Thursday, 19 January 2023
लोकतंत्र मजबूत करने हेतु 80 हजार लोग सड़कों पर
इजरायल में नईं सरकार के न्यायिक प्राणाली में व्यापक सुधारों को लेकर और उन्हें लागू करने की योजना के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। शनिवार रात राजधानी तेल अवीव में 80 हजार से ज्यादा लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रादर्शन किया। अन्य शहरों में भी विरोध प्रादर्शन किए गए, विरोध रैलियां निकाली गईं।
यरुशलम में पीएम आवास के बाहर और फाइफा में भी लोग सड़कों पर उतर आए। लोगों ने सरकार के खिलाफ व््िरामिनल गवर्नमेट और दी एंड ऑफ डेमोव््रोसी व पागलपन बंद करो के नारे लगाए। तेल अवीव में एक जगह प्रादर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुईं। लोग सरकार की सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिशों का विरोध कर रहे हैं। दरअसल प्राधानमंत्री नेतन्याहू सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर एक प्रास्ताव जारी किया है। इस प्रास्ताव के पास होने पर इजरायल की संसद को सुप्रीम कोर्ट के पैसलों को पलटने का अधिकार मिल जाएगा। संसद में जिसके पास भी बहुमत होगा, वह सुप्रीम कोर्ट के पैसले को पलट सकेगा। नए प्रास्तावों के पारित होने पर जजों को चुनने वाली कमेटी में ज्यादातर सदस्य सत्ताधारी पाटा से होंगे। इससे जजों की नियुक्ति में सरकार का दखल बढ़ जाएगा और कानूनी सलाहकारों की स्वतंत्रता भी प्राभावित होगी। सरकार के मन से सुप्रीम कोर्ट का डर ही खत्म हो जाएगा। सरकार विरोधियों का कहना है कि इस योजना को लागू होने के बाद सरकार बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे मामलों को खत्म कर सकती है। लोगों का मानना है कि इससे देश का लोकतंत्र और सुप्रीम कोर्ट कमजोर होगा। भ्रष्टाचार बढ़ेगा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों में कमी आएगी, इसलिए वह इकट्ठे होकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। वह पीएम नेतन्याहू की तुलना रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से कर रहे हैं।
इजरायल के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस्थर हयात, मुख्य विपक्षी नेता और अटाना जनरल ने भी सरकार की इस योजना का विरोध किया है। इस बीच इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमार बेन-ग्विर ने पुलिस से सड़क रोकने और फिलिस्तीनी झंडे लहराने वाले प्रादर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाईं करने को कहा है। लगभग यही स्थिति हमारे देश में भी चल रही है। सरकार और सुप्रीम कोर्ट की कईं मुद्दों पर ठनी हुईं है। कोलेजियम से लेकर संसद के अधिकारों पर सरकार व सुप्रीम कोर्ट में विवाद छिड़ा हुआ है। एक मजबूत लोकतंत्र के लिए यह अति-आवश्यक है कि जुडिशियरी पूरी तरह से स्वतंत्र हो और सरकार के गलत कदमों का गलत विधेयकों की समीक्षा कर सके। सुप्रीम कोर्ट पर किसी प्राकार की पाबंदी लोकतंत्र के लिए घातक होगी। सबसे अच्छा रास्ता तो यह है कि सरकार और न्यायपालिका मिल बैठ कर विवादों को खत्म करे। संविधान सवरेपरि है। संविधान के अनुसार दोनों की शक्तियां तय होनी चाहिए।
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