Tuesday, 15 April 2025

स्कूलों में बढ़ती फीस

स्कूलों में मनमानी फीस वृद्धि के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से लगाए जा रहे आरोपों के बीच दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों के ऑडिट करने का निर्णय लिया है। वहीं शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान घपला करने के बाद भी स्कूलों ने कई बार फीस बढ़ाई थी। शिक्षा मंत्री ने बताया कि दिल्ली में 1677 निजी स्कूल हैं। इनमें 335 सरकारी जमीन पर बने हैं। जिनके लिए 1973 के दिल्ली स्कूल एक्ट में यह नियम है कि राज्य सरकार से फीस बढ़ाने से पहले अनुमति लेना जरूरी है। 114 स्कूल ही ऐसे हैं जिनकी फीस बढ़ाने की अनुमति लेने के लिए कोई बाध्यता नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि द्वारका स्थित एक निजी स्कूल ने बीते 5 साल में 20, 13, 9, 8, 7 फीसदी फीस बढ़ाई। डीएम कापसहेड़ा के नेतृत्व में इस स्कूल की जांच चल रही है। आप सरकार के शासन में एक और निजी स्कूल ने 2024-25 में 36 प्रतिशत फीस बढ़ाई। उन्होंने कहा ]िक एक निजी स्कूल ने 15 करोड़ रुपए खर्च कर घपला किया था। फिर भी उस स्कूल को 2022-23 में 15 फीसदी फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई। स्कूल ने 2024-25 में भी 13 फीसदी फीस बढ़ाई फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी तरह एक अन्य निजी स्कूल को 42 लाख रुपए की अनियमितता के लिए नोटिस दिया था। फिर भी स्कूल ने 2022-23 में 14 फीसदी फीस बढ़ा दी। हर वर्ष सिर्फ 75 स्कूलों का हुआ ऑडिट। शिक्षा मंत्री ने बताया कि पिछली सरकार के दस साल के शासनकाल में सिर्फ 75 स्कूलों की ही हर साल ऑडिट हुआ। उन्होंने स्पष्ट किया कि साल 2024 में निजी स्कूल के केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कर दिया था कि किसी भी स्कूल को फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय की मंजूरी लेना जरूरी है। द्वारका स्थित नामी स्कूल को लेकर फीस बढ़ोत्तरी के मामले में जांच जारी है। बच्चों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। अभिभावकों का आरोप है कि गैर मंजूर फीस की अदायगी न करने पर लगभग 20 छात्रों को दोबारा से सोमवार को लाइब्रेरी में बिठाकर मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया। अभिभावक ने कहा कि आखिर यह कब तक चलेगा। स्कूल के खिलाफ उचित कार्रवाई होनी चाहिए। बढ़ी हुई फीस के विरोध में अभिभावकों को अलग-अलग स्कूलों के बाहर विरोध प्रदर्शन जारी है। मंगलवार का द्वारका स्थित एक नामी स्कूल के बाहर अभिभावकों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर फीस वृद्धि के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। वहीं बढ़ी फीस का विरोध करने पर स्कूल अभिभावकों को अब कानूनी नोटिस भी भेज रहे हैं। इसमें स्कूल को बदनाम करने का आरोप लगाए गए हैं। एक स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारी ने बताया कि फीस के खिलाफ आवाज उठाने पर दो करोड़ रुपए से अधिक का कानूनी नोटिस स्कूल की तरफ से मिला है, लेकिन हम डरेंगे नहीं। अभिभावकों का विरोध जारी रहेगा। फीस बढ़ोत्तरी का मामला, सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक ही सीमित नहीं है। देश भर के निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी का मुद्दा उठा हुआ है। एक रिसर्च संस्था द्वारा किए गए एक सर्वे में 36 फीसदी पेरेंटस ने बताया कि पिछले तीन सालों में उनके बच्चों की स्कूल की फीस 80 फीसदी तक बढ़ाई गई। वहीं 8 फीसदी ने कहा कि स्कूल फीस में 80 फीसद से भी ज्यादा बढ़ोतरी की गई। यह इजाफा बिना किसी स्पष्ट कारण के किया गया। वहीं 93 फीसदी पैरेंटस का कहना है कि उनकी राज्य सरकारें इस बढ़ोतरी को रोकने में पूरी तरह नाकाम रही हैं। सर्वे में 309 जिलों में 31 हजार से ज्यादा पैरेंटस ने हिस्सा लिया। इनमें से 62 फीसदी पुरुष और 38 फीसदी महिलाएं थीं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई पैरेन्टस अब स्कूलों की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठा रहे हैं और एआई आधारित होम लर्निंग विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। यह चिंता भी जताई जा रही है कि मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवार कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। हमें इस बात की खुशी है कि दिल्ली सरकार और विशेष कर शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इस ज्वलंत मुद्दे की ओर ध्यान दिया है और इसमें जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है। बढ़ती महंगाई के इस दौर में अभिभावकों के लिए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाने के लिए कितनी कठिनाई उठानी पड़ती हैं हम समझ सकते हैं। कर्जा लेकर, अपना पेट काटकर अपने बच्चों को अच्छी तालीम मिले इसके ]िलए उनसे हमें सहानुभूति है और हम उम्मीद करते हैं कि उन्हें जल्द राहत मिलेगी। -अनिल नरेन्द्र

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