Tuesday, 19 March 2024

क्या गेम चेंजर हो सकता है इलेक्टोरल बॉन्ड?


इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से विपक्ष गदगद है। आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन इंडिया इस मुद्दे को बड़ा हथियार बनाने की तैयारी कर रहा है। विपक्ष के कई नेताओं का मानना है कि अगर विपक्ष ने इसे ठीक से जनता के सामने रखा तो यह गेम चेंजर साबित हो सकता है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस का आरोप है कि वो पहले से ही कह रही है कि सरकार जांच एजेंसियों का डर दिखाकर चंदा वसूल रही है। उनका कहना है कि ऐसी कई कंपनियां हैं जिनको लेकर कहा जा रहा है कि उनकी ओर से दिए जाने वाले चंदे की वजह से जांच एजेंसियों की रेड का डर है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने चुनाव आयोग को बांड खरीददारों की जो लिस्ट सौंपी है। उससे कई अहम जानकारियां सामने आई हैं। सबसे ज्यादा बॉन्ड खरीदने वालों में कई ऐसी कंपनियां शामिल हैं जिनके खिलाफ ईडी और इन्कम टैक्स विभाग की कार्रवाई हो चुकी है। दिलचस्प ये है कि ये कार्रवाईयां बॉन्ड खरीदने के समय के आसपास हुई हैं। फ्यूचर गेमिंग, वेदांता लिमिटेड और मेघा इंजीनियरिंग जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा बॉन्ड खरीदने वालों में शामिल हैं। लेकिन इन कंपनियों की ओर से ये खरीददारी ईडी और इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्रवाईयों के आसपास हुई हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक खास रिपोर्ट में कहा है कि सिर्फ यही कंपनियां नहीं, करीब दस कंपनियों की बॉन्ड खरीददारी में भी यही पैटर्न दिखता है। अखबार लिखता है कि आरपीएसजी की हल्दिया एनर्जी, डीएलएफ, फार्मा कंपनी हेटरो ड्रग्स, वेल स्पन ग्रुप, डिवीस लेबोरेट्रीज और बायोकॉन की किरण मजूमदार राये ने काफी बॉन्ड खरीदते हैं। लेकिन ये सारी खरीददारी केंद्रीय एजेंसियों की जांच के समय में खरीदे गए हैं। मसलन, इलेक्टोरल बॉन्ड की चौथी सबसे बड़ी खरीददारी हल्दिया एनर्जी पर सीबीआाr ने 2020 में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया था। आरपीएसजी ग्रुप की कंपनियां हल्दिया एनर्जी ने 2019 से लेकर 2024 के बीच 377 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। मार्च 2020 में सीबीआई ने हल्दिया एनर्जी और अडानी, वेदांता, जिंदल स्टील बीआईएलटी समेत 24 कंपनियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए। डीएलएफ शीर्ष बॉन्ड खरीददारों में शामिल है। उसने 130 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। सीबीआई ने एक नवम्बर 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निदेश के बाद केस दर्ज किया था। 25 जनवरी 2019 को सीबीआई ने कंपनी के गुरुग्राम के दफ्तर और कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इन कार्रवाईयों के बाद डीएलएफ ने 9 अक्टूबर 2019 को बॉन्ड खरीदने शुरू किए। कंपनी ने कुल 130 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। एक बार फिर 25 नवम्बर 2023 को ईडी ने कंपनी के गुरुग्राम में मौजूद दफ्तरों पर छापेमारी की। फार्मा कंपनी हैंरारो बायोलैण्ड के जरिए 60 करोड़ रुपए के बांड खरीदे। ये कंपनी 2021 से इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट की निगरानी में थी। अक्तूबर 2021 में आयकर विभाग ने कंपनी के कई ठिकानों पर छापेमारी की और 140 करोड़ रुपए से ज्यादा का कैश बरामद किया। रोडमैप लेबोरेट्रीज देश की सबसे बड़ी एपीआई मैन्यूफैक्चर्स में शामिल है। इस कंपनी ने 2023 में 55 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। कंपनी के "िकानों पर 14 से 18 फरवरी तक इन्कम टैक्स के छापे पड़े थे। बायोकॉन की शॉ ने 6 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। ऐसी सूची बहुत लम्बी है। यह शायद ही जनता के सामने आए। पर साफ है कि ईडी इंकम टैक्स, सीबीआई के जरिए न केवल सरकारें गिराई जाती हैं, पार्टी तोड़ी जाती है बल्कि इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से पार्टियों के फंडिंग भी की जाती है।

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