Tuesday, 1 August 2023
बिहार में सूखे की मार
देश के कईं इलाकों में जहां तेज बारिश और बाढ़ से लोग जूझ रहे हैं वहीं बिहार बारिश की कमी का सामना कर रहा है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल बिहार में अब तक औसत से करीब आधी बारिश ही हुईं है जबकि राज्य के 16 जिलों में औसत के मुकाबले आधी बारिश भी नहीं हुईं है। बहुत कम बारिश के कारण धान की ही रोपनी बुरी तरह प्राभावित हुईं है, इससे लाखों किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। बिहार में करीब 36 लाख हेक्टेयर में इस साल में धान की खेती होनी थी लेकिन बारिश नहीं होने से धान की आधी रोपनी नहीं हो पाईं है।
वहीं अब पानी की कमी से कईं इलाकों में बछड़े भी मरने लगे हैं। बांका के फतहर पंचायत के मिर्जापुर गांव के धर्मेद्र मिश्र कहते हैं कि उनके इलाके में इस साल अब तक सिर्प एक प्रातिशत धान की रोपनी हो पाईं है। मिश्र कहते हैं कि इस बार पूरे का पूरा बिहार सूख गया है। हर जगह पानी की कमी हो जाए फिर भी हम डंका बजाते हैं कि हमारे यहां पानी की कमी नहीं है। लेकिन इस बार हमारे गांव में भी पानी खत्म हो गया है।
जिन किसानों की रोजी-रोटी का आधार खेती है, वह क्या करेंगे? बिहार के जुमईं जिले के कोराने गांव के भरत राम के सामने भी ऐसी ही समस्या है। भरत के पास करीब चार बीघा खेत हैं, लेकिन बारिश न होने से अब तक वो धान के पौधे की रोपनी शुरू नहीं कर पाए। वह कहते हैं कि हमारे पास अपना वुआं हैं लेकिन इससे मुश्किल से पीने का पानी ही मिल पाता है, सिचाईं कहां से होगी। बारिश नहीं होने से अब तो बीज भी फटने लगे हैं। 27 जुलाईं तक के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में इस मौसम में औसत से करीब 47 प्रातिशत बारिश कम हुईं है। राज्य में बारिश की कमी का आलम यह है कि बिहार के 10 जिलों में औसत से 60 से 82 प्रातिशत तक कम बारिश हुईं है। जबकि राज्य के 38 में से 16 जिलों में औसत के मुकाबले आधी बारिश भी नहीं हुईं है। कहा जाता है कि बारिश और बाढ़ बिहार के लिए आपदा भी है और इसी में बिहार की खुशहाली भी छिपी है। हर साल आने वाली बाढ़ के साथ राज्य के विशाल मैदानी इलाके में मिट्टी की 100 प्रातिशत उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है और किसानों की पैदावार भी अच्छी होती है। लेकिन इस साल बारिश नहीं होने से राज्य के लाखों किसान बुरी तरह प्राभावित हो रहे हैं। बिहार देश का वो राज्य है जहां सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वुल आबादी का करीब 75 प्रातिशत हिस्सा खेती पर निर्भर है। बिहार के लाखों किसानों के धान की फसल के लिए अगली वुछ दिन काफी महत्वपूर्ण होने वाले हैं। इस दौरान अगर अच्छी बारिश हो जाए तो उनकी मरती फसल को नया जीवन मिल सकता है।
——अनिल नरेन्द्र
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