Tuesday, 5 March 2024

बेंगलुरु कैफे में धमाका ः पीछे कौन?


कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के मशहूर रामेश्वरम कैफे में शुक्रवार दोपहर हुआ धमाका हर लिहाज से एक बड़ी चिंताजनक घटना है। एक तो यह धमाका ऐसे समय हुआ जब आम चुनावों की घोषणा होने ही वाली है और दूसरे, भारत की कही जाने वाली सिलिकन वैली शहर में हुआ। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने श्gाक्रवार शाम इसकी पुष्टि की। दोपहर करीब एक बजे इस धमाके में 9 लोग घायल हुए। शुरू में पुलिस और दमकल को बताया गया कि यह सिलेंडर ब्लास्ट है। शाम को सिद्धारमैया ने इसकी पुqिष्ट की यह कम तीव्रता का आईईडी ब्लास्ट था। एक युवक दोपहर 12 बजे के करीब कैफे में बैग छोड़कर गया, जिसके बाद विस्फोट हुआ। कैफे में धमाके वाली जगह से बैटरी, जला हुआ बैग और कुछ आईडी कार्ड मिले हैं। सीसीटीवी और अन्य चीजों की जांच की जा रही है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि यह कम तीव्रता का ब्लास्ट था। इसमें एक घंटे बाद धमाका होने के लिए टाइमर लगा हुआ था। डीजीपी आलोक मोहन ने कहा कि जांच जारी है और पुलिस उन लोगों का पता लगाएगी, जो इसके पीछे हैं। हम निश्चित रूप से पहचान लेंगे कि यह किसने किया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजयेन्द्र येदियुरप्पा ने कहा कि घटना में खुफिया तंत्र की नाकामी स्पष्ट है। इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए। ब्लास्ट बिगड़ती कानून व्यवस्था का ज्वलंत उदाहरण है। पुलिस के अनुसार घटनास्थल के हालात आतंकी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। चिंता का विषय तो यह भी है कि बेंगलुरु के जिस रामेश्वरम कैफे में धमाका हुआ वह उस इलाके में है जिसे आईटी गतिविधियों का गढ़ कहा जाता है। इसके पीछे क्या यह मकसद है कि कैफे को इसलिए निशाना बनाया जाए ताकि इससे दुनियाभर का ध्यान आकर्षित कर सकें? यह गनीमत रही कि इस धमाके में किसी की जान नहीं गई। सिर्फ कुछ लोग घायल हुए हैं नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता था। लगता है कि जिस किसी व्यक्ति या संगठन ने यह किया है उसका मकसद ध्यान खींचने का रहा होगा। अगर वो ज्यादा शक्तिशाली धमाका करते जो कर सकते थे तो इससे ज्यादा जानमाल का नुकसान हो सकता था। इसके पीछे राजनीतिक कारण भी हो सकते हैं। कर्नाटक में अभी-अभी तो कांग्रेस की सरकार बनी है। उसे बदनाम करने के लिए और यह जताने के लिए कि राज्य में कानून व्यवस्था खराब है यह धमाका किया गया है। भारतीय जनता पार्टी तो सिद्धारमैया सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रही है तो स्वाभाविक ही है। कर्नाटक सरकार के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि वह इस मामले की तह तक जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। यह पता लगाना जरूरी है कि क्या यह एक आतंकी साजिश थी या नहीं? अगर यह आतंकी साजिश थी तो यह मामला गंभीर है। जरूरत पड़ने पर इसमें दूसरी सरकारी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को भी विश्वास में लिया जा सकता है ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करके मामले की तह तक पहुंचा जा सके। चुनाव नजदीक है इसलिए भी जरूरी है कि राज्य में कानून व्यवस्था बनी रहे। कर्नाटक सरकार के लिए यह चुनौती है कि जिसे जल्द से जल्द सुलझाना होगा।

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