएशन विशेषज्ञों के अनुसार इस संकट की जड़ जनवरी 2024 में दायर उस याचिका में है जिसमें पायलट यूनियन ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने थकान और लम्बी ड्यूटी को गंभीर सुरक्षा जोखिम बताया था। कोर्ट के निर्देश के बाद डीजीसीए ने एफडीटीएल नियमों में बदलाव किए और उन्हें एक जुलाई 2025 से लागू कर दिया। इन नियमों में पायलटों को साप्ताहिक 36 घंटे की बजाए 48 घंटे का अनिवार्य आराम दिया और किसी भी छुट्टी को वीकली रेस्ट मानने पर रोक लगा दी। नवम्बर 2025 में इनका दूसरा चरण लागू हुआ, जिसमें लगातार नाइट शिफ्ट पर बड़ी पाबंदी लगा दी गई। इन्हीं बदलावों का असर इंडिगो पर सबसे अधिक पड़ा। 2 दिसम्बर को दिल्ली, मुंबई और बंगलुरू जैसे बड़े एयरपोर्ट्स पर उड़ाने अनियमित होना शुरू हुईं और ऑन टाइम परफॉर्मेंस (ओटीपी) गिरकर 35 प्रतिशत पर आ गया। 3 दिसम्बर को यह स्थिति और बिगड़ी और ऑन टाइम परफॉर्मेंस 19.7 प्रतिशत तक गिर गया। 4 दिसम्बर को हालात लगभग ठप हो गए। करीब 800 उड़ानें रद्द करनी पड़ी और ओटीपी सिर्फ 8.5 प्रतिशत पर रह गया। कई रूट्स पर टिकट का किराया 10,000 से बढ़कर 40,000-50,000 तक देखा गया। क्या यह समस्या मोनोपॉली की वजह से हुई? साल 2006 के अगस्त में दिल्ली-मुंबई के बीच उड़ान से शुरू हुई इंडिगो की कहानी इस मोड़ पर आ जाएगी तब राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने सपने में भी नहीं सोचा होगा, जिन्होंने 2005 में इंडिगो के मालिक इंटर ग्लोबल एंटरप्राइजेस की नींव रखी थी। आज भारत के विभिन्न बाजार में इंडिगो सबसे बड़ी खिलाड़ी है और इसके पास करीब 64 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अब यही बढ़ा कद उसकी हजारों उड़ाने कैंसल होने और यात्रियों को हुई बेशुमार दिक्कतों के चलते सवालों के घेरे में हैं। संसद में भी इंडिगो की कथित मोनोपॉली यानि एकाधिकार पर सवाल उठे। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि इस संकट के लिए केंद्र का मोनोपॉली मॉडल जिम्मेदार है। विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि जो कुछ हुआ यह जानबूझ कर किया गया या बनाया गया। इस संकट से यह साबित होता है कि एक मोनोपॉली कंपनी जब चाहे देश को अपनी उंगलियों पर से नचा सकती है। सरकार ने एयर इंडिया को पीछे धकेल कर इंडिगो को एकाधिकार दिया जिससे वह विमानन क्षेत्र में मनमर्जी कर सके। जो कुछ हुआ है उससे यह छवि बनी है कि कोई एक बड़ी कंपनी भारत के विमानन नियमों में बदलाव करा सकती है। लिहाजा इस घटना से किसी एक कंपनी नहीं, बल्कि देश के पूरे विमानन क्षेत्र की साख पर आंच आई है। एविएशन सेफ्टी फर्म कंसलिटिंग के सीईओ मार्क डी. मार्टिन ने कहाöएकाधिकार बड़ी वजह है। जिस तरह से यह मामला हुआ है उससे दुनिया भर में यह संदेश गया है कि भारत में एविएशन रेगुलेशन में दम नहीं है।
-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 6 December 2025

इमरान खान जिंदा हैं


जी हां, इमरान खान जिंदा है, यह दावा किया है इमरान खान की बहन उजमा खान ने। बता दें कि पिछले कई दिनों से यह आशंका जताई जा रही थी कि इमरान खान की जेल में हत्या कर दी गई है और इसे छिपाया जा रहा है। इमरान के परिवार ने दावा किया था कि अडियाला जेल में लगभग एक महीने से बंद पूर्व प्रधानमंत्री और उनके भाई इमरान खान को किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। आखिरकार इमरान के परिवार और समर्थकों के बढ़ते दबाव की वजह से इमरान की बहन को उनको अपने भाई से जेल के अंदर मिलने की इजाजत दे दी गई। पीटीआई के एक प्रवक्ता और अडियाला जेल के एक अधिकारी ने बीबीसी को पुष्टि की कि उजमा खान को इमरान खान से मिलने की इजाजत मिल गई है। मंगलवार को तब इमरान की तीन बहनें अलीमा खान, नौरीन खान और उजमा खान मुलाकात के लिए अडियाला जेल के बाहर पहुंची तो वहां तैनात पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया था। हालांकि कुछ देर बाद जेल अधिकारियों ने एक अधिकारी को इमरान की बहनों के पास भेजा और मैसेज दिया कि मुलाकात के लिए उजमा खान के नाम पर सहमति बन गई है। अडियाला जेल में 20 मिनट की इमरान से मुलाकात के बाद उजमा जब बाहर आईं तो उन्होंने पत्रकारों से अपने भाई के हाल के बारे में बताया। उजमा खान ने बताया कि वो (इमरान) बड़े गुस्से में थे और कह रहे थे कि हमें ये मेंटल टॉर्चर कर रहे हैं, सारे दिन कमरे में बंद रखते हैं और थोड़ी देर के लिए बाहर जाने देते हैं। किसी से कोई बातचीत की इजाजत नहीं है। जो सब कुछ हो रहा है, उसके लिए आसिम मुनीर जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही उजमा खान ने बताया कि उनकी बस 20 मिनट के लिए बातचीत हो पाई और उनकी (इमरान) सेहत बिल्कुल ठीक है। इससे पहले उनके परिवार ने दावा किया था कि उन्हें लगभग एक महीने से पूर्व प्रधानमंत्री से मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी। सरकारी अधिकारी नहीं चाहते कि इमरान खान का कोई भी संदेश जेल से बाहर आए। बीबीसी से एक इंटरव्यू में इमरान की बहन नौरीन खान ने आरोप लगाया कि उन्हें (सरकारी अधिकारियों को) बस इस बात की चिंता है कि इमरान की बातें बाहर बताई जा रही हैं, इसलिए उन्होंने मिलना-जुलना पूरी तरह से बंद कर दिया है। इमरान की बहनों का कहना है कि पहले वे कोर्ट के आदेश के अनुसार हर मंगलवार को अपने भाई से मिलने जाती थीं। लेकिन इमरान से उनकी आखिरी मुलाकात 4 नवम्बर को हुई थी नौरीन खान ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सरकार और एस्टैब्लिशमेंट इमरान खान से 9 मई की जिम्मेदारी कुबूल करे कि 9 मई की तोड़-फोड़ को उन्होंने ही करवाया था। उन्होंने ही अपने लोगों को गोली मारी। नौरीन खान के मुताबिक इमरान ने जवाब दिया था कि आप सीसीटीवी फुटेज निकाल लें, कैंटोनमेंट के अंदर चेकपोस्ट है, आमी की नजर में आए बिना या कैमरे में कैद हुए बिना कोई भी यहां अंदर नहीं जा सकता। परिवार से मिलने की इजाजत न मिलने की खबरों पर जेल अधिकारियों की तरफ से तो कोई साफ बयान जारी नहीं किया गया। पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के राजनीतिक मामलों के सलाहाकार (राणा सनाउल्लाह खान) ने आरोप लगाया है कि इमरान खान जेल में बैठकर अराजकता और अव्यवस्था फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने शमा टीवी के एक प्रोग्राम में माना कि कानून एक कैदी को उसके परिवार और वकीलों से मिलने की इजाजत तो देता है लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है जहां यह नहीं लिखा है कि किसी कैदी को सरकार के खिलाफ अराजकता, देशद्रोह, अव्यवस्था, आंदोलन या आगजनी करने की इजाजत दे। उधर नौरीन खान ने चेतावनी देते हुए कहा, अगर उन्होंने इमरान खान के साथ कुछ किया तो याद रखें कि वे न पाकिस्तान में रहने के काबिल होंगे और न दुनिया के किसी और कोने में।
-अनिल नरेन्द्र

Thursday, 4 December 2025

पुतिन की यात्रा क्यों अहम है


रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसम्बर को भारतीय राजकीय दौरे पर आ रहे हैं। ये साल 2021 के बाद पहली बार होगा जब ब्लादिमीर पुतिन भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत में होंगे। भारत और रूस के बीच एक विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी है। दोनों ही राष्ट्र कई अहम मौकों पर एक-दूसरे के साथ खड़े हुए नजर आए हैं। राष्ट्रपति पुतिन की इस यात्रा के दौरान भारत और रूस अतिरिक्त एस-400 सिस्टम और सुखोई-57 लड़ाकू विमानों को लेकर रक्षा समझौते पर बात आगे बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा रूस से कच्चे तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर भी वार्ता हो सकती है। राष्ट्रपति पुतिन की ये यात्रा रूस और भारत को परमाणु ऊर्जा, तकनीक और कारोबार के क्षेत्र में अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा का मौका भी देगी। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चार साल बाद यह यात्रा हो रही है बल्कि इसलिए भी है कि लंबे समय से चले आ रहे वैश्विक संघर्ष और अमेरिकी टैरिफ के दबाव से खंडित हो रही वैश्विक भू-राजनीति में यह एक स्वतंत्र और संतुलित विदेश नीति के पक्ष में दोनों देशों का एक रणनीतिक दिशा भी तय कर सकती है। रूस के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने रूस के सरकारी टीवी से बात करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा पर जोर देते हुए कहा है कि ये यात्रा भव्य और कामयाब होगी। राष्ट्रपति पुतिन की ये भारत यात्रा भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता का भी संकेत देती है। यूक्रेन युद्ध के बीच रूस को अलग-थलग करने के पश्चिमी देशों के दबाव को भारत टालता रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ भी लगाए हैं और प्रतिबंध भी लगाए हैं जिससे अमेरिका और भारत के संबंधों पर भी इनका असर पड़ा है। विश्लेषक भी मान रहे हैं कि पुतिन की ये यात्रा भारत और रूस के रक्षा संबंधों को और मजबूत कर सकती है और वैश्विक सुरक्षा को एक नया आकार भी दे सकती है। भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं जो शीत युद्ध के समय से ही चले आ रहे हैं। भारत रूसी हथियारों के सबसे बड़े खरीददारों में से एक है और यह भी नहीं भूला जाना चाहिए कि रूसी एस-400 एयर डिफेंस प्रणाली ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के लिए कितनी उपयोगी रही है। पूर्व राजनयिक मेजर जनरल (रिटायर्ड) मंजीत सिंह पुरी ने कहा, दुनिया के दो अहम देशों रूस और भारत का उच्चतम स्तर पर एक साथ आना खास तौर पर महत्वपूर्ण है। उन्होंने भी कहा कि हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूस से मिले हथियार खासकर एस-400 ने भारत के लिए अहम भूमिका निभाई। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस ने भारत को सस्ते तेल की आपूर्ति बताई जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को राहत मिली। भारत के कुल तेल आयात का 35 फीसदी रूस से होता है, लेकिन दो बड़ी रूसी तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारत को भी इस खरीद में कमी लाने पर मजबूर किया है। लिहाजा ऊर्जा व्यापार के लिए एक स्थायी व स्थिर तंत्र को कायम करना भी इस मुलाकात में चर्चा का विषय हो सकता है, जिसकी अमेरिका पर नजर होगी। एक अमेरिकन विश्लेषक ने कहा कि भारत और रूस दोनों एक-दूसरे के करीब आए हैं क्योंकि दोनों ही अमेरिका से दबाव महसूस कर रहे है। चूंकि भारत-रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है और इस वजह से हाल के महीनों में भारत ट्रंप प्रशासन के निशाने पर है। भारत और अमेरिका के संबंधों में आई गिरावट के बीच भारत का रूस की तरफ से खुलकर हाथ बढ़ाना हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए। पुतिन की नई दिल्ली को इस यात्रा से भारत-रूस दोनों की तरफ से दुनिया को एक संदेश जरूर जाएगा कि दोनों के पास ही शक्तिशाली दोस्त हैं। भारत ने बदलती वैश्विक परिस्थितियों में समायोजित होने के लिए राष्ट्रीय हितों व जरूरतों को वैश्विक साझेदारियों का आधार बनाया है। ऐसे वक्त में जब विश्व बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर अग्रसर है। भारत को रूस के साथ गहरा सहयोग न केवल आर्थिक, रक्षा व सामरिक हितों को मजबूत करेगा बल्कि पूरे विश्व को राजनीति पर असर डाल सकता है। राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत है।
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 2 December 2025

चुनाव आयोग के हाथ खून से रंगे हैं।

यह कहना है तृणमूल कांग्रेस के उस प्रतिनिधिमंडल का जो चुनाव आयोग की पूरी बैंच के साथ दो दिन पहले मिला था। पश्चिम बंगाल में जारी वोटर लिस्ट में बदलाव की प्रािढया के बीच तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन के नेतृत्व में पार्टी के दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आयोग से मुलाकात की। ओ ब्रायन ने मीटिंग के बाद कहा कि पार्टी ने चुनाव आयोग के सामने पांच सवाल उठाए, लेकिन चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने उनका कोई जवाब नहीं दिया। तृणमूल के सांसदों का कहना था कि यदि एसआईआर का उद्देश्य नकली वोटरों और घुसपैठियों का पता लगाना है तो फिर बंगाल ही क्यों? मेघालय और त्रिपुरा में क्यों नहीं? जबकि इन राज्यों की सीमाएं भी बांग्लादेश से मिलती हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस सांसदों को सुनने के बाद आयोग ने स्पष्ट किया कि एसआईआर सभी राज्यों में होना है। डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हम इन एसआईआर की संवैधानिक वैधता पर सवाल नहीं उठा रहे हैं बल्कि उस तरीके पर सवाल उठा रहे हैं, जिस तरीके से जल्दबाजी में इसे लागू किया जा रहा है उस पर एतराज है। एसआईआर के लिए उन्होंने समय बढ़ाने के लिए भी मांग की। तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने जब पावार को चुनाव आयोग की पूरी पीठ से मुलाकात की तो उन्होंने खुलकर आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर के कारण कम से कम 40 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त के हाथ खून से सने हैं। हमने 5 सवाल उठाए और चुनाव आयोग ने एक घंटे तक बिना रूके हमसे बात की। जब हम बोल रहे थे तब हमें भी नहीं टोका गया लेकिन हमारे पांच सवालों में से किसी का भी जवाब नहीं मिला। लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलकर उन्हें 40 ऐसे लोगों की सूची सौंपी जिनकी मौत कथित तौर पर एसआईआर प्रािढया से जुड़ी थी। हालांकि उन्होंने कहा कि आयोग ने इन्हें केवल आरोपी कहकर खारिज कर दिया। सांसदों की चुनाव आयोग से करीब 40 मिनट में कल्याण बनर्जी, महुआ मोइत्रा और ममता बाला ठाकुर ने अपनी बात रखी और जो कहना था वो कहा। उन्होंने कहा, इसके बाद सीईसी ने एक घंटे तक बिना रूके बात की। जब हम बोल रहे थे तब हमें भी नहीं टोका गया, लेकिन हमें हमारे पांच सवालों में से किसी एक का भी जवाब नहीं मिला। एसआईआर के दूसरे चरण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। टीएमसी सांसदों के प्रश्नों का संतोषजनक जवाब न देना इस प्रािढया के औचित्य और उपलब्धता पर सवाल उठ रहा है। एसआईआर से जुड़े संदेहों का दूर न होना शुभ संकेत नहीं है। एसआईआर के राजनीतिक पहल को समझा जा सकता है। खासकर बंगाल में जहां भाजपा और तृणमूल की कड़ी टक्कर होने का अंदाजा है। लेकिन इससे जुड़ी चिंताओं को भी खारिज नहीं कर सकते। एसआईआर की प्रासंगिकता पर कोई सवाल नहीं है और न ही आयोग के अधिकार पर। सुप्रीम कोर्ट भी यह बात कह चुका है। लेकिन विपक्ष की चिंताओं को दूर करना भी आयोग की ही जिम्मेदारी है। विपक्ष को अगर लग रहा है कि उनकी बातों को अनसुना किया जा रहा है तो देश की इस संवैधानिक संस्था को न केवल इनका संतोषजनक जवाब देना होगा। बल्कि स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव प्रािढया भी अपनानी होगी। 
-अनिल नरेन्द्र