Tuesday, 31 January 2023
दिल्लीवासियों को नहीं मिल रही बुनियादी सुविधाएं!
दिल्ली नगर निगम के चुनाव के बाद, उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने पार्षदों को शपथ लेने और मेयर, डिप्टी मेयर और 6 स्थायी समिति सदस्यों का चुनाव करने के लिए दो बार सदन बुलाने की अनुमति दी। लेकिन बीजेपी और आम आदमी पार्टी में झड़प हो गई। इस पर एमसीडी बैठक बिना किसी नतीजे के स्थगित कर दी गई, जबकि नियमों के मुताबिक सदन की पहली बैठक में मेयर का चुनाव पूरा हो जाना चाहिए था. लेकिन मेयर का चुनाव अभी दूर था. पार्षदों ने सदन की गरिमा तो तार-तार कर ही दी, लोकतंत्र का मखौल उड़ाकर जनता की उम्मीदों का भी गला घोंट दिया, जिन्होंने उन्हें ऐसा पार्षद चुनने के लिए भेजा था, जो सदन में बैठने लायक हो. दिन।आज जनता की उम्मीदों पर पानी फेर कर प्रतिनिधि उन्हें मेयर नहीं बनने दे रहे हैं। सच तो यह है कि मेयर नहीं बनने से जनहित की एक भी योजना शुरू नहीं हो पा रही है. इतना ही नहीं, पिछले 9 महीने से दिल्ली को मेयर नहीं मिलने से नागरिकों की बुनियादी सुविधाओं पर असर पड़ने लगा है. और यह पहली बार होगा कि स्थायी समिति में उपस्थित हुए बिना सदन में पार्षदों द्वारा विचार-विमर्श किए बिना प्रस्ताव पारित कर दिए जाएंगे। एमसीडी चुनाव में बहुमत के बावजूद आम आदमी पार्टी अपना मेयर नहीं बना पा रही है. नगर निगम चुनाव में AAP ने 250 में से 134 सीटें जीतीं. जबकि बीजेपी 104 पर सफल रही. लेकिन 30 सीटों के अंतर के बाद भी बीजेपी मेयर बनाने का दावा कर रही है और इसी दावे के चलते सदन में दो बार हंगामा हुआ. सूत्रों की मानें तो फिलहाल मेयर बनने का कोई संकेत नहीं है. तीनों निगमों के विलय के बाद केंद्र सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार को मेयर के स्थायी समिति अध्यक्ष के साथ विशेष आयुक्त नियुक्त किया था. अधिकृत भी. लेकिन कारण जो भी हो, जनहित की योजनाएं होने के कारण विशेष पदाधिकारी अश्विनी कुमार ने फाइलों पर हस्ताक्षर करना कम कर दिया है. उनका कहना है कि अब मेयर आ रहे हैं और वहीं फैसला लेंगे. दिल्ली सीडी चुनाव में सफल होने और सदन की बैठक में शपथ लेने के बाद भी पार्षदों को अभी फंड नहीं मिलेगा. फंड की कमी के कारण वे अपने क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य नहीं कर पाएंगे. एमसीडी एक्ट परिचित के मुताबिक, मेयर बनने के साथ-साथ स्थायी समिति का चुनाव होने तक पार्षदों को फंड नहीं दिया जाएगा. नहीं, यह जारी रहेगा . हालांकि, वे अधिकारी की अनुशंसा कर अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य करा सकेंगे. ताजा खबरों के मुताबिक अब मेयर चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है, ऐसे में लगता है कि अप्रैल महीने में मेयर का चुनाव हो सकता है.
(अनिल नरेंद्र)
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