Tuesday 12 March 2024

हर नागरिक को सरकारी फैसले की आलोचना का अधिकार


जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने की आलोचना करने और पाकिस्तान के स्वाधीनता दिवस पर उसके नागरिकों को बधाई देने के आरोपित एक प्रोफेसर के विरुद्ध बंबई हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा, समय आ गया है कि पुलिस तंत्र को भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अवधारणा के बारे में जागरूक और शिक्षित किया जाए। महाराष्ट्र पुलिस ने वाट्सअप मैसेज पोस्ट करने पर प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम के विरुद्ध कोल्हापुर में आईपीसी की धारा-153 ए के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इन वाट्सअप मैसेज में प्रोफेसर जावेद ने लिखा था, जम्मू-कश्मीर के लिए पांच अगस्त काला दिन है। 14 अगस्तö पाकिस्तान के स्वाधीनता दिवस की बधाई। जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने कहा, अगर एक नागरिक 14 अगस्त पर पाकिस्तान के नागरिकों को बधाई देता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है, पीठ ने कहा 75 से अधिक वर्षों से हमारा देश लोकतांत्रिक गणराज्य है। लोग लोकतांत्रिक मूल्यों का महत्व जानते हैं। इसलिए यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है कि ये राष्ट्र विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य या शत्रुता या देश की भावनाओं को बढ़ावा देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के हर नागरिक को सरकार के फैसले की आलोचना करने का अधिकार है। साथ ही कहा कि भारत के किसी व्यक्ति का दूसरे देशों के नागरिकों को उनके स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं देने में कुछ गलत नहीं है। शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने की वाट्सअप के जरिए आलोचना करने के मामले में एक प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के संबंध में बंबई हाईकोर्ट के आदेश को भी रद्द कर दिया। महाराष्ट्र पुलिस ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के सबंधं में वाट्सअप पर संदेश पोस्ट करने के लिए प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम के खिलाफ कोल्हापुर के एक थाने में मामला दर्ज किया था। उनके खिलाफ साप्रादायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए थे। प्रोफेसर हजाम ने अपने वाट्सअप संदेशों में कहा था, पांच अगस्त जम्मू-कश्मीर के लिए काला दिवस और 14 अगस्त पाकिस्तान को स्वंतत्रता दिवस मुबारक। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइंया की पीठ ने प्रोफेसर जावेद अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि भारत का संविधान अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इसके तहत प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की कार्रवाई और उस मामले में सरकार के फैसले की आलोचना करने का अधिकार है। उन्हें यह कहने का अधिकार है कि वह सरकार के फैसले से नाखुश हैं। पीठ ने कहा कि अगर भारत का कोई नागरिक 14 अगस्त को पाकिस्तान के नागरिकों को शुभकामनाएं देता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है। पाकिस्तान 14 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है। लिहाजा यह अदालत हाईकोर्ट के 10 अप्रैल 2023 के फैसले और एफआईआर को रद्द करती है।

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