Tuesday, 29 April 2025

आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता


कुछ स्थानीय कश्मीरियों को भी इन सीमापार से आए आतंकियों का गुप्त समर्थन है। शायद यही समझकर पाकिस्तान ने पहलगाम के बैसरन पर्यटक स्थल पर हमला करवाया। आतंकियों के हुक्मरानों ने सोचा होगा कि बैसरन में चुन-चुन कर मजहब के नाम पर निर्दोषों की निर्मम हत्या की जाए तो इससे भारत के अंदर हिन्दु-मुस्लिम टकराव बढ़ेगा और भारत में गृह युद्ध की स्थिति आ जाएगी और देश बुरी तरह से बंट जाएगा। पर हुआ

इसके विपरीत। पूरा देश एकजुट होकर आतंकवाद खिलाफ खड़ा हो गया। तमाम सियासी पार्टियों ने सरकार के साथ खड़ा होकर एकजुटता का जो प्रदर्शन किया उसकी शायद पाकिस्तान ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।

रही बात मजहब की तो पाकिस्तान के सामने जीता जागता उदाहरण आदिल हुसैन शाह का है। आदिल हुसैन ने बैसरन में जब आतंकियों ने

हालांकि जम्मू-कश्मीर कई दशकों से आतंकवाद से प्रभावित है और इसका असर स्थानीय आबादी पर भी पड़ता है। कहा यह भी जाता है कि निर्दोष सैलानियों पर हमला किया तो आदिल हुसैन एक आतंकी से भिड़ गया। पहले तो उसने उस आतंकी से कहा कि निर्दोष सैलानियों पर हमला न करें। ये हमारी रोजी-रोटी का जरिया हैं। हमारे मेहमान हैं। पर जब वो आतंकी नहीं माना तो आदिल उससे भिड़ गया और उसने उसकी राइफल छीनने की कोशिश की। इस लड़ाई में आतंकी ने गोली चला दी और आदिल हुसैन के शरीर को छलनी कर दिया। आदिल हुसैन शाह गरीब परिवार और बहादुर टट्ट वाला था। उसने दर्जनों हिन्दुओं की जान बचाई। अगर वह न भिड़ता तो पता नहीं कितने और शहीद हो जाते। आदिल एक मुसलमान था जिसने दर्जनों हिन्दुओं को बचाया और कश्मीरियों की लाज रखी। पूरी कश्मीर घाटी में इन निर्मम हत्याओं के खिलाफ सड़कों पर कश्मीरी उतर आए और ऐसा कम ही देखा गया है कि जब स्थानीय कश्मीरी आतंक के खिलाफ सड़कों पर उतरे हों। आतंकी हमले के विरोध में जम्मू-कश्मीर में प्रदेश के मुसलमानों ने जुमे की नमाज अदा करने के बाद आक्रोश जाहिर किया और पाकिस्तान के विरोध में नारेबाजी की। पूरे देश में मुसलमानों ने इस हमले के विरोध में प्रदर्शन किए। संभल, सहारनपुर, बरेली, हापुड़ और बुलंदशहर समेत यूपी के कई जिलों में मुसलमानों ने आतंकवादी घटना की निंदा की और पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाए और सख्त जवाबी कार्रवाई की मांग की। कश्मीर के पहलगाम शहर के बैसरन में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे। संभल जैसे सैनसेटिव जिले की कई मस्जिदों में शुक्रवार को जुमे की नमाज अता करने नमाजी काली पट्टी बांधकर पहुंचे और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की। शाही जामा मस्जिद में नमाज पढ़कर निकले साकिर हुसैन ने कहा कि जिन निहत्थे लोगों के साथ यह जुल्म हुआ और हमारी बहनों का सुहाग उजाड़ दिया गया, बेहद ही दुखद घटना है। मेरी सरकार से गुजारिश है कि इन आतंकवादियों को ऐसा सबक मिले कि नस्ले भी याद रखें। इधर दिल्ली में 900 से अधिक बाजार इस आतंकी हमले के खिलाफ बंद रहे। कनाट प्लेस, सदर बाजार और चांदनी चौक जैसे दिल्ली के मशहूर शापिंग हब समेत 900 से ज्यादा बाजार शुक्ररार को वीरान नजर आएं। क्योंकि व्यापारियों ने पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में दिल्ली बंद का आह्वान किया था। कपड़ा, मसाले, बर्तन और सर्राफा जैसे क्षेत्रों के विभिन्न व्यापारियों के संघों ने भी अपनी दुकानें बंद रखीं। सीएआईटी के अनुसार दिल्ली में आठ लाख से अधिक दुकाने बंद रहीं। जिसके परिणामस्वरूप दिन भर में 1500 करोड़ रुपए का व्यापार घाटा हुआ। जम्मू-कश्मीर में ऐसे आरोप भी सामने आए कि वहां आतंकवादी हमलों के खिलाफ अपेक्षित प्रतिरोध मुखर नहीं दिखता। अगर पहलगाम के आतंकी ने बर्बरता की सारी हदें पार करते हुए जिस तरह 26 पर्यटकों को मार डाला, उसके बाद कश्मीरी जनता का गुस्सा उभरा है। खासकर अनंतनाग और उसके आसपास के इलाकों को आतंक का गढ़ माना जाता है। वहां रहने वालों के भीतर इस घटना के खिलाफ जैसा आक्रोश पैदा हुआ वह दर्शाता है कि कश्मीरी आवाम में इस हमले को लेकर कितना रोष है। समूची कश्मीर घाटी में इस हमले पर स्थानीय आबादी के बीच स्वतः स्फूर्त विरोध उभरा और व्यापाक पैमाने पर लोगों ने इस घटना की निंदा की, प्रदर्शन किया और आपसी भाईचारे का मुजाहरा किया। जैसे मैंने कहा कि इन आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता।

- अनिल नरेन्द्र

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