Thursday, 24 April 2025
तीन महीने में ही ट्रंप ने तारे दिखा दिए
अमेरिका में जबसे डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभाली है, उनका हर कदम विवादों में घिर जाता है। अभी हॉवर्ड विश्वविद्यालय का अनुदान रोकने पर विवाद थमा भी न था कि विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के एक हजार से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों का वीजा रद्द किए जाने को लेकर नया विवाद छिड़ गया है। शनिवार को डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ लाखों प्रदर्शनकारी एक बार फिर सड़कों पर उतर आए। इन प्रदर्शनों को हैंडस ऑफ नाम दिया गया। 50 राज्यों के हजारों लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। ये प्रदर्शन नागरिकों के अधिकारों, आजीविका और अमेरिकी लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे को खतरा माने जाने वाले मुद्दों पर हो रहा है। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास व्हाइट हाउस का भी घेराव किया। प्रदर्शन सभी अमेरिका के 50 राज्यों में हुए। प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप पर नागरिक और कानून के शासन को कुचलने का आरोप लगाया। इस आंदोलन को 50501 नाम दिया गया है जिसका मतलब 50 विरोध प्रदर्शन, 50 राज्य, 1 आंदोलन है। प्रदर्शन के दौरान लोगों ने व्हाइट हाउस के अलावा टेस्ला के शोरूम का भी घेराव किया। प्रदर्शन के दौरान पोस्टर पर लिखा था, ट्रंप के अल साल्वाडोर जेल में डिपोर्ट कर दिया जाए। साथ ही ट्रंप के खिलाफ शर्म करो, जैसे नारे भी लगाए गए। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति पर नागरिक स्वतंत्रता और कानून के शासन को कमजोर करने के आरोप लगाए हैं। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि हमारा मकसद ट्रंप प्रशासन के तहत बढ़ते सत्तावादी रवैये से लोकतंत्र को बचाना है। उन्होंने इसे अहिंसक आंदोलन बताया है। इस विरोध प्रदर्शन में कई राजनीतिक दलों के शामिल होने की बात कही जा रही है। इतना ही नहीं प्रदर्शकारियों ने अल साल्वाडोर से निर्वासित होने वाले किल्मर अब्रेगो गार्सिया की वापसी की भी मांग की है। अमेरिका के लोग ट्रंप की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कई कारणों से कर रहे हैं। इसमें टैरिफ वार और सरकारी नौकरी समेत कई मुद्दे शामिल हैं। यह विरोध प्रदर्शन का दूसरा दौर है जब अमेरिकी जनता फिर से सड़कों पर उतरी है। इससे पहले 5 अप्रैल को ट्रंप के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शन के पीछे कौन है जवाब में कहा जा सकता है कि इसको लोकतंत्र समर्थक समूहों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और महिला अधिकार जैसे 150 समूह आयोजित कर रहे है। प्रमुख आयोजक जैसे मूव ऑन ट्रंप प्रशासन के खिलाफ चुनाव से काफी पहले से सक्रिय रहे हैं। फंडिंग के मामले में कहा जा रहा है कि क्राउड फंडिंग डोनेशन और दो ग्रुप अपने संसाधनों से प्रदर्शन को मैनेज कर रहे हैं। सेन फ्रांसिस्को में सैकड़ों लोगों ने प्रशांत महासागर के किनारे समुद्री रेत पर महाभियोग लाओ और ट्रंप हटाओ नारा लिख रखा था। एंक्रोरेज में लोगों ने हाथ में तख्तियां ले रखी थी जिस पर लिखा था कोई राजा नहीं है। उसके साथ एक प्रदर्शनकारी हाथ में कार्ड बोर्ड को लेकर चल रहा था जिस पर लिखा था सामंती युग खत्म हो चुका है। प्रदर्शन का आयोजन करने वालों का कहना है कि वे नागरिक और संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघनों का विरोध करते हैं। राष्ट्रपति ने अप्रवासियों को निर्वासित करने और हजारों सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर संघीय सरकार को कमजोर करने का प्रयास किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से आए हैं उन्होंने सारी दुनिया में अपनी नीतियों को लेकर उथल-पुथल मचा दी है। जिस तरह से उन्हें अमेरिकी जनता ने मैंडेट दिया था उम्मीद की जाती थी कि यह अमेरिकी हितों व व्यापार को नई दिशा देंगे। इन्होंने तो ऐसे कदम उठाएं है जिससे न केवल शेष दुनिया परेशान है बल्कि खुद अमेfिरकी जनता सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गई है। अभी तो इन्हें पदभार संभाले मुश्किल से तीन महीने हुए हैं और यह हाल है। उन्हें अगले चार साल झेलना बहुत ही कष्टदायक होने वाला है। अगर यह तब तक राष्ट्रपति रहे तो?
-अनिल नरेन्द्र
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