Saturday, 14 May 2022
पाकिस्तान की दागी नई सरकार
भारत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता का दौर चल रहा है। चाहे श्रीलंका हो और चाहे पाकिस्तान हो। दोनों ही देशों में नई सरकारें बन गई हैं। पाकिस्तान की बात करते हैं। पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के दामन पर भी दाग हैं। खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर घोटालों और अनियमितताओं के चार बड़े आरोप हैं। वैसे शहबाज खुद को बेगुनाह बताते हैं। लेकिन एक आपराधिक मामले में शहबाज बेल पर बाहर हैं। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर राजा परवेज अशरफ पर पॉवर प्रोजेक्ट में घूस लेने का आरोप हैं। शहबाज के बेटे और पंजाब के मुख्यमंत्री हमजा शरीफ पर भी आपराधिक मामलों की लंबी सूची है। हमजा और शहबाज दोनों बेटे और बाप पर करप्शन और मनी लांड्रिंग के भी मामले हैं। पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह तो 2019 में ड्रग से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। सनाउल्लाह छह महीने की सजा भी काट चुके हैं। शहबाज शरीफ के योजना मंत्री अहसान इकबाल पर एक स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स के निर्माण के घोटाले में मामला दर्ज किया गया था। बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई। कई और मंत्री जमानत पर चल रहे हैं। शहबाज शरीफ पर चार बड़े केस लंबित हैं। इसमें आसियाना हाउसिंग स्कीम से जुड़ा मामला सबसे अहम है। 2010 में इस मामले में आसियाना स्कीम के कांट्रेक्ट को तोड़ दिया गया। इसके कारण 19 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। पाकिस्तान की नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने शहबाज को इसका दोषी ठहराया है। दूसरा मामला आय से अधिक सम्पत्ति का है। उनके परिवार के अन्य सदस्यों के पास भी आय से अधिक सम्पत्ति पाई गई है। शरीफ परिवार की लगभग 23 सम्पत्तियों को फ्रीज भी किया गया था। तीसरा मामला रमजान शूगर मिल से जुड़ा है। नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो के अनुसार पंजाब का मुख्यमंत्री रहने के दौरान शहबाज शरीफ ने चिन्नीओर जिले में अपने बेटों को शूगर मिल के आबंटन में गड़बड़ी की थी। ब्यूरो के अनुसार शहबाज और उनके बेटे हमजा ने पाकिस्तान की सरकार के खजाने को 21 करोड़ रुपए का घाटा पहुंचाया था। चौथा मामला हुदाचिबा पेपर मिल्स से जुड़ा है। इसमें शहबाज शरीफ पर आरोप है कि उन्हें नवाज शरीफ के समधी इशहाक डार से अरबों रुपए की राशि गैर-कानूनी रूप से खातों से मिली। वैसे लाहौर हाई कोर्ट ने बाद में शहबाज शरीफ के खिलाफ इस मामले में लगाई गई अर्जी को खारिज कर दिया था। दिलचस्प तथ्य यह है कि शहबाज शरीफ ने बतौर प्रधानमंत्री जिस दिन शपथ ली थी, उन्हें इसी मामले में उस दिन एक स्थानीय अदालत में पेश होना था। इमरान खान ने हुदाचिबा पेपर मिल्स घोटाले में शहबाज का नाम होने को मुद्दा बनाया था। शहबाज को इस केस में जमानत मिली हुई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के विशेष सलाहकार हनीफ अब्बासी जुलाई 2018 में नारकोटिक्स के एक मामले में कई महीनों की जेल काट चुके हैं। अब्बासी को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा दी थी। हाई कोर्ट ने 2019 में अब्बासी को रिहा कर दिया था। इमरान की पार्टी ने अब्बासी की नियुक्ति के खिलाफ कोर्ट में अर्जी लगाई हुई है।
ताज महल या तेजो महालय?
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दाखिल की गई थी। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को आगरा में ताज महल के अंदर 22 कमरे खोलने का निर्देश देने की मांग की गई। जिसमें यह पता लगाया जा सके कि वहां हिन्दू मूर्तियों और शिलालेख हैं या नहीं? यह याचिका भाजपा के अयोध्या जिले के मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह की तरफ से दाखिल की गई थी। याचिका में ताज महल को तेजो महालय बताते हुए सरकार से तथ्य खोज समिति गठित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। इसमें कहा गया था कि ताज महल परिसर का सर्वेक्षण जरूरी है, जिसमें शिव मंदिर होने की वास्तविकता का पता लगाया जा सके। समिति इन कमरों की जांच करे, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके कि वहां हिन्दू मूर्तियां या धर्मग्रंथों से संबंधित सुबूत हैं या नहीं? इतिहासकारों का हवाला भी दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि ताज महल की चार मंजिला इमारत के ऊपरी और निचले हिस्से में 22 कमरे हैं, जो स्थायी रूप से बंद हैं। पीएनओक और कई इतिहासकारों का मानना है कि उन कमरों में शिव का मंदिर है। हालांकि यह कमरे पहले कभी खुले हैं या नहीं? इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। ताज महल के लंबे समय से हिन्दुवादी संगठन तेजो महालय होने का दावा कर रहे हैं। कई हिन्दुवादी संगठनों की ओर से सावन में ताज महल में शिव आरती करने का प्रयास भी किया गया है। पिछले दिनों जगद्गुरु परमहंस साची भी ताज महल को तेजो महालय होने के दावे के साथ शिव पूजा करने की बात पर अड़े हुए थे। यह काफी विवाद का विषय बना था।
महंगाई बढ़ने पर हम वजन कम कर देते थे
महंगाई की मार से अब कंपनियां भी त्रस्त होने लगी हैं। यही कारण है कि उपभोक्ता वस्तुएं बनाने वाली कंपनियां (एफएमजीसी) ने छोटे पैकेट का वजन घटाना शुरू कर दिया है। पारले और ब्रिटानिया जैसी कंपनियां ग्रामीण बाजारों पर पकड़ बनाए रखने के लिए छोटे पैकेट में सामान बिक्री पर ज्यादा जोर देती हैं। इनकी कुल बिक्री में छोटे पैकेट वाले सामान की 40 से 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हालांकि महंगे खाद्य तेल, चीनी और गेहूं की कीमत के कारण इन कंपनियों पर दो रुपए से लेकर 10 रुपए तक के छोटे पैकेट के वजन में कटौती का दबाव बढ़ा है। पिछले छह महीनों में पारले-जी बिस्कुट के 10 रुपए से कम कीमत वाले सभी पैकेट के वजन को घटाकर सात से आठ प्रतिशत महंगा किया जा चुका है। पारले प्रॉडक्ट्स के वरिष्ठ कैटेगरी प्रमुख कृष्ण राय बुद्धा का कहना है कि छोटे पैकेट का उत्पादन काफी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इनसे होने वाली कमाई ज्यादा अच्छी नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां तक संभव है, हम पैकेट का वजन कम करते हैं। इसी तरीके से हम टिके रहते हैं और महंगाई का प्रबंधन करते हैं। 10 रुपए से ज्यादा मूल्य वाले पैकेट की कीमतों में हम धीरे-धीरे वृद्धि करते हैं। महंगाई से परिवारों की खर्च करने की शक्ति घट रही है। इसका कारण यह है कि खुदरा के मुकाबले थोक कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। प्रिया गोल्ड ब्रांड से बिस्कुट बेचने वाली कंपनी सूची फूड एंड एग्रो का कहना है कि महंगाई के कारण कंपनियों का संचालन कठिन हो रहा है। कंपनी के निदेशक शेखर अग्रवाल का कहना है कि महंगाई बढ़ने पर वजन कम कर देते थे। लेकिन अब यह तरीका काम नहीं कर रहा है। हम पांच रुपए वाले पैकेट को बंद कर सकते हैं या फिर पांच रुपए वाले पैकेट की कीमत बढ़ाकर 10 रुपए कर सकते हैं। पारले कंपनी का कहना है कि मार्च तिमाही में चीनी की कीमतों में सात प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसके अलावा पैकेजिंग, लेमिनेशन और कार्टन के दामों में क्रमश 20 और 22 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है।
-अनिल नरेन्द्र
Thursday, 12 May 2022
हिमाचल में खालिस्तानी झंडा, राजनीति दिल्ली में
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के बाहर खालिस्तानी झंडे लगाए जाने के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक-दूसरे पर जमकर हमला बोल रहे हैं। वार-पलटवार की जबरदस्त राजनीति चल रही है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से लेकर पार्टी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज, सांसद संजय सिंह व आप नेता आतिशी ने भाजपा को घेरते हुए जोरदार कटाक्ष किया है। मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि बेहद कड़ी सुरक्षा वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा परिसर भवन पर खालिस्तानी झंडा लगना सुरक्षा की बहुत बड़ी नाकामी है। हिमाचल के मुख्यमंत्री को तुरन्त इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि पूरी भाजपा तेजिंदर सिंह बग्गा को बचाने में लगी है और उधर खालिस्तानी झंडे लगाकर चले गए। जो सरकार विधानसभा न बचा पाए वो जनता को कैसे बचाएगी? भाजपा सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है। आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल विधानसभा परिसर के आसपास खालिस्तानी झंडे लगाना देश और हिमाचल प्रदेश के लिए शर्म की बात है। भाजपा और पुलिस अपराधियों को बचाने में लगी रहेगी तो आतंकवादी अपना झंडा लगाने से कैसे रुकेंगे? इस मुद्दे पर आप नेता आतिशी ने कहा कि अगर भाजपा सरकार एक विधानसभा को सुरक्षा नहीं दे सकती है तो सामान्य इंसान को सुरक्षा कैसे दे पाएगी। भाजपा सिर्प इसमें व्यस्त है कि दंगाइयों को कैसे बचाया जाए इसलिए विधानसभा पर जो सुरक्षा होनी चाहिए वो सुरक्षा नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि खालिस्तानी सबसे सुरक्षित जगह हिमाचल प्रदेश विधानसभा पर यह झंडा लगाकर चले गए, यह राज्य सरकार और भाजपा की असफलता है। बग्गा को बचाने में पूरी भाजपा और उनकी सरकारें व्यस्त हैं तो वह हिमाचल प्रदेश और देश की सुरक्षा कैसे करेंगी? संजय सिंह ने कहा कि विधानसभा सबसे सुरक्षित जगह होती है और खालिस्तानी झंडा लगाकर चले गए। यह घटना हिमाचल के लोगों का अपमान है। खालिस्तानी झंडा फहराने वाले के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सिर्प हिमाचल प्रदेश की बात नहीं है। पहले जब बिहार एक था तो पटना और रांची में विधानसभा थी। नागपुर और मुंबई में विधानसभाएं थीं। यह तो कई राज्यों में इस तरह से व्यवस्था है कि अलग-अलग जगहों पर विधानसभा के सत्र चलते हैं। जयराम रमेश ठाकुर का धर्मशाला में विधानसभा भवन न होने की बात कहना हास्यास्पद है। कैबिनेट के एक मंत्री के पास हिन्दुस्तानभर में जितने घर होते हैं, उनके सभी घरों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था होती है। अगर मंत्री के लिए सुरक्षा व्यवस्था होती है तो विधानसभा के लिए क्यों नहीं होता? पलटवार करते हुए दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी की पंजाब में सरकार बनने के बाद देश के अंदर खालिस्तानी गतिविधियां जिस तरह से बढ़ती जा रही हैं और उसका सीधा कनेक्शन पंजाब से निकल रहा है, हर देशवासी के लिए खतरनाक साबित होने वाला है। केजरीवाल की पार्टी एक खालिस्तानी समर्थक पार्टी बन चुकी है। उन्होंने कहा कि खालिस्तान के एजेंडे पर चलने वाली सरकार आज देश के कई राज्यों में खालिस्तानी गतिविधियों को अंजाम दे रही है। आदेश गुप्ता ने कहा कि इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि जब से आम आदमी पार्टी पंजाब में सक्रिय हुई है तब से ही खालिस्तानी मूवमेंट पंजाब व अन्य प्रदेशों में तेज होने लगा है। आतंकवादी पन्नू ने तो खुलेआम आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी को पंजाब चुनाव 2022 जीतने के लिए हमने विदेशी चंदा लिया है। खालिस्तानी शक्तियां अपना रंग भी दिखाने लगी हैं। पहले पटियाला में रंग दिखाया और आज धर्मशाला में विधानसभा की दीवार पर खालिस्तानी झंडा लगाना कोई संयोग नहीं बल्कि एक प्रयोग है। पंजाब सहित देश में हो रहीं खालिस्तानी गतिविधियों को रोकने की सख्त जरूरत है।
टेनी अगर संयम बरतता तो किसानों की जान न जाती
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा उर्प टेनी के आशीष मिश्र उर्प मोनू की कथित संलिप्तता वाली लखीमपुर खीरी हिंसा के चार आरोपियोंöलवकुश, अंकित दास, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी। इस बीच आशीष मिश्र की जमानत याचिका पर सुनवाई 25 मई तक के लिए टाल दी गई। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने चारों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि यह सभी मुख्य आरोपी आशीष के साथ सक्रिय रूप से योजना बनाने एवं इस जघन्य अपराध को अंजाम देने में शामिल रहे हैं। अदालत ने कहा कि मामले के सभी आरोपी राजनीतिक रूप से अत्याधिक प्रभावशाली हैं। अत जमानत पर छूटने के बाद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि वह साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे और गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे। पीठ ने एसआईटी (विशेष जांच दल) के इस निष्कर्ष को भी ध्यान में रखा कि यदि केंद्रीय मंत्री टेनी ने कुछ दिन पहले किसानों के खिलाफ जनता के बीच कुछ कटु वक्तव्य न दिए होते तो ऐसी घटना न होती। पीठ ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे हुए राजनीतिक व्यक्तियों को भी जनता के बीच मर्यादित भाषा में बयान देने चाहिए और उन्हें अपने पदों की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। अपने आदेश में पीठ ने कहा कि जब उस क्षेत्र में धारा 144 लागू थी तो केंद्रीय मंत्री के गांव में कुश्ती प्रतियोगिता को रद्द न किया जाना प्रशासनिक अनदेखी है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि उपमुख्यमंत्री को क्षेत्र में धारा 144 लागू होने का ज्ञान न रहा होगा तो भी केंद्रीय मंत्री ने कुश्ती प्रतियोगिता में शामिल होने का निर्णय लिया। दूसरी ओर मामले के मुख्य आरोपी आशीष की जमानत अर्जी जस्टिस कृष्ण बहल की एकल पीठ के सामने लगी थी, किन्तु उस पर सुनवाई नहीं की गई। गौरतलब है कि आशीष की मंजूर जमानत उच्चतम न्यायालय ने 18 अप्रैल को खारिज कर दी थी तथा मामले को वापस उच्च न्यायालय को नए सिरे से सुनवाई के लिए पेश किया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले साल तीन अक्तूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में हिंसा के दौरान आठ लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना तब हुई जब केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे। घटना से गुस्साए किसानों ने चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी। इस हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।
-अनिल नरेन्द्र
Wednesday, 11 May 2022
नवनीत राणा ने भरी हुंकार
निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने रविवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। हनुमान चालीसा का पाठ करने के विवाद को लेकर पिछले महीने मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गईं नवनीत राणा को हाल में जमानत मिली है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मुंबई के लोग और भगवान राम नगर निगम निकाय चुनावों में शिवसेना को सबक सिखाएंगे। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मई 2020 को महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य के तौर पर शपथ ली थी। वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद नवम्बर 2019 में मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले वह राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं थे। महाराष्ट्र में अमरावती से सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को मुंबई पुलिस ने 23 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया था। दम्पति ने घोषणा की थी कि वह यहां मुख्यमंत्री ठाकरे के निजी निवास मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे जिससे शिवसेना के कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए थे। मुंबई की एक विशेष अदालत ने दम्पति को चार मई को जमानत दी थी। वह पांच मई को जेल से बाहर आए, जिसके बाद नवनीत राणा को मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके वकील ने बताया था कि राणा को हाई ब्लड प्रेशर, शरीर में दर्द और स्पॉन्डलाइटिस की शिकायत थी। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद रविवार को पत्रकारों से बातचीत में नवनीत राणा ने कहाöमैं उद्धव ठाकरे जी को एक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव करने और लोगों द्वारा सीधा निर्वाचित होने की चुनौती देती हूं। मैं उनके खिलाफ चुनाव लड़ूंगी। मैं ईमानदारी के साथ कठिन मेहनत करूंगी और चुनाव जीतूंगी और चुनाव जीतने पर उद्धव ठाकरे जी को लोगों की ताकत का पता चल जाएगा। सांसद ने कहाöमैंने क्या अपराध किया था कि मुझे 14 दिन तक जेल में रहना पड़ा? आप मुझे 14 साल के लिए जेल में डाल सकते हो लेकिन मैं भगवान राम और हनुमान का नाम लेना बंद नहीं करूंगी। जनता और भगवान राम निकाय चुनावों में शिवसेना को सबक सिखाएंगे। नवनीत राणा ने यह भी कहा कि वह मुंबई में प्रचार करेंगी और शिवसेना के भ्रष्ट शासन को खत्म करने के लिए रामभक्तों का समर्थन करेंगी। जय श्रीराम।
अमेरिकी खुफिया सेवा की सुरक्षा में सेंध
घटना थोड़ी पुरानी जरूर है पर है बहुत महत्वपूर्ण। अमेरिका में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के दो जासूस गिरफ्तार किए गए। दोनों अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा संचालन करने वाली सीकेट सर्विस सहित खुफिया और सुरक्षा तंत्र में सेंध लगा चुके थे। दुनिया की सबसे तेजतर्रार एजेंसी में सेंध से सनसनी फैल गई। सेंध पर एक नजर। सीकेट सर्विस को 2012 से 2017 तक व्हाइट हाउस में कई सुरक्षा चूक का सामना करना पड़ा। 2014 में एक घुसपैठिया बाढ़ से कूद कर व्हाइट हाउस में घुस गया था। बाद में पकड़ा गया। 2020 में फ्लोरिडा स्थित डोनाल्ड ट्रंप के रिसोर्ट में तीन युवा एके-47 राइफल के साथ घुस गए थे। हालांकि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 2019 में चीन की यूजियांग डोनाल्ड ट्रंप के रिसोर्ट में अवैध रूप से दाखिल होने पर गिरफ्तार कर लिए गए थे। 2019 में चीन के शंघाई की रहने वाली एक अधेड़ महिला भी ट्रंप के रिसोर्ट तक पहुंच गई थी। उसने कुछ फोटो भी लिए थे। उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया था। वाशिंगटन डीसी में रहने वाले 40 वर्षीय एरियन लाहेरजादेह और 35 वर्षीय हैदर अली सीकेट सर्विस का एजेंट बनकर जासूसी कर रहे थे। जासूसों ने एफबीआई, नौसेना और रक्षा अधिकारियों को भी झांसा दिया था। दोनों व्हाइट हाउस और पेंटागन के संवेदनशील दस्तावेज चुराने की फिराक में थे। इनके पास से आईफोन, सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन, टीवी, असाल्ट राइफल, जेनेरेटर बरामद हुए हैं। इससे पता चलता है कि खतरा कितना बड़ा था। वाशिंगटन डीसी में यह जासूस जहां रहते थे, उस अपार्टमेंट में वीडियो सर्विलांस पर लगा रखा था। वहां रहने वाले इनके झांसे में आ चुके थे और वह किसी का भी फोन इस्तेमाल कर सकते थे। यह अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को महंगे गिफ्ट देते रहते थे। तारजादेह ने बाइडन की सुरक्षा में लगे एजेंट को 2000 डॉलर की असाल्ट राइफल खरीदने की पेशकश की थी। जासूसी के सम्पर्प वाले अपने चार एजेंटों को निलंबित करना पड़ा। कौन है आरोपी? एरियन और हैदर को संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने बुधवार को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उन्होंने खुद को अमेरिकी अधिकारी कहकर गलत पहचान बताई और अमेरिका की सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश की। तारजादेह और अली का पर्दाफाश तब हुआ जब उन्होंने एक हमले की जांच कर रहे अमेरिकी डाक निरीक्षक को कानून प्रवर्तन के सदस्य होने के बारे में झूठा बयान दिया। 1865 में गठित हुई यूएस सीकेट सर्विस का 1901 से राष्ट्रपति की सुरक्षा में पूर्णकालिक तैनाती की गई।
-अनिल नरेन्द्र
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