Tuesday 28 February 2023

प्रियंका ने क्यों छोड़ा यूपी का मैदान?

कांग्रोस संगठन में एक बड़े पेरबदल के तहत प्रियंका गांधी वाड्रा के उत्तर प्रादेश का प्राचार छोड़ने पर मुहर लगा दी गईं है। झारखंड के प्राभारी रहे अविनाश पांडे अब यूपी प्राभारी होंगे। कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी अब कांग्रोस के अखिल भारतीय प्राचार अभियान में जुटेंगी। प्रियंका गांधी ने अक्टूबर 2022 से ही कांग्रोस के प्राभारी महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन इस पर अब मुहर लगी है। कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ से लेकर मध्य प्रादेश और उत्तर पूर्व के राज्यों में प्रियंका की वैंपेनिग के बाद ये साफ हो गया कि वो अब लोकसभा चुनावों में पाटा की स्टार प्राचारक के तौर पर दिखाईं देंगी। उत्तर प्रादेश विधानसभा चुनाव में कांग्रोस की बुरी हार के बाद उन्होंने कर्नाटक और हिमाचल में कांग्रोस के लिए प्राचार किया था। कांग्रोस नेताओं का कहना है कि दोनों जगहों पर उनके प्राचार से पाटा को फायदा हुआ और उसे जीत मिली। एक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि शायद अब वो भारत न्याय यात्रा में अपने भाईं राहुल गांधी का साथ देंगी। कांग्रोस के राजनीतिक पैसलों पर नजर रखने वालों का कहना है कि प्रियंका को यूपी का प्राचार काफी पहले छोड़ देना चाहिए था। उत्तर प्रादेश में प्राभारी रहते वो वुछ खास नहीं कर सकीं। ऐसे में सवाल है कि प््िरायंका गांधी से उत्तर प्रादेश का प्राचार होना राज्य की चुनावी राजनीति में उनकी नाकामी पर आधिकारिक मुहर है या फिर ये सोची समझी रणनीति है, जहां उन्हें यूपी की जगह उन राज्यों में जिम्मेदारी दी जाए जहां कामयाबी की संभावना ज्यादा है? जिस पाटा ने 1947 से 1989 के बीच वुछ वर्षो तक छोड़कर लगभग चार दशक तक यूपी में राज किया वो अब लोकसभा की एक सीट पर सिमट गईं है यह आज का कटु सत्य है। हालांकि प्रियंका के समर्थकों का कहना है कि यूपी में कांग्रोस काफी पहले से कमजोर हो गईं थी, ऐसे में महज तीन-चार साल में उनसे चमत्कार की उम्मीद वैसे की जा सकती है। लेकिन प्रियंका गांधी 1984 से राजीव गांधी के साथ अमेठी जाती रहीं हैं। भले सोनिया गांधी पूरे देश में प्राचार करने की वजह से वहां नहीं जा पती हों लेकिन प््िरायंका गांधी रायबरेली और अमेठी सीट पर प्राचार के लिए जरूर जाती थीं। इसका मतलब कम से कम दो सीटों पर तो कांग्रोस को जीतना चाहिए था। जब प््िरायंका के प्राभारी रहते कांग्रोस अमेठी हार गईं तो फिर उनके बने रहने का क्या तुक बनता है? ये भी कहा जा रहा है कि कांग्रोस के अंदर एक बड़ा तबका है जो प््िरायंका गांधी के कामकाज के तरीके को पसंद नहीं करता है। वो कहते हैं पंजाब में कांग्रोस की जो दूरदशा हुईं उसके लिए पूरी तरह प्रियंका गांधी जिम्मेदार थीं। उन्होंने अमरिदर सिह को हटाकर चरणजीत सिह चन्नी को सीएम बनवाया। नवजोत सिह सिद्धू को काफी तवज्जो दी गईं। आखिरकार पंजाब कांग्रोस के हाथ से निकल गया। इसके लिए प्रियंका गांधी जिम्मेदार हैं क्योंकि पंजाब का सारा कामकाज वही देख रहीं थीं। ये ठीक है कि पूरे देश भर में प््िरायंका के प्राति एक आकर्षण है। लोग सभाओं में उन्हें देखने जाते हैं। वुछ लोगों को उनमें इंदिरा गांधी की झलक भी नजर आती हैं। लोग उनकी बात को सुनते भी हैं लेकिन प््िरायंका कांग्रोस को वोट दिला पाएंगी इसमें संदेह है। ऐसा भी लगता है कि प्रियंका इस बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। वुछ का यह भी मानना है कि हो सकता है कि मोदी के खिलाफ वाराणसी से लड़ें। ——अनिल नरेन्द्र

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