Thursday, 10 April 2025

संघ की विचारधारा में भेदभाव नहीं

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने रविवार को वाराणसी में कहा कि संघ की शाखाओं में सभी भारतीयों का स्वागत है। देश में पंथ, जाति, संप्रदाय की पूजा पद्धति अलग-अलग है, लेकिन संस्कृति एक है। हालांकि औरंगजेब को आदर्श मानने वालों को छोड़कर सभी स्वीकार हैं। संघ में विचारधारा में पूजा पद्धति के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता। अलदहिया स्थित लाजपत नगर पार्क में प्रभात शाखा में स्वयं सेवकों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने ये बातें कही। भागवत ने कहा कि शाखा में उन सभी लोगों के लिए द्वार खुले हैं जो `भारत माता की जय बोले और भगवा ध्वज के प्रति सम्मान प्रखर करे'। भागवत ने कहा कि जो लोग अखंड भारत अव्यावहारिक मानते हैं, उनको सिंध प्रांत की दुर्दशा देखनी चाहिए। पिछले दशकों में भारत से जो हिस्से कटे हैं। आज उनकी दुर्दशा हो रही है। इसलिए अखंड भारत व्यावहारिक है। भागवत ने कहा कि स्वयं और परिवार के साथ हमें समाज पर भी खर्च करना चाहिए। सामाजिक समरसता के लिए यह आवश्यक है। शाखा पर प्रोटोकॉल के तहत पहुंच नगर आयुक्त अक्षत वर्मा और सीडीओ हिमांश नागपाल से भी चर्चा की। भागवत ने कहा कि संघ समाज को कुछ देने की भावना को प्रमुखता देता है। संघ में जो लोग प्रकट करने की सोच के साथ आते हैं उनसे निवेदन है कि न आएं। रविवार को लाजपत नगर में स्वयं सेवक दीपक कपूर के आवास पर विवेकानंद शाखा के स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। मोहन भागवत ने कहा कि स्वयं सेवक के लिए शाखा के महत्व को खुद समझना सबसे जरूरी है। प्रतिदिन एक घंटे शाखा पर जाने से व्यक्तित्व का विकास होता है। -अनिल नरेन्द्र

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