Saturday, 14 May 2022

महंगाई बढ़ने पर हम वजन कम कर देते थे

महंगाई की मार से अब कंपनियां भी त्रस्त होने लगी हैं। यही कारण है कि उपभोक्ता वस्तुएं बनाने वाली कंपनियां (एफएमजीसी) ने छोटे पैकेट का वजन घटाना शुरू कर दिया है। पारले और ब्रिटानिया जैसी कंपनियां ग्रामीण बाजारों पर पकड़ बनाए रखने के लिए छोटे पैकेट में सामान बिक्री पर ज्यादा जोर देती हैं। इनकी कुल बिक्री में छोटे पैकेट वाले सामान की 40 से 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हालांकि महंगे खाद्य तेल, चीनी और गेहूं की कीमत के कारण इन कंपनियों पर दो रुपए से लेकर 10 रुपए तक के छोटे पैकेट के वजन में कटौती का दबाव बढ़ा है। पिछले छह महीनों में पारले-जी बिस्कुट के 10 रुपए से कम कीमत वाले सभी पैकेट के वजन को घटाकर सात से आठ प्रतिशत महंगा किया जा चुका है। पारले प्रॉडक्ट्स के वरिष्ठ कैटेगरी प्रमुख कृष्ण राय बुद्धा का कहना है कि छोटे पैकेट का उत्पादन काफी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इनसे होने वाली कमाई ज्यादा अच्छी नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां तक संभव है, हम पैकेट का वजन कम करते हैं। इसी तरीके से हम टिके रहते हैं और महंगाई का प्रबंधन करते हैं। 10 रुपए से ज्यादा मूल्य वाले पैकेट की कीमतों में हम धीरे-धीरे वृद्धि करते हैं। महंगाई से परिवारों की खर्च करने की शक्ति घट रही है। इसका कारण यह है कि खुदरा के मुकाबले थोक कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। प्रिया गोल्ड ब्रांड से बिस्कुट बेचने वाली कंपनी सूची फूड एंड एग्रो का कहना है कि महंगाई के कारण कंपनियों का संचालन कठिन हो रहा है। कंपनी के निदेशक शेखर अग्रवाल का कहना है कि महंगाई बढ़ने पर वजन कम कर देते थे। लेकिन अब यह तरीका काम नहीं कर रहा है। हम पांच रुपए वाले पैकेट को बंद कर सकते हैं या फिर पांच रुपए वाले पैकेट की कीमत बढ़ाकर 10 रुपए कर सकते हैं। पारले कंपनी का कहना है कि मार्च तिमाही में चीनी की कीमतों में सात प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसके अलावा पैकेजिंग, लेमिनेशन और कार्टन के दामों में क्रमश 20 और 22 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। -अनिल नरेन्द्र

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