Tuesday, 7 February 2023

धुंध साफ हो, सव््िरायता दिखाए सेबी

जब से अडाणी समूह को लेकर हिडनबर्ग की रिपोर्ट आईं है, एक तरफ स्टॉक माव्रेट में भारी उथल-पुथल देखी जा रही है, वहीं विपक्ष के निशाने पर सरकार आ गईं है। विपक्षी दलों की मांग है कि इस मामले में सरकार जवाब दे। इस हंगामे के चलते संसद का बजट सत्र बार-बार स्थगित करना पड़ा। कामकाज बाधित रहा। हालांकि अडाणी समूह इस मामले में लगातार सफाईं देने और अपनी स्थिति सुधारने में जुटा हुआ है, मगर शेयर बाजार में उसकी वंपनियों के शेयर लगातार नीचे की तरफ रुख किए हुए हैं। दुखद पहलू यह है कि सरकारी संस्थाएं इस पूरे प्राकरण पर चुप्पी साधे हुए हैं। माना कि भाजपा नेतृत्व ने अडाणी को कईं कांट्रेक्ट दिलाने में मदद की हो पर नेतृत्व ने यह तो नहीं कहा कि आप जानबूझ कर शेयरों में हेरापेरी करें, प्राॉड करें। विपक्ष इस बहाने प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने में जुटा हुआ है। यह मामला हमें नहीं लगता कि अब दबने वाला है। मुझे लगता है कि वर्तमान बजट सत्र भी इसकी भेंट चढ़ेगा। विपक्ष के हमलावर रवैये का एक कारण नियामक संस्थाओं का आगे आकर स्थिति को स्पष्ट न करना भी है। हिडनबर्ग की रिपोर्ट को आए करीब 12 दिन हो गए हैं। लेकिन अब तक न तो सेबी ने कोईं जांच करने की जरूरत समझी, न ही अन्य नियामक संस्थाओं ने। यह ठीक है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यह कहा कि अडाणी समूह को लेकर उपजे विवाद से निवेशकों के भरोसे पर कोईं असर नहीं पड़ेगा और बाजार पूरी तरह नियामक संस्थाओं के नियंत्रण में है, लेकिन प्राश्न यह है कि यह संस्थाएं उन सवालों का ठोस जवाब देने के लिए आगे क्यों नहीं आ रही हैं, जो सतह पर उभर आए हैं। उन्हें समझना चाहिए कि अडाणी समूह की तरफ से जितनी भी सफाईं दी जाए वह काफी नहीं। जनता चाहती है कि सेबी मामले की बारीकी से जांच करे और सही तस्वीर पेश करे। भारत के शेयर बाजार में भले ही इतना फर्व न पड़े पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख को भारी धक्का लगा है। डाउ जोंस, व््रोडिट सजू, सिटी बैंक इत्यादि ने अडाणी के शेयर की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी है या आगे शेयरों पर लोन देने से मना कर दिया है। सेबी व अन्य सरकारी संस्थाएं जितनी चुप्पी साधेंगी उतनी ही उलट-पुलट खबरें बाजार में आएंगी और भाजपा को इसका नुकसान होगा। ध्यान रहे कि इन सवालों का सही तरह समाधान अडाणी समूह की ओर से दिए गए जवाबों से नहीं हो सकता है और शायद यही कारण है कि शेयर बाजार में उसकी वंपनियों के शेयरों के भाव गिरते चले जा रहे हैं। एक सप्ताह पहले फोब्र्स की अरबपतियों की सूची में दुनिया के तीसरे सबसे धनी थे गौतम अडाणी लेकिन बुधवार आते-आते वह फिसलकर 15वें स्थान पर पहुंच गए हैं। बहरहाल अभी विवाद थमता नहीं नजर आ रहा। सरकार पर विपक्ष का दबाव आने वाले दिनों में बढ़ना तय है।

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