Tuesday, 28 February 2023

भिडरावाला समर्थक अमृतपाल का उभरना खतरनाक

एक खालिस्तानी समर्थक संगठन, वारिस पंजाब दे, के समर्थकों की हथियारबंद भीड़ ने अपने प्रामुख और उपदेशक अमृतपाल सिह के करीबी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी के विरोध में अमृतसर के अजनाला थाने पर कब्जा कर जिस तरह पुलिस प्राशासन को झुकने पर मजबूर कर दिया, वह पंजाब जैसे संवेदनशील राज्य के लिए बेहद खतरनाक है। पंजाब के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक संकेत हैं। जरनैल सिह भिडरावाले को अपना आदर्श मानने वाले खालिस्तानी समर्थक संगठन वारिस पंजाब दे, के प्रामुख अमृतपाल सिह के समर्थकों ने तलवार और बंदूकों के साथ जो मुजाहरा किया उसने पंजाब में आतंकवाद युग की याद ताजा कर दी। हिसक भीड़ ने बैरिकेडिग को तोड़ दिया और कईं पुलिस वालों को घायल कर दिया। इतना ही नहीं, पुलिस पर दबाव बनाया और लवप्रीत तूफान की रिहाईं के आदेश प्राप्त कर लिए। खालिस्तानी समर्थक 29 वषाय अमृतपाल सिह का अचानक उभरना पंजाब में आम आदमी पाटा सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है। समर्थक उसे जरनैल सिह भिडरावाले का ही एक रूप कहने लगे हैं। यह ठीक उसी तरह के कपड़े पहनता है और दस्तार सजाता है जैसा जरनैल सिह भिडरावाला सजाता था। भिडरावाले की तरह ही अपने साथ हथियारबंद लोगों का जत्था रखता है और उन्हें लेकर साथ-साथ चलता है। उसका खालिस्तान समर्थक संगठन वारिस पंजाब दे, इन दिनों खुलकर खालिस्तान बनाने की बात कर रहा है। अमृतपाल लड़ने की बातें कर युवाओं को साथ जोड़ रहा है। 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गए भिडरावाले के लगभग चार दशक बाद एक बार फिर से पंजाब को उन्हीं रास्तों पर ले जाने की कोशिश की जा रही है, जहां से 15 साल की लड़ाईं के बाद पंजाब बाहर आया था। अभी पिछले साल ही जब तीन वृषि कानूनों को लेकर दिल्ली सीमा पर एक साल तक किसान बैठे रहे थे, तब अमृतपाल सिह दुबईं में एक ट्रांसपोर्ट वंपनी चला रहा था। भारत वापस आने पर तीन वृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन में सव््िराय भूमिका निभाने वाला दीप सिद्धू ने वारिस पंजाब दे, का गठन किया था। सड़क हादसे में दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल ने संगठन की कमान संभाली। भिडरावाले के मोगा स्थित गांव रोड़ में जाकर जिस प्राकार से एक बड़ी जनसभा की थी उससे भी इंटेलिजेंस एजेंसियों के कान खड़े हो जाने चाहिए थे। पंजाब एक बॉर्डर स्टेट है। पाकिस्तान पंजाब में उग्रावाद को पुन: उभारने में पूरी तरह जुटा हुआ है। आम आदमी पाटा की सरकार पर हमें शक है कि वह इस नईं स्थिति से प्राभावी ढंग से निपट सकती है? वेंद्र को पूरी नजर रखनी होगी। वह पंजाब सरकार पर भरोसा नहीं कर सकता। अगर स्थिति और बिगड़ती है तो वेंद्र को भगवंत मान की सरकार को बर्खास्त कर बागडोर अपने हाथों में लेनी पड़ सकती है। दोबारा से खालिस्तानी मूवमेंट किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

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