Tuesday, 17 January 2023
टीवी चैनल समाज में दरार डाल रहे हैं
दरार डाल रहे हैं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में टेलीविजन चैनल समाज में दरार पैदा कर रहे हैं। ऐसे चैनल एजेंडे से संचालित होते हैं और सनसनीखेज समाचारों के लिए प्रातिस्पर्धा करते हैं। यह पैसा लगाने वालों के आदेश पर काम करते हैं। चैनलों पर नफरत पैलाने वाले बयान पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा—नफरती भाषण, एक राक्षस है, जो सबको निगल जाएगा। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीबी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि देश में बेरोजगारी, महंगाईं सरीखी कईं अन्य समस्याएं हैं। लेकिन इन पर बहस के बजाय नफरती भाषण का सहारा लिया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह किसी एक या खास धर्म के बारे में नहीं बोल रहे हैं।
जस्टिस जोसेफ ने टिप्पणी की, जब आप बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा करते हैं, तो आपको ऐसा कार्यं करना चाहिए, जैसी आपसे उम्मीद की जानती है। अन्यथा हमारे लिए क्या गरिमा बची है। शीर्ष अदालत शुव््रावार को नफरती भाषण के खिलाफ कदम उठाने की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाईं कर रही थी। कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया, वेंद्र सरकार समस्याओं से निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर विचार कर रही है। इनमें ऐसी बातों से निपटने के लिए एक कानून भी शामिल है। पीठ ने न्याय मित्र को अगली तारीख पर मसौदा दिशानिर्देश पेश करने के निर्देश भी दिए। जस्टिस जोसेफ ने कहा—चैनल मूल रूप से परस्पर प्रातिस्पर्धा कर रहे हैं। वह इसे सनसनीखेज बनाते हैं।
बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी महत्वपूर्ण है। लेकिन क्या दर्शक एजेंडे को समझ सकते हैं? चैनल के पीछे पैसा है। मुद्दा यह भी है कि कौन पैसा लगा रहा है? यह तय करते हैं सब वुछ। पीठ ने समाचार प्रासारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) और वेंद्र सरकार से पूछा कि वह इस तरह के प्रासारण को वैसे नियंत्रित कर सकती है? वेंद्र सरकार ने कहा कि वह नफरती भाषण से निपटने के लिए दंड प्राव््िराया संहिता (सीआरपीसी) में व्यापक संशोधन करने की योजना बना रही है। वेंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा—हम सीआरपीसी में संशोधन पर विचार कर रहे हैं। यह भारत सरकार का रुख है। पीठ ने यह भी पूछा—अगर समाचार एंकर खुद नफरत पैलाते हैं, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाईं की जा सकती है? पीठ ने कहा—एनबीएसए को पक्षपात नहीं करना चाहिए। एकतरफा कार्यंव््राम नहीं हो सकते। लाइव कार्यंव््राम की निष्पक्षता एंकर पर निर्भर करती है। कोर्ट ने कहा—अगर एंकरों को पता हो कि उसे कीमत चुकानी पड़ सकती है, तो वह इससे बचेंगे।
एंकरों को हटाया जा सकता है। कोर्ट ने जोर दिया कि मीडियाकर्मियों को पता होना चाहिए कि खुद पर नियंत्रण वैसे किया जा सकता है।
——अनिल नरेन्द्र
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