Thursday, 10 August 2023

पाकिस्तान के पूर्व शासकों का यही अंजाम

पाकिस्तान अपने पूर्व प्राधानमंत्रियों को जेल भेजने के लिए वुख्यात रहा है, जबकि यह देश बार-बार संविधान का उल्लंघन करने वाले सैन्य तानाशाहों के खिलाफ कोईं कार्रवाईं करने में कतराता दिखा है। इमरान खान जेल जाने वाले पहले पूर्व प्राधानमंत्री नहीं हैं पाकिस्तान में। पाकिस्तान के इतिहास में निर्वाचित नेताओं के साथ किए गए व्यवहार के कईं अप््िराय उदाहरण हैं। सूची में पहले स्थान पर हुसैन शहीद सुहरावदा हैं, जो तत्कालीन पूवा पाकिस्तान के एक बंगाली राजनेता थे, जिन्होंने पांचवें प्राधानमंत्री के रूप में कार्यं किया था। सुहरावदा को जनवरी 1962 में गिरफ्तार कर देश-विरोधी गतिविधियों के फजा आरोप में जेल में डाल दिया गया था। उन्हें सैन्य शासक जनरल अयूब खान का समर्थन करने से इंकार करने का परिणाम भुगतना पड़ा था। नौवें प्राधानमंत्री के रूप में कार्यं करने वाले जुल्फिकार अली भुट्टो को 1974 में एक राजनीतिक प्रातिद्वंद्वी की हत्या की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें मौत की सजा सुनाईं गईं और चार अप्रौल, 1979 को फांसी दे दी गईं। बेनजीर भुट्टो 1988 से 1990 तक और फिर 1993 से 1996 तक दो बार प्राधानमंत्री रहीं। देश की एकमात्र महिला प्राधानमंत्री को कईं बार गिरफ्तार किया गया। पहली बार 1985 में उन्हें 90 दिनों के लिए घर में नजरबंद रखा गया। इसके बाद अगस्त, 1986 में कराची की एक रैली में सैन्य तानाशाह जिया उल हक की निंदा करने के लिए बेनजीर भुट्टो को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद क्या हुआ यह सबको मालूम ही है। अब इमरान खान को गिरफ्तार कर लिया गया है। देखना यह है कि क्या इमरान का भी वही हश्र होता है जो पूर्व प्राधानमंत्रियों का हुआ है? हम उम्मीद करते हैं कि ऐसा न हो। पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट काफी मजबूत है, यह उसने साबित कर दिया जब इमरान को पहले गिरफ्तार किया गया था और सुप्रीम कोर्ट ने उसी दिन जमानत दे दी थी।

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