Tuesday, 1 August 2023

विपक्ष का अविश्वास प्रास्ताव?

यह जानते हुए भी कि सरकार संख्याबल में मजबूत है, विपक्ष ने अविश्वास प्रास्ताव लोकसभा में पेश कर दिया है। विपक्ष समेत सभी जानते हैं कि प्रास्ताव गिर जाएगा, क्योंकि विरोध में कहीं ज्यादा मत पड़ेंगे और पक्ष में कम। पर प्राश्न यह उठता है कि यह सब जानते हुए भी विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रास्ताव क्यों ला रही है, क्या उसे इसमें वुछ हासिल होगा? राजनीतिक जानकार मानते हैं कि विपक्ष को इस अविश्वास प्रास्ताव पर होने वाली विस्तृत चर्चा के जरिये सरकार को सभी मुद्दों पर घेरने का मौका मिलेगा। लोकसभा के पूर्व सचिव डॉ. देवेंद्र सिह ने कहा कि विपक्ष जिन भी मुद्दों को उठाती है, तो सरकार उस पर चर्चा के लिए तैयार होने की बात तो कहती है लेकिन उसमें कईं किन्तु-परन्तु होते हैं। जैसे मणिपुर पर ही चर्चा की बात ले लें। इस पर अल्प अवधि चर्चा के लिए सरकार तैयार है, जो महज ढाईं घंटे की होती है। जबकि विपक्ष प्राधानमंत्री के बयान सहित व्यापक चर्चा चाहता है। ऐसे में विपक्ष ने अविश्वास प्रास्ताव लाकर न सिर्प मणिपुर बल्कि उन तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है, जिन्हें वह सरकार के विरुद्ध उठाना चाहती है। प्रास्ताव पेश होने और स्वीकार होने के बाद अगले सप्ताह इस पर चर्चा होना तय है। उनके अनुसार प्राथम दृष्ट्या इस मामले में विपक्ष ने राजनतिक बढ़त हासिल करने में सफलता हासिल कर ली है। पूरे देश का ध्यान उसने आकर्षित कराया है। लेकिन यह भी देखना होगा कि जब चर्चा होगी तो सरकार किस प्राकार से विपक्ष पर आव््रामक होती है। कईं राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं, ऐसे में महिला सुरक्षा से लेकर महंगाईं तक के मुद्दों पर विपक्ष को सत्तापक्ष की तरफ से पलटवार का सामना करना पड़ सकता है। एक बात और महत्वपूर्ण है कि जब प्राधानमंत्री चर्चा का जवाब देंगे तो अब तक हमेशा यह देखने में आया है कि वह ही विपक्ष पर भारी पड़ जाते हैं। इसलिए पक्ष-विपक्ष के बीच होने वाली चर्चा महत्वपूर्ण होगी। देखना होगा कि जनता को स्पष्ट संदेश विपक्ष की तरफ से जाता है या फिर सत्तापक्ष से? एक तर्व विपक्ष की तरफ से यह दिया जा रहा है कि इस प्रास्ताव के जरिये प्राधानमंत्री को मणिपुर पर बयान देने के लिए बाध्य कर दिया है। वह इसे सफलता भी मानेंगे लेकिन यह स्पष्ट है कि मणिपुर पर होने वाली चर्चा का जवाब देने की जिम्मेदारी गृहमंत्री की होती है। विपक्ष मणिपुर पर पहले प्राधानमंत्री के बयान और फिर चर्चा की मांग पर अड़ा हुआ था। लेकिन अविश्वास प्रास्ताव पर चर्चा के बाद प्राधानमंत्री अकेले मणिपुर नहीं, सभी मुद्दों पर जवाब देंगे। इसलिए यदि इस प्रास्ताव के बाद संसद में गतिरोध खत्म होता है तो इससे सत्तापक्ष भी राहत की सांसें लेगा।

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