Saturday, 5 April 2025
औरंगजेब मुद्दा गैर जरूरी है
चीन-बांग्लादेश-पाक खतरनाक त्रिकोण
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस 26 से 29 मार्च तक चीन के दौरे पर थे। 28 मार्च को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से उनकी द्विपक्षीय बातचीत के दौरान कई करार तो हुए ही, साथ ही यूनुस ने ये भी कहा कि चीन का विकास बांग्लादेश के लिए प्रेरणादायक है। दोनों देशों के साझा बयान में बांग्लादेश में तीस्ता प्रोजेक्ट के लिए चीनी कंपनियों को न्यौता दिया। याद रहे कि पिछले साल जून में पूर्व पीएम शेख हसीना चीन गई थीं और दौरे को अधूरा छोड़ वह बांग्लादेश लौट आई थीं। उन्होंने कहा था कि वह चाहती हैं कि प्रोजेक्ट भारत की ओर से पूरा हो। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का हवाला देते हुए चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को विस्तार देने की अपील करके बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस से एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर के सातों राज्यों को लैंड लॉक्ड (जमीन से चारों ओर से घिरा) क्षेत्र बताया और बांग्लादेश को इस इलाके में समंदर का एकमात्र संरक्षक बताते हुए चीन से अपने यहां आर्थिक गतिविधि बढ़ाने की अपील की। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मोहम्मद यूनुस के इस बयान को आपत्तिजनक बताया है। भारतीय राजनयिकों ने भी यूनुस के इस बयान पर हैरानी जताई है। हिमंत बिस्व सरमा ने एक्स पर लिखा, बांग्लादेश की तथाकथित अंतरिम सरकार के मोहम्मद यूनुस द्वारा दिया गया वह बयान घोर निदंनीय है, जिसमें उन्होंने पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को जमीन से घिरा बताया और बांग्लादेश को उनकी समुद्री पहुंच का संरक्षक बताया। यूनुस के ऐसे भड़काऊ बयानों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए क्यों ये (बयान) गहन राजनीतिक विचारों दीर्घकालिक एजेंडे को दर्शाते हैं। वही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गौरव गोगोई ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की विदेश नीति इस हद तक कमजोर हो गई कि भारत की मदद से स्वतंत्रता हासिल करने वाला बांग्लादेश भी उसके खिलाफ हो गया है। गोगोई मोहम्मद यूनुस के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उनहोंने अपने देश को इस क्षेत्र में महासागर का एकमात्र संरक्षक बताया था। चीन-बांग्लादेश की ये नजदीकियां कई लिहाज से भारत के लिए चिंताजनक हैं। एक ओर तीस्ता नदी विकास परियोजना से भारत की सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हैं। साथ ही नार्थ-ईस्ट के मद्देनजर बांग्लादेश का चीन को प्रस्ताव भी भारत के लिए खतरे की घंटी की तरह है। जनवरी में यूनुस सरकार ने भारत के चिकेन नेक के नाम से मशहूर सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास रंगपुर में पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल का दौरा कराया था। इसी चिकन नेक के दूसरी ओर चीन की निगाहें लगी हुई हैं। यह कॉरिडोर भारत के लिए बेहद अहम है। दूसरी ओर अतीत की कड़वाहट को परे कर पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेशी मंत्री इशाक डार ने ऐलान किया है कि वह अगले महीने बांग्लादेश जाएंगे। 2012 के बाद यह किसी पाकिस्तानी मंत्री की पहली यात्रा होगी। इस बीच अप्रैल के शुरुआत में बीआईएमएसटीईसी समिट में पीएम मोदी और यूनुस का आमना-सामना होगा। चीन-बांग्लादेश-पाक त्रिकोण भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है जिसकी काट करना जरूरी है।